IPC Section 504 in Hindi - अपमान की धारा 504 क्या है सजा और जमानत

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 504 क्या है ? IPC Section 504 in Hindi
  2. धारा 504 में सजा ? IPC 504 Punishment in Hindi
  3. आईपीसी धारा 504 कब लगती है - मुख्य बिंदु
  4. IPC 504 में अपमान शब्द का मतलब
  5. धारा 504 के अपराध का उदाहरण
  6. जमानत का प्रावधान ? IPC 504 is Bailable or Not?
  7. आईपीसी धारा 504 के अपराध से संबंधित कुछ अन्य धाराएं:-
  8. IPC Section 504 में बचाव के लिए सावधानियां
  9. धारा 504 के तहत दर्ज मुकदमे में ट्रायल प्रक्रिया
  10. धारा 504 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
  11. धारा 504 के तहत एक वकील एक मामले में आपकी कैसे मदद कर सकता है?
  12. टेस्टिमोनियल
  13. धारा 504 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आज के समय में एक दूसरे का अपमान (Insult) करने के लिए आपत्तिजनक (Offensive) भाषा का प्रयोग करना लोगों के बीच सामान्य हो गया है। लेकिन बहुत बार देखा जाता है कि कुछ लोग किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए जानबूझकर ऐसे गंदे शब्द बोल देते है। जिससे सामने वाले व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचती है। जब इस तरह की भाषा का प्रयोग किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर (Intentionally) दूसरे व्यक्ति का अपमान करने के लिए किया जाता है। तो ऐसा करना एक दंड़नीय अपराध की श्रेणी में आता है।

आज के आर्टिकल में हम भारतीय कानून की एक ऐसी ही धारा के बारे में बात करेंगे जो इस तरह के अपराध व उसकी सजा के बारे में विस्तार से बताती है। चलिए जानते है आईपीसी की धारा 504 क्या है (What is IPC 504 in Hindi), ये धारा कब और किस क्राइम में लगती है ? IPC 504 के मामले में सजा क्या है? इस धारा में जमानत कैसे मिलती है।

भारतीय दंड संहिता के द्वारा बनाई गई यह धारा देश के नागरिकों को यह आश्वासन देकर उनकी गरिमा की रक्षा करती है कि हमारे देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के स्वाभिमान और सम्मान की पूरी तरह से रक्षा होगी। आज के लेख द्वारा आपको आईपीसी सेक्शन 504 से जुड़े हर पहलू की सरल भाषा में विस्तृत व्याख्या मिलेगी तो इसलिए इस लेख को पूरा पढ़े।

धारा 504 क्या है – IPC Section 504 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति जानबूझकर किसी दूसरे व्यक्ति का अपमान करता है, (जैसे किसी को गाली देना, किसी की धर्म जाति के बारे में टिप्पणी करना या किसी भी प्रकार से लोगों के सामने उसे अपमानित महसूस करवाना) और ऐसा करके किसी भी व्यक्ति को उकसाने के लिए प्रेरित करता है। यह इरादा रखते हुए कि इस तरह के उकसावे से सामने वाले व्यक्ति की सार्वजनिक शांति भंग हो जाएगी, और उकसावे में आकर वो व्यक्ति कोई अपराध कर देगा। इसलिए IPC Section 504 के तहत किसी भी व्यक्ति की शांति भंग करने के इरादे से उसका अपमान करने (Intentional insult with intent to provoke breach of the peace) वाले व्यक्ति पर मुकदमा (Court case) दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।


आईपीसी धारा 504 कब लगती है - मुख्य बिंदु

एक व्यक्ति को इस आईपीसी धारा 504 के तहत तब अपराधी माना जाता है जब वो इस तरह के अपराध को करने वाली सभी शर्तों को पूरा करता है। जो की इस प्रकार हैं:-

  • यदि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर दूसरे व्यक्ति का अपमान किया है।
  • व्यक्ति की नीयत ऐसी होनी चाहिए जिससे अपमान करने वाले व्यक्ति को भड़काने की संभावना हो।
  • अपराध करने वाले व्यक्ति को इस बात का ज्ञान होता है कि इस प्रकार के उकसावे से सामने वाला व्यक्ति शांति भंग करेगा, व इस तरह से अपमान करने से सामने वाला व्यक्ति कोई ना कोई अपराध करेगा।

