वारंट क्या होता है - प्रकार, गिरफ्तारी नियम, प्रारूप, अवधि | Warrant in Hindi



अगर आप कानूनी मुद्दों से जुड़े सवालों को खोज रहे है तो आपने वारंट के बारे में तो जरुर सुना होगा। आज के लेख द्वारा हम कानून के इसी विषय पर ही आपको सारी जानकारी देंगे। वारंट एक कानूनी दस्तावेज (Legal document) होता है जिसे अदालत (Court) द्वारा जारी किया जाता है। वारंट के अलग-अलग प्रकार होते है जैसे - Arrest Warrant, Search Warrant आदि। इन सभी प्रकार के वारंट के पीछे एक कानूनी प्रक्रिया (Legal process) होती है, इसलिए आज हम वारंट से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब देंगे कि वारंट क्या होता है? ये कितने प्रकार का होता है? जमानती और गैर जमानती वारंट क्या होते है? वारंट कब जारी होता है?

इस लेख में, हम वारंट के विभिन्न प्रकारों, उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे और इसे समझने के लिए उदाहरण देंगे ताकि आप वारंट से जुड़ी सभी जरुरी बातों के बेहतर ढंग से समझ सकें। इसलिए इस कानूनी प्रक्रिया को समझने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढे।


विषयसूची

  1. वारंट क्या होता है - What is Warrant in Hindi
  2. जमानत के आधार पर वारंट प्रकार
  3. किसी के लिए वारंट कब जारी किया जाता है
  4. वारंट कितने प्रकार के होते है - Type of Warrant in Hindi
  5. जमानती वारंट (Bailable warrant)
  6. गैर जमानती वारंट (Non bailable warrant)
  7. NBW वारंट क्या होता है ?
  8. क्या पुलिस बिना Arrest Warrant के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है ?
  9. Warrant में क्या लिखा होता है - वारंट का प्रारूप
  10. वारंट की अवधि - Warrant Duration in Hindi
  11. समन और वारंट में क्या अंतर होता है?
  12. वारंट रिकाल क्या होता है - Warrant recall in Hindi
  13. क्या वारंट जारी होने के बाद अग्रिम जमानत दायर की जा सकती है?


वारंट क्या होता है - What is Warrant in Hindi

वारंट एक कानूनी दस्तावेज होता है जो किसी व्यक्ति को अपराध के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है। यह दस्तावेज न्यायधीश के द्वारा जारी किया जातै है और इसमें आपराधिक कारवाई करने के लिए जाने वाले स्थान और समय का उल्लेख होता है। इसके अलावा, कई अन्य कानूनी दस्तावेज भी होते है जो कानूनी आदेशों, निर्देशों या न्यायिक निर्णयों को जारी करने के लिए उपयोग किए जाते है।



वारंट कितने प्रकार के होते है - Type of Warrant in Hindi

  1. अरेस्ट वारंट (Arrest warrant):- आप में से बहुत से लोग का यह भी सवाल भी रहता है कि Arrest Warrant क्या होता है? Arrest warrant को ही हिन्दी में गिरफ्तारी वारंट कहा जाता है, यह वारंट एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जारी किया जाता है। इस वारंट को एक न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता है। जब उन्हें इस बात का प्रमाण (Evidence) मिलता है कि वह व्यक्ति किसी अपराध मे शामिल होता है या उसने कोई अपराध किया है।
  2. सर्च वारंट (Search warrant) :-  यह वारंट एक व्यक्ति के घर, आँफिस या अन्य स्थानों की छानबीन (investigation) के लिए जारी किया जाता है। Search Warrant को भी न्यायधीश या मजिस्ट्रेट (judge or magistrate) जारी करता है। जब उन्हें इस बात का प्रमाण मिलता है कि कोई व्यक्ति अपराध के बारे मे कुछ जानता है या उस अपराध से किसी भी प्रकार से जुड़ा हुआ है और उसके पास साक्ष्य या संबंधित सामग्री (Evidence or related material) हो सकती है।
  3. उपस्थिति वारंट (Appearance warrant) :- यह अदालत द्वारा जारी किया जाने वाला एक ऐसा आदेश होता है जो किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित होने के लिए बुलाता है अथार्त जिस व्यक्ति के लिए यह जारी किया जाता है तो उस व्यक्ति को वारंट मे दिए गए समय तक पहुँचना होता है।


जमानत के आधार पर वारंट प्रकार



जमानती वारंट (Bailable warrant)

