IPC 212 in Hindi - अपराधी को शरण देने की धारा में सज़ा और जमानत
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
- IPC Section 212 in Hindi ? आईपीसी धारा 212 क्या है
- धारा 212 में जमानत ? IPC 212 bailable or not?
- IPC Section 212 के अपराध की मुख्य बातें
- आईपीसी सेक्शन 212 के अपराध का उदाहरण
- धारा 212 में सजा ? Punishment in IPC 212
- आईपीसी की धारा 212 कब लागू नहीं होती?
- IPC Section 212 से संबंधित अन्य कुछ जरुरी धाराए
- IPC Section 212 से बचाव में ध्यान रखने योग्य बातें
- धारा 212 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नमस्कार साथियों हम भारतीय कानून की सभी आवश्यक जानकारियों को आप सभी तक घर बैठे ही पहुँचाने के लिए सदैव प्रयास करते रहते है। इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसी ही कानून (Law) की धारा के बारे में पूरी जानकारी देंगे, आज हम भारतीय दंड संहिता की धारा 212 क्या है (IPC Section 212 in Hindi), ये धारा कब लगती है? इस अपराध के मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है इत्यादि। यदि आप भी इस धारा के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
दोस्तों क्या आप जानते है कि आप अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त की सहायता करके भी कानून की नजरों में दोषी (Guilty) बन सकते है। जी हाँ अकसर दोस्ती या रिश्तेदारी निभाने के लिए हम कुछ ऐसे कार्य भी कर देते है, जो कानून Crime की श्रेणी में आते है। आज के इस लेख द्वारा हमने इसी प्रकार के गुनाहों से जुड़े मामले के बारे में बताया है।
IPC Section 212 in Hindi – आईपीसी धारा 212 क्या है
आईपीसी की धारा 212 के अनुसार बताया गया है कि जो कोई भी किसी ऐसे व्यक्ति को अपने घर में रहने के लिए आश्रय (Shelter) देता है जो किसी प्रकार का अपराध करके उसके घर पर छिपने के लिए आया हो। यदि उस व्यक्ति द्वारा किए गए गुनाह के बारे में जानते हुए भी अपने घर में जगह देता है तो उस व्यक्ति पर IPC Section 212 के तहत केस दर्ज (Court case) कर कार्यवाही की जाती है।
इसे आसान तरीके से समझे तो यदि आपका कोई रिश्तेदार (Relative) किसी Crime को कर देता है, और वो उस अपराध की सजा व पुलिस के द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए आपके घर पर आकर छिप जाता है। इस तरह आप उस रिश्तेदार (Relative) के बारे में यह जानते हुए भी की वो किसी अपराध को करके आया है उसे अपने घर में रहने के लिए अनुमति (Permission) दे देते है, तो पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर आपको सैक्शन 212 के तहत सजा (Punished under section 212) दी जा सकती है।
IPC Section 212 के अपराध की मुख्य बातें
आईपीसी की सैक्शन 212 के अपराध को साबित करने वाली सभी मुख्य बाते इस प्रकार हैं:-
- अपराधी को शरण देना:- सैक्शन 212 Crime करने वाले अपराधी को शरण देने, छुपाने या सुरक्षा देने के कार्य से संबंधित है। शरण देने में अपराधी को पुलिस द्वारा पकड़े जाने से रोकने के लिए आश्रय, सहायता या किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करना शामिल हो सकता है।
- अपराधी के अपराध की जानकारी:- इस धारा के तहत आरोप (Blame) लगाए जाने के लिए, यह आवश्यक है कि अपराधी को आश्रय देने वाले व्यक्ति को यह ज्ञान या जानकारी होना चाहिए। जिस व्यक्ति की वे रक्षा कर रहे हैं वह किसी गुनाह का दोषी है।
- इरादा या जानबूझकर किया गया कार्य:- शरण देने का कार्य जानबूझकर (Intentionally) किया जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, अपराधी (Criminal) को सहायता प्रदान करने वाले व्यक्ति द्वारा यह जानते हुए ऐसा करना चाहिए कि वे किसी ऐसे व्यक्ति की सहायता कर रहे हैं जिसने Crime किया है।
- अपराधी को पकड़े जाने के लिए उत्तरदायी होना चाहिए:- जिस अपराधी को शरण दी जा रही है वह ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो पुलिस द्वारा पकड़े जाने के लिए उत्तरदायी हो। यदि व्यक्ति अपराधी नहीं है या गिरफ्तारी (Arrest) के अधीन नहीं है, तो इस IPC Section के प्रावधान (Provision) लागू नहीं होते हैं।
आईपीसी सेक्शन 212 के अपराध का उदाहरण
एक दिन राहुल को पता चलता है कि उसके मामा के लड़के अमित ने किसी व्यक्ति को गोली मार दी और वो पुलिस से बचने के लिए वहाँ से भाग गया है। कुछ दिन बाद अचानक रात के समय राहुल के घर की घंटी बजती है। राहुल जब दरवाजा खोलकर देखता है तो उसे अमित दिखाई देता है, अमित राहुल से कहता है कि उसके पीछे पुलिस लगी है इसलिए वह राहुल के घर छिपने की अनुमति माँगता है।
राहुल यह जानते हुए भी की अमित ने अपराध किया है, उसे अपने घर में रहने की अनुमति दे देता है। कुछ दिन बाद पुलिस राहुल के घर पर आ जाती है और वहाँ से अमित को गिरफ्तार कर लेती है, अमित के साथ ही पुलिस राहुल को भी अपराधी व्यक्ति को घर में आश्रय देने की धारा 212 के तहत गिरफ्तार (Arrested under section 212 for harboring a criminal) कर लेती है।
धारा 212 में सजा – Punishment in IPC 212
भारतीय दंड संहिता की धारा 212 में दोषी व्यक्ति को सजा को 3 भागों में बताया गया है, आइये जानते है वे तीनों भाग किस प्रकार है।
- यदि अपराधी का किया हुआ अपराध मृत्यु दंड योग्य हो- जिस व्यक्ति को आपने उसके गुनाह के बारे में जानते हुए भी अपने घर में आश्रय दिया है, यदि उसके द्वारा किए गए अपराध की सजा मृत्यु दंड होती है तो आपको 5 साल की जेल (Jail) व जुर्माने (Fine) से दंडित किया जा सकता है।
- यदि अपराधी का अपराध आजीवन कारावास से दंडनीय हो- जिस अपराधी व्यक्ति को आपने अपने घर पर आश्रय दिया है यदि उसने कोई ऐसा गुनाह किया है। जिसकी सजा उसे आजीवन कारावास (life imprisonment) हो