IPC 504 में अपमान शब्द का मतलब

“अपमान” शब्द का क्या अर्थ है। किसी व्यक्ति द्वारा शब्दों का इस तरह से उपयोग करना जिससे सामने वाले व्यक्ति को ठेस पहुँच सकती है उसे अपमान करना कहा जाता है। इस धारा के किसी व्यक्ति पर लागू होने के लिए अपमान शब्द का बहुत महत्व है। क्योंकि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को अपमानित करता है तो वो IPC Section 504 के तहत दोषी बन जाता है।

जहां दो व्यक्ति एक दूसरे के साथ बहस करते हैं और बाद में उनमें से एक व्यक्ति जानबूझकर दूसरे के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग करना शुरू कर देता है। यह अधिनियम उस व्यक्ति पर धारा 504 के तहत आरोप लगाने के लिए पर्याप्त है जो जानबूझकर ऐसी भाषा का उपयोग करता है, क्योंकि यह उक्त प्रावधान (Provision) के अनुसार अपमान को दर्शाता है।


धारा 504 के अपराध का उदाहरण

पंकज और अरुण दोनों एक ही ऑफिस में काम करने वाले दो दोस्त होते है। रोजाना कि तरह दोनों एक दिन सुबह ऑफिस जाते है तो वहाँ पर दोनों का किसी बात को लेकर झगड़ा हो जाता है। इसी कारण दोनों की दोस्ती टूट जाती है और दोनों एक दूसरे से नफरत करने लग जाते है। एक दिन ऑफिस की पार्टी में पंकज जानबूझकर अरुण का अपमान करने के लिए व उसको उकसाने के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करने लग जाता है।

जिस कारण अरुण को बहुत गुस्सा आता है। अरुण पंकज को मारने के लिए आगे बढ़ता है इतने में ही ऑफिस के लोग उसे रोक लेते है। और लड़ाई होने से बच जाती है। लेकिन उस बात के कारण अरुण खुद को बहुत अपमानित महसूस करता है। जिस कारण अगले ही दिन अरुण पंकज के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर देता है। पुलिस अरुण की शिकायत पर पंकज के खिलाफ शांति भंग (breach of peace) करने के इरादे से अपमान करने की आईपीसी धारा 504 के तहत FIR दर्ज कर लेती है व आगे की कार्यवाही करती है।

धारा 504 में सजा – IPC 504 Punishment in Hindi

आईपीसी की धारा 504 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर शांति भंग करने के इरादे से किसी का अपमान करता है। तो पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति के खिलाफ न्यायालय में केस दर्ज होने के बाद कार्यवाही की जाती है। यदि पीड़ित पक्ष का वकील न्यायालय में आरोपी के खिलाफ यह साबित कर देता है कि आरोपी ने यह अपराध जानबूझकर किया है। तो न्यायालय द्वारा IPC Section 504 का दोषी पाये जाने पर अपराधी को 2 वर्ष तक की कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।

जमानत का प्रावधान – IPC 504 is Bailable or Not?

आई पी सी की धारा 504 के अधिनियम के तहत ये एक गैर-संज्ञेय (Non- Cognizable) श्रेणी का अपराध माना जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि जिस मामले में किसी व्यक्ति पर IPC 504 लगाई जाती है। उसे पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता है और गिरफ्तारी के लिए न्यायालय की अनुमति लेनी होती है। साथ ही, यह एक जमानती अपराध (Bailable Offence) हैं। इसलिए इस केस में आरोपी को जमानत मिलने में किसी तरह की मुश्किल नहीं आती। यह किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।

IPC Section 504 के तहत किया गया अपराध आपसी समझौता (Compoundable) करने योग्य है। यदि शिकायतकर्ता आरोपी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को वापिस लेने के लिए सहमत हो जाता है। तो आरोपी आगे की कार्यवाही व उसके बाद मिलने वाली सजा से बच जाता है। इसलिए इस केस में भी आपको वकील (Lawyer) की आवश्यकता पड़ती है। जो आपको कानूनी सलाह (Legal Advice) देगा और पीड़ित व्यक्ति के साथ समझौता कराने में भी आपकी मदद करेगा।


आईपीसी धारा 504 के अपराध से संबंधित कुछ अन्य धाराएं:-

भारतीय दंड संहिता की अन्य कुछ ऐसी सेक्शन भी है जिन्हें परिस्थितियों के आधार पर IPC Section 504 के साथ किसी व्यक्ति पर लागू किया जा सकता है। आइये जानते है ऐसी ही कुछ संबधित धाराओं के बारे में।

