धारा 107 आईपीसी - IPC 107 in Hindi - सजा और जमानत - किसी बात का दुष्प्रेरण

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 107 का विवरण
  2. भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण करना)
  3. दुष्प्रेरण क्या और कैसे होता है
  4. दुष्प्रेरण के लिए आवश्यक तत्व
  5. दुष्प्रेरण के लिए सजा का प्रावधान
  6. धारा 107 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

धारा 107 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 107 के अनुसार

वह व्यक्ति किसी चीज़ के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो -

  1. उस चीज़ को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा

  2. उस चीज़ को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षडयंत्र के अनुसरण में, कोई कार्य या अवैध चूक होती है; अथवा

  3. उस चीज़ के किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा जानबूझ कर सहायता करता है ।

स्पष्टीकरण 1-- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर दुर्व्यपदेशन या तात्विक तथ्य द्वारा, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छा से किसी चीज़ का किया जाना कारित करता है अथवा कारित करने का प्रयत्न करता है, तो उसे उस चीज़ को करने के लिए उकसाना कहा जाता है ।


भारतीय दंड संहिता की धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण करना)

भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण के अपराध के बारे में समझाया है, दुष्प्रेरण का शाब्दिक अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए, और यदि वह व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है, तो उसे वह कार्य करने से रोकने के लिए उकसाना या प्रेरित करना होता है। सामान्यतः किसी व्यक्ति को किसी कार्य के लिए उकसाना कोई अपराध नहीं माना जाता है, किन्तु जब ऐसे किसी दुष्प्रेरण में कोई गैर क़ानूनी तत्त्व आ जाता है, तो ऐसा दुष्प्रेरण एक अपराध की श्रेणी में आ जाता है। भारतीय दंड संहिता में दुष्प्रेरण के कई प्रकारों को समझाया गया है, और दुष्प्रेरण के अपराध के साथ - साथ इस अपराध की सजा के बारे में भी बताया गया है।


दुष्प्रेरण क्या और कैसे होता है

भारतीय दंड संहिता की धारा 107 में दुष्प्रेरण की परिभाषा को कई उदाहरणों के साथ समझाया गया है, जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से किसी कार्य को करने के लिए उकसाता है, या उस व्यक्ति को दुष्प्रेरण करता है, तो भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह निम्न प्रकार से किया जाता है,

प्रथम
कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी कार्य को करने के लिए उकसाता है।

द्वितीय
उस कार्य को करने के लिए उसे किसी षडयंत्र का रूप दिया जा सकता है, जिसमें संभवतः एक या एक से अधिक व्यक्ति भी सम्मिलित हो सकते हैं, यदि किसी व्यक्ति से कोई कार्य करवाने के लिए एक से एक से अधिक लोग किसी षड़यंत्र का प्रयोग करते हैं।

तृतीय
यदि एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई अवैध या गैर क़ानूनी कार्य करने के लिए कहता है। तो इस कृत्य को भी भारतीय दंड संहिता कि धारा 107 के तहत ही अपराध माना जाता है।


दुष्प्रेरण के लिए आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता कि धारा 107 में वर्णित दुष्प्रेरण के अपराध के लिए कुछ आवश्यक तत्त्व निम्न हैं

  1. किसी व्यक्ति को उकसाना

कानून की भाषा में उकसाने का अर्थ है, किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने के लिए उत्तेजित करना, सक्रीय रूप से किसी कार्य को करने के लिए कोई सुझाव देना, इसके आलावा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संकेत द्वारा प्रेरित करना, फुसलाना, प्रार्थना करना, विनती करना, किसी कार्य को करने या करने से रोकने के लिए उत्साहित करना। परन्तु कोई कार्य दुष्प्रेरण की श्रेणी में केवल तभी आएगा जब वह कार्य स्वयं अपराध हो। दुष्प्रेरण मौन स्वीकृति देने से भी किया जा सकता है।

  1. षडयंत्र

कोई व्यक्ति कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ मिल कर षडयंत्र द्वारा भी दुष्प्रेरण कर सकता है, जब

  1. दो या दो से अधिक व्यक्ति एकत्र हों ,और

  2. वे किसी कार्य के लिए एकत्र हों,

  3. ऐसा कार्य षडयंत्र करके किया गया हो

  4. ऐसा कोई कार्य करने से कोई अवैध या गैर क़ानूनी कार्य हो गया हो

  1. सहायता द्वारा दुष्प्रेरण

  • सहायता करने से दुष्प्रेरण तीन प्रकार से किया जा सकता है

  1. कोई कार्य करके

    • कोई व्यक्ति किसी प्रकार का कार्य करके किसी अपराध के घटित होने में सहायता करता है, तो उस अपराध को कार्य करके सहायता द्वारा दुष्प्रेरण कहा जाता है। उदहारण के लिए कोई व्यक्ति जानते हुए अपना मकान किराये पर दे देता है, कि उसका मकान का उपयोग अवैध कार्यो के लिए किया जायेगा।

  2. अवैध क्रिया करके

    • किसी व्यक्ति का कोई कार्य क़ानूनी ढंग से करने का दायित्व होता है, और वह जान बूझकर वह कार्य गैर क़ानूनी ढंग से करता है, तो ऐसी स्तिथि में वह व्यक्ति दुष्प्रेरण का अपराध करता है।

  3. कार्य को आसान बनाकर

    • दंड संहिता की धारा 107 में वर्णित स्पष्टीकरण 2 इस बात की पुष्टि करता है, कि किसी कार्य को सुगम बनाकर भी दुष्प्रेरण किया जा सकता है।


दुष्प्रेरण के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 109 में दुष्प्रेरण के लिए दंड के प्रावधान का स्पष्टीकरण दिया गया है, जिसके अनुसार जो कोई व्यक्ति किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, और यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति उस दुष्प्रेरित कार्य को दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप करता है, तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय उस अपराध की सजा से दण्डित किया जाता है, जिस अपराध का उस व्यक्ति ने दुष्प्रेरण किया है।


धारा 107 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 107 का अपराध भी अन्य सभी धाराओं की भांति एक बड़ा अपराध है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 109 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जिस अपराध को करने का अपराधी दुष्प्रेरण करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी बात का दुष्प्रेरण करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 109 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।



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