आत्महत्या के बहकाव को साबित करने के लिए आत्महत्या लेख काफी नही है
October 30, 2018दिल्ली के रोहिणी जिला न्यायालय ने यह कहा है की आत्महत्या लेख पर लिखे हुए नाम से यह साबित नहीं होता है कि आत्महत्या बहकावे मे आकर की गई है| अदालत ने, आत्महत्या के बहकावे मे एक आरोपी परिवार को यह कहते हुए बरी किया है की, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य की आवश्यकता है कि अभियुक्त ने मृतक को आत्महत्या करने के लिए सहायता दी है या उकसाया है।
इस मामले मे, एक आदमी ने 2016 मे आत्महत्या करी थी और आत्महत्या लेख मे 4 लोगो के नाम जिनमें मृतक की बेटी का ससुर, दमाद, पति का भाई और सास शामिल थे| जब मृतक की पत्नी को आत्महत्या का पता चला, उसने आत्महत्या लेख पर लिखे हुए परिवार के नाम पर आरोप लगाया की उन्होंने मृतक को धमकाया था|
मृतक की बेटी ने जनवरी 2015 मे शादी करी थी और शादी के 20 दिनों के अंतर्गत उसने उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज करी थी| जुलाई 2015 मे उसने घरेलू हिंसा कि शिकायत भी दर्ज कराई थी|
दिल्ली पुलिस ने आत्महत्या के आधार पर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया था| दमाद को अग्रिम जमानत मिल गई थी हालांकि ससुर की मृत्यु हो गई थी| वह दोनों लगभग 3 महीने के लिए जेल मे भी रहे थे|