  • IPC Section 506 - आपराधिक धमकी:- इसमें आपराधिक धमकी के बारे में बताया गया है। यदि सैक्शन 504 के तहत किए गए अपमान से किसी व्यक्ति के जीवन, संपत्ति या प्रतिष्ठा के लिए आपराधिक खतरा शामिल है, तो धारा 504 और धारा 506 दोनों लागू की जा सकती हैं।
  • IPC Section 499 - मानहानि:- मानहानि का मतलब गलत बयान देना हैजो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। यदि धारा 504 के तहत अपमान में झूठे बयान शामिल हैं जो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं, तो उस व्यक्ति पर धारा 504 के अलावा धारा 499 के तहत मानहानि का आरोप लगाया जा सकता है।
  • IPC Section 107 - किसी चीज़ के लिए उकसाना: यदि कोई व्यक्ति IPC Section 504 के तहत किसी अन्य व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाता या प्रोत्साहित करता पाया जाता है, तो उस पर धारा 107 के तहत उकसाने का आरोप भी लगाया जा सकता है।
  • IPC Section 509 - किसी महिला की गरिमा का अपमान करना: ऐसे मामलों में जहां किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से अपमान किया जाता है, धारा 504 के साथ-साथ धारा 509 भी लगाई जा सकती है।
  • IPC Section 323 - स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा: यदि धारा 504 के तहत अपमान एक शारीरिक विवाद में बदल जाता है और पीड़ित को चोट या चोट पहुंचाता है, तो धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) लागू की जा सकती है।
  • IPC Section 34 - सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य: यदि कई व्यक्ति जानबूझकर अपमान में शामिल हैं, और उनके कार्य शांति भंग करने के लिए उकसाने के एक सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में हैं, तो धारा 34 लागू किया जा सकता है।

IPC Section 504 में बचाव के लिए सावधानियां

भारतीय दंड संहिता के द्वारा बनाए गए कानूनों द्वारा सभी लोगों को सम्मान पूर्वक अपने जीवन को जीने का अधिकार दिया जाता है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचाने का कार्य करता है। तो वह इस अपराध के तहत आरोपी बन जाता है।

कुछ केसों में तो यह भी देखा जाता है कि कुछ लोग किसी दूसरे व्यक्ति को झूठे केसों में भी फँसाने के लिए इस धारा का उपयोग करते है। तो ऐसे में IPC 504 से बचाव के लिए कुछ बातों का जानना आपके लिए बहुत ही जरुरी है। आइये जानते है ऐसी ही कुछ जरुरी बातों के बारे में।

  • यदि कभी भी हमारा झगड़ा किसी के साथ हो जाता है तो उसके लिए कभी-भी इतने गंदे शब्दों का प्रयोग ना करें। जिसकी वजह से वो आपको कोई गंभीर हानि पहुँचा दे।
  • कभी भी किसी व्यक्ति का अपमान करने के लिए या उसकी शांति भंग करने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के सामने उसकी बुराई कभी ना करें।
  • लोगों के हित के लिए बनाए गए कानूनों का कभी भी गलत इस्तेमाल ना करें।
  • यदि आप पर किसी ने IPC Section 504 के तहत झूठे आरोप (False blames) लगाकर आपको फँसाने की कोशिश की है तो ऐसे हालात में ड़रे नहीं बल्कि समझदारी से फैसले ले और हमारे काबिल वकील की मदद ले

धारा 504 के तहत यदि कोई आप पर झूठा आरोप लगाता है तो उसको कोर्ट के सामने यह साबित करना पड़ेगा कि आपने ऐसा कोई अपराध किया है। इसलिए यदि आपने कोई अपराध नहीं किया होगा तो आप आसानी से न्यायालय द्वारा निर्दोष साबित कर दिए जाओगे।

धारा 504 के तहत दर्ज मुकदमे में ट्रायल प्रक्रिया

धारा 504 के तहत दर्ज एक मामले में परीक्षण प्रक्रिया किसी भी अन्य आपराधिक मामले के समान है।

1. प्रथम सूचना रिपोर्ट: दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत, एक प्राथमिकी या प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाती है। एफआईआर मामले को गति देती है। एक एफआईआर किसी को (व्यथित) पुलिस द्वारा अपराध करने से संबंधित जानकारी दी जाती है।

