16 पूर्व पुलिसकर्मियों को हाशिमपुरा नरसंहार मामले में जीवनकाल की सजा सुनाई
October 31, 2018हाशिमपुरा नरसंहार मामले में निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कॉन्स्टबुलरी (पी.ए.सी.) के 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को 42 लोगों की हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
31 साल पहले मेरठ के पास, हाशिमपुरा में सामूहिक हत्या हुई थी। इस घटना में मारे गए सभी लोग मुस्लिम थे और प्राथमिक परीक्षण में 19 पी.ए.सी. कर्मियों पर आरोप लगाया गया था, जो दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में हुआ था। 19 आरोपियों में से तीन आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो गई थी।
निचली अदालत ने यह कहा था कि हालांकि हत्याएं हुई है परंतु आरोपियों को दोषी साबित नहीं किया जा सका जिसके कारणवश सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस आदेश को बदल दिया है और षड्यंत्र, अपहरण, हत्या और साक्ष्य के विनाश के जुर्म में आरोपियों को दोषी ठहराया है।
न्यायालय ने इस नरसंहार को पुलिस द्वारा रक्षाहीन और निर्बाध लोगों की "लक्षित हत्या" बताते हुए प्रत्येक आरोपी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सामूहिक हत्या की यह घटना मई 1987 में मेरठ में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान हुई थी जिसमें 350 से ज्यादा लोगों की मौत का अनुमान है। इस घटना में यह आरोप लगाया गया था कि प्रांतीय सशस्त्र कॉन्स्टबुलरी के 19 कर्मियों ने हाशिमपुरा मोहल्ले से 42 युवाओं को घेरा, उन्हें बाहरी इलाके में ले गए और उनकी बेरहमी से हत्या कर उनके शरीर को सिंचाई नहर में फेंक दिया।