जमानती वारंट न्यायालय (Court) द्वारा जारी किया गया एक ऐसा आदेश (Court Order) होता है जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार (Arrest) करने के लिए जारी किया जाता है, लेकिन इसके द्वारा उस व्यक्ति को जमानत (bail) पर छोड़ दिए जाने की भी अनुमति देता है। इस तरह के वारंट को जमानती वारंट कहा जाता है, क्योंकि इसमें जमानत के लिए दी गई शर्त के अनुसार व्यक्ति को रिहा करने की अनुमति होती है। इसका मकसद होता है कि आरोपी (Accused) को गिरफ्तार करने के बाद भी उसके अधिकारों (Rights) का ध्यान रखा जाए और उसकी आजादी को संरक्षित रखा जाए।

Bailable Warrant के लिए जमानत की कुछ जरुरी शर्तें तय की जाती है जिसे पूरा करने पर आरोपी को जमानत पर छोड़ दिया जाता है।



गैर जमानती वारंट (Non bailable warrant)

गैर जमानती वारंट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है और उसे जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता है। इस तरह के वारंट को गैर जमानती वारंट कहा जाता है क्योंकि जब यह जारी किया जाता है, तब उस आरोपी को रिहा करने के लिए कोई जमानत नहीं दी जाती है। इस तरह के वारंट का जारी होना आमतौर पर गंभीर अपराधों की जांच या अन्य संबंधित मामलों में होता है। जब एक Non Bailable warrant जारी किया जाता है,तो आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाते है और उसे अदालत में पेश किया जाता है।



NBW वारंट क्या होता है ?

NBW वारंट का पूरा नाम Non bailable warrant ही होता है जिसे हिन्दी मे गैर -जमानती वारंट कहा जाता है, लेकिन कुछ लोग NBW Warrant लिखा होने के कारण इसमें विचलित हो जाते है।



किसी के लिए वारंट कब जारी किया जाता है

वारंट जारी होने पर किसी भी व्यक्ति के लिए एक भय पैदा कर देता है, जिससे उन्हे अपनी गिरफ्तारी का ड़र लगने लगता है। वारंट कब जारी किया जाता है आइये इस प्रक्रिया को आसानी से समझने का प्रयास करते है।

वारंट जारी करना एक कानूनी प्रक्रिया होती है और इसे नियमों और विधियों के अनुसार संचालित किया जाता है Warrant कब जारी किया जाता है, इसका निर्धारण न्यायाधीश द्वारा किया जाता है जब वह अपराध (Crime) के संदिग्ध (Suspect) होने के आधार पर अपराधी के खिलाफ कारवाई करने के लिए आवश्यक समझता हो।

वारंट को जारी करने के लिए आमतौर पर अपराध के संदिग्ध होने की संभावना या आवश्यकता पर आधारित होती है। इसलिए वारंट कब जारी किया जाता है, इसका निर्धारण अपराध के प्रकार (Type of Crime) संदिग्ध की संख्या (No of Suspects), अपराध के स्तर (Crime Level) आदि के आधार पर किया जाता है।



क्या पुलिस बिना Arrest Warrant के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है ?

जाी हाँ भारत में पुलिस वारंट के बिना भी किसी को गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ विशेष मामलों मे होता है विशेष मामलों के लिए कुछ शर्तें होती है।

भारतीय दंड संहिता (Indian penal code) के अनुसार अधिकारियों को कुछ अवस्थाओं में बिना वारंट के गिरफ्तार करने की अनुमति (Permission to Arrest Without warrant) होती है जो की इस प्रकार है:-

  • किसी अपराध के संबंध में संदिग्ध व्यक्ति का पता लगाना जिसे गिरफ्तार किया जाना होता है।
  • अपराध के दौरान पुलिस अधिकारी को उस व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार करने की आवश्यकता होती है जो अपराध को मौके पर ही कर रहा होता है।
  • यदि कोई व्यक्ति अपनी गिरफ्तारी के बाद भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंण्डित होता है तो उसे बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है। अथार्त किसी आरोपी का अपराध सिद्ध हो जाता है और न्यायालय उसे दंड़ दे देता है तो उसे पुलिस द्वारा तुरन्त गिरफ्तार कर लिया जाता है।
  • इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति अपराध के दौरान वारंट जारी होने से पहले भागने कि कौशिश करता है,तो पुलिस (Police) उसे बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।

परन्तु सामान्य मामलों मे पुलिस किसी भी व्यक्ति को Warrant के बिना के गिरफ्तार नही कर सकती।