2. जांच: एफआईआर दर्ज करने के बाद अगला कदम जांच अधिकारी द्वारा जांच है। जांच अधिकारी द्वारा तथ्यों और परिस्थितियों की जांच, साक्ष्य एकत्र करना, विभिन्न व्यक्तियों की जांच, और लिखित में उनके बयान लेने और जांच को पूरा करने के लिए आवश्यक अन्य सभी कदमों के द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है, और फिर उस निष्कर्ष को पुलिस या मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाता है।

3. चार्ज: यदि पुलिस रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर विचार करने के बाद आरोपी को छुट्टी नहीं दी जाती है, तो अदालत आरोपों के तहत आरोपित करती है, जिसके तहत उस पर मुकदमा चलाया जाना है। एक वारंट मामले में, लिखित रूप से आरोप तय किए जाने चाहिए।

4. जुर्म कबूलने का अवसर : सीआरपीसी की धारा 241, 1973 दोषी की याचिका के बारे में बात करती है, आरोपों के निर्धारण के बाद अभियुक्त को जुर्म कबूलने का अवसर दिया जाता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधीश के साथ जिम्मेदारी निहित है कि अपराध की याचिका थी स्वेच्छा से बनाया गया। न्यायाधीश अपने विवेक से आरोपी को दोषी करार दे सकता है।

5. अभियोजन साक्ष्य: आरोप तय किए जाने के बाद, और अभियुक्त दोषी नहीं होने की दलील देता है, तो अदालत को अभियोजन पक्ष को अभियुक्त के अपराध को साबित करने के लिए सबूत पेश करने की आवश्यकता होती है। अभियोजन पक्ष को अपने गवाहों के बयानों के साथ उसके साक्ष्य का समर्थन करना आवश्यक है। इस प्रक्रिया को "मुख्य रूप से परीक्षा" कहा जाता है। मजिस्ट्रेट के पास किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में समन जारी करने या किसी भी दस्तावेज का उत्पादन करने का आदेश देने की शक्ति है।

6. अभियुक्त का बयान: आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 से अभियुक्त को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को सुनने और समझाने का अवसर मिलता है। शपथ के तहत अभियुक्तों के बयान दर्ज नहीं किए जाते हैं और मुकदमे में उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।

7. प्रतिवादी साक्ष्य: अभियुक्त को ऐसे मामले में अवसर दिया जाता है, जहां उसे उसके मामले का बचाव करने के लिए बरी नहीं किया जाता है। रक्षा मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य दोनों का उत्पादन कर सकती है। भारत में, चूंकि सबूत का बोझ अभियोजन पक्ष पर है, सामान्य तौर पर, बचाव पक्ष को कोई सबूत देने की आवश्यकता नहीं है।

8. निर्णय: अभियुक्त को दोषमुक्त या दोषी ठहराए जाने के समर्थन में दिए गए कारणों के साथ अदालत द्वारा निर्णय दिया जाता है। यदि अभियुक्त को बरी कर दिया जाता है, तो अभियोजन पक्ष को अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का समय दिया जाता है।

धारा 504 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय

1.श्रीखंडे बनाम महाराष्ट्र राज्य (2013)
फियोना श्रीखंडे बनाम महाराष्ट्र राज्य (2013) के मामले में, यह माना गया कि जानबूझकर अपमान इस हद तक होना चाहिए कि यह किसी व्यक्ति को जनता को तोड़ने के लिए उकसाए। शांति या किसी अन्य अपराध के कमीशन में लिप्त। केवल गाली देने से अपराध के तत्व संतुष्ट नहीं होते हैं।

2.
रमेश कुमार बनाम श्रीमती। सुशीला श्रीवास्तव (1996)
रमेश कुमार बनाम श्रीमती में। सुशीला श्रीवास्तव (1996), राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि जिस तरह से आरोपी ने शिकायतकर्ता को संबोधित किया वह प्रथम दृष्टया ऐसा था जिसमें यह दर्शाया गया है कि उस व्यक्ति का अपमान किया गया था और उसे उकसाया गया था। 'अपमान' शब्द का अर्थ है, या तो अपमानजनक व्यवहार करना या व्यक्ति को अपमानित करना। यह अनुमान केवल शब्दों से नहीं, बल्कि उस स्वर से और जिस तरीके से बोला जाता है, उससे निकाला जाना है।

