बालिग लड़का और लड़की के साथ रहने पर माता पिता के पास हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है
November 21, 2018इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि कोई बालिग लड़का और लड़की एक साथ रह रहे हों तो माता-पिता समेत किसी भी व्यक्ति के पास हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
याचिका एक जोड़ी द्वारा दायर की गयी थी जो अपनी इच्छा से एक साथ रह रहे थे | याचिका में अदालत से अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा और वैवाहिक जीवन में किसी का हस्तक्षेप न किये जाने की दरख्वास्त की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए, अदालत ने कहा है कि यह एक अच्छी तरह से सुलझा कानून है कि यदि एक बालिग लड़का और लड़की अपनी स्वतंत्र इच्छा के साथ एक साथ रह रहे हैं, तो माता-पिता समेत कोई भी व्यक्ति उनके विवाहित जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं रखता है और इसलिए जोड़े को शांतिपूर्वक रहने के लिए स्वतंत्रता है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि जोड़े द्वारा अनुरोध किया जाता है तो पुलिस जोड़े को सुरक्षा प्रदान करेगी।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि तत्काल मामले में जोड़े के विवाह पर सवाल नहीं उठाया गया है और इसलिए आदेश विवाह की वैधता और उनके विवाह प्रमाण पत्र की वास्तविकता के बारे में कोई राय नहीं व्यक्त करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले यह माना था कि जीवन साथी चुनना एक मौलिक अधिकार है और यदि दो वयस्क एक-दूसरे से शादी करने के लिए सहमत हैं तो परिवार या समुदाय की सहमति जरूरी नहीं है।