Warrant में क्या लिखा होता है - वारंट का प्रारूप

  • न्यायाधीश या अधिकारी के द्वारा प्रमाणित होना (To be certified by a judge or officer) :-  वारंट उस अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए जिसके पास वारंट जारी करने के विशेष शक्ति (Special power to issue warrants) होती है, जैसे न्यायाधीश (Judge) या अन्य अधिकारी।
  • आरोपी का नाम और पता (Name And address of Accused) :-  इसमें आरोपी का नाम और पता शामिल होना चाहिए ताकि आरोपी की पहचान की जा सकें।
  • अपराध का विवरण (Crime description) :-  अपराध का विवरण होना चाहिए ताकि आरोपी को यह पता चल सके कि उसे किस अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है।
  • वारंट जारी करने की तारीख (Warrant issue date):-   वारंट में उसके जारी करने की तारीख शामिल होनी चाहिए ताकि आरोपी को पता चल सके कि कब उसे गिरफ्तार किया जाना है।
  • वारंट जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर (Signature of officer issuing Warrant) :-  वारंट में जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए।


वारंट की अवधि - Warrant Duration in Hindi

वारंट की अवधि या वारंंट कब तक जारी रहता है यह विभिन्न कारणों और विधियों के अनुसार अलग-अलग होती है। अधिकांश मामलों में, एक वारंट की अवधि उसे जारी किए जाने की तारीख से शुरु होती है और वारंट पर लिखा होता है कि यह कब तक मान्य होगा।

Bailable warrant की अवधि के मामले में, जब आरोपी गिरफ्तार होता है, तब उसे जमानत या पैसे जमा करने के लिए कुछ दिनों का समय दिया जाता है ताकि वह अपने अगले न्यायिक तर्कों की सुनवाई के लिए तैयार हो सके।  

वही नाँन बेलेबल (Non- Bailable) वारंट की अवधि के मामले में, Warrant को जारी किए जाने के बाद आरोपी को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए और जो दिनांक उसमे लिखा हुआ होता है, उसी दिनांक तक वह अरेस्ट होना चाहिए।

इन अवधियों के अलावा, कई अन्य मामलों में वारंट की अवधि की विशेष निर्धारण नहीं होती है और इसके बारे में दिशानिर्देश स्थानों पर विशेष विधि नहीं होती है।'



समन और वारंट में क्या अंतर होता है?

समन और वारंट दोनों को अदालत द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन इन दोनों में अंतर होता है।

  • समन :- समन एक ऐसा आदेश होता है जो किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित होने के लिए बुलाता है। यह अदालत द्वारा जारी किया जाता है और इसमें यह बताया जाता है कि किसी व्यक्ति को अदालत में उपस्थित होना होगा ताकि वह अपनी गवाही दे सके या फिर कोई अन्य आदेश का पालन कर सके।
  • वारंट:- वारंट को भी अदालत द्वारा जारी किया जाता है, लेकिन इसमें समन से अंतर होता है। वारंट एक ऐसा आदेश होता है जिसे किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए जारी किया जाता है। वारंट को जारी करने से पहले अधिकारी को आधिकारिक तौर पर जाँच करनी होती है जिसके बाद Court Warrant जारी करता है।

पढ़े - समन क्या होता है? समन से जुडी पूरी जानकारी



वारंट रिकाल क्या होता है - Warrant recall in Hindi

जब भी कोई वारंट जारी किया जाता है और उसके बाद अगला आदेश जारी होने से पहले, वारंट को रद्द करने के लिए एक आदेश जारी किया जाता है जिसको “वारंट रिकॉल" कहा जाता है। यह न्यायालय (Court) द्वारा जारी किया जाता है और इसका उद्देश्य वारंट को रद्द करना होता है ताकि उस आदेश के अनुसार गिरफ्तारी न हो।

“Warrant recall" आमतौर पर उस स्थिति में जारी किया जाता है जब वारंट जारी करने के लिए गलत जानकारी दी गई हो या जब वारंट को रद्द करने के लिए कोई अन्य उचित कारण हो। वारंट रिकाल के बाद आरोपी को अब उस वारंट के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।



क्या वारंट जारी होने के बाद अग्रिम जमानत दायर की जा सकती है?

हाँ वारंट जारी होने के बाद भी अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) दायर की जा सकती है। वारंट जारी होने से केवल आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया जाता है। यदि आप वारंट जारी होने के बाद भी चाहते है कि आपको जमानत दी जाए, तो आप अपने वकील (Advocate) के माध्यम से अग्रिम जमानत दायर कर सकते है। अग्रिम जमानत का मकसद होता है कि आप गिरफ्तार होने के बाद भी अपनी आजादी का आजादी का आनंद उठा सकें।


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