3.
अब्राहम बनाम केरल राज्य (1960) अब्राहम बनाम केरल राज्य (1960)
के मामले में, केरल उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि केवल अच्छे शिष्टाचार का उल्लंघन खंड के दायरे में नहीं आता है। अपराध का अनिवार्य घटक अपराधी के इरादे का पता लगाना है।

4.
फिलिप रंगेल बनाम सम्राट (1931)
फिलिप रंगेल बनाम सम्राट (1931) में, आरोपी एक बैंक में एक शेयरधारक था और शेयरधारकों के लिए एक बैठक की आवश्यकता थी। बैठक में, यह प्रस्तावित किया गया था कि उसे निष्कासित कर दिया जाना चाहिए। अभद्र शब्दों का उच्चारण कर आरोपी ने इस पर प्रतिक्रिया दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शब्दों को 'मात्र मौखिक दुरुपयोग' से अधिक कुछ होना चाहिए। यदि जानबूझकर अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि अभियुक्तों का कोई इरादा नहीं था तो उन शब्दों को 'अपमानजनक रूप से' लिया जाना चाहिए जिनके द्वारा इसे संबोधित किया गया था।

5.
राम चंद्र सिंह बनाम नबरंग राय बर्मन (1998)
राम चंद्र सिंह बनाम नबरंग राय बरम (1998) के मामले में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी ने अपनी छत पर एक चारदीवारी बनाई थी। जब शिकायतकर्ता ने विरोध किया, तो उसके साथ गंदी भाषा का दुरुपयोग किया गया। न्यायालय ने माना कि क्या इस धारा के तहत केवल दुर्व्यवहार अपराध की राशि होगी, यह विभिन्न कारकों पर निर्भर है जैसे कि पार्टियों की स्थिति, दुरुपयोग की प्रकृति और कई अन्य कारक। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल आमतौर पर पक्षकार झगड़े में करते हैं और इसलिए इस प्रावधान के तहत अपराध की राशि नहीं है।

6.
देवी राम बनाम मुलख राज (1962)
यह आवश्यक नहीं है कि इस खंड के आवेदन के लिए शांति का वास्तविक उल्लंघन होना चाहिए। आवश्यक तत्व अपराधी का इरादा शांति भंग करने के लिए उकसाना है या उसे इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि उसके उकसावे से अपराध का अंदेशा है। यह सिद्धांत देवी राम बनाम मुलख राज (1962) के मामले में देखा गया था।

7.
मोहम्मद इब्राहिम माराकेयार बनाम इस्माइल माराकेयार (1949)
मोहम्मद इब्राहिम माराकेयार बनाम इस्माइल माराकेयार (1949) में, वेल्लोर में रहने वाले एक पिता ने अपनी बेटी और उसके पति के लिए एक अपमानजनक पत्र लिखा था। न्यायालय ने माना कि अपमानित व्यक्ति की प्रतिक्रिया पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। एक जानबूझकर अपमान जो उत्तेजना को बढ़ावा देगा और बाद में शांति भंग होने पर अपराधी को इस धारा के तहत उत्तरदायी ठहराया जाएगा।

धारा 504 के तहत एक वकील एक मामले में आपकी कैसे मदद कर सकता है?

अपराध के साथ आरोपित होना, चाहे प्रमुख हो या नाबालिग, एक गंभीर मामला है। आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले व्यक्ति को गंभीर दंड और परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जैसे कि जेल का समय, आपराधिक रिकॉर्ड होना और रिश्तों की हानि और भविष्य की नौकरी की संभावनाएं, अन्य बातों के अलावा। जबकि कुछ कानूनी मामलों को अकेले ही संभाला जा सकता है, किसी भी प्रकृति के आपराधिक गिरफ्तारी वारंट एक योग्य आपराधिक वकील की कानूनी सलाह है जो आपके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और आपके मामले के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुरक्षित कर सकते हैं।
यदि आप आपराधिक अभियोजन का सामना कर रहे हैं, तो एक आपराधिक वकील आपको समझने में मदद कर सकता है:

  • दायर आरोपों की प्रकृति;

  • कोई भी उपलब्ध बचाव;

  • क्या दलील दी जा सकती है; तथा

  • परीक्षण या दोषी होने के बाद क्या अपेक्षित है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के तहत जघन्य अपराध के रूप में आरोपित होने पर आपकी मदद करने के लिए आपकी ओर से एक आपराधिक वकील होना महत्वपूर्ण है।

टेस्टिमोनियल

1. “मेरे पड़ोसी ने हमारे पास एक गर्म तर्क पर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत एक फर्जी मामला दर्ज किया। उसने ऐसा आभास कराया जैसे मैं एक अनसुलझे मुद्दे के संबंध में उसे डराने की कोशिश कर रहा हूं जो 7 साल से अधिक समय से चल रहा था। हालाँकि, जब भी अदालत की तारीख होने वाली थी, वह कभी पेश नहीं हुआ और उक्त आरोपों को साबित करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत भी नहीं थे। हमारे विशेषज्ञ आपराधिक वकील की मदद से हम अपने पक्ष में पूर्व पक्षपाती आदेश प्राप्त करने में सक्षम थे।

-अंशुल चुघ

2. “मैं एक 23 वर्षीय छात्र हूं, मेरे परिवार के कुछ सदस्यों के साथ समस्या हो रही थी क्योंकि वे लगातार अपनी संपत्ति के माध्यम से सार्वजनिक पानी के कनेक्शन पाइप लाइन के लिए हमें गाली दे रहे थे। हमने स्थानीय पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक लिखित शिकायत की, हालांकि, उन्होंने इसे जारी रखा और इस बार और अधिक आक्रामक तरीके से। जब मैं परिवार के मुखिया से बात करने के लिए उनके घर गया, तो उनके 21 साल के बेटे ने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए और हमारी थोड़ी लड़ाई हुई। हम दोनों को कोई गंभीर चोट नहीं पहुंची और भीड़ की वजह से भी वही देखा गया। इस बार दोनों परिवार पुलिस स्टेशन गए और बेटे ने मेरे खिलाफ आईपीसी सेक्शन 323 और 504 के तहत गैर-संज्ञेय अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराई। हम उसके खिलाफ आईपीसी धारा 323 और 504 के तहत एक ही मामला एक काउंटर केस के रूप में दर्ज करते गए। हम दोनों ने उसके बाद मेडिकल टेस्ट किया और घर चले गए।न्यायालय द्वारा समुचित परीक्षण करने पर, यह निष्कर्ष निकाला गया कि पड़ोसी के बेटे द्वारा अधिनियम शुरू किया गया था और राहत हमारे पक्ष में दी गई थी।

-चंदन भाटिया

3. “मेरी पत्नी ने घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 504, 506 भारतीय दंड संहिता के तहत एक फर्जी मामला दर्ज किया। शादी से पहले से ही वह एक अफेयर में रही हैं और मुझे इसके बारे में तब पता चला जब मैंने गलती से उन्हें अपने प्रेमी के साथ फोन पर बात करते हुए सुन लिया। जब मैंने उसका सामना किया तो उसने हमारे खिलाफ फर्जी बातों का आरोप लगाना शुरू कर दिया और मुझे और मेरे भाई को हमारे खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज का मामला दर्ज करने की धमकी दी। हमने तुरंत Lawrato.com के एक वकील से सलाह ली, जिन्होंने हमें सही तथ्य बताते हुए एक काउंटर दावा दायर करने की सलाह दी। जब सुनवाई के दौरान अदालत ने जांच की तो पता चला कि उसने हमारे खिलाफ एक फर्जी मुकदमा दायर किया था। इस प्रकार, हमें अदालत ने बरी कर दिया था और वह फर्जी मुकदमा दायर करने के लिए दंडित किया गया था।

-भरत ठाकुर

4. “मैं एक UPSC परीक्षा का अभिलाषी हूँ और मैं अपने कोचिंग सेंटर के अपने एक सहपाठी के साथ मौखिक लड़ाई में जुट गया जो मुझे चीर देने की कोशिश कर रहा था। कोचिंग सेंटर के बाहर अकेले पाए जाने पर उसने और उसके दोस्तों ने मुझे पीटने की धमकी दी। मैं उग्र हो गया और तुरंत एक वकील से बात की, जिसने मुझे उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और 506 के तहत मामला दर्ज करने की सलाह दी। मैंने सलाह दी और पुलिस द्वारा जांच करने पर उन्हें दोषी पाया गया और अदालत ने दंडित किया। "

-अरुणिम आनंद

Offence : शांति भंग भड़काने का इरादा अपमान


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 504 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 504 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 504 अपराध : शांति भंग भड़काने का इरादा अपमान



आई. पी. सी. की धारा 504 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 504 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 504 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 504 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 504 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 504 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 504 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 504 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 504 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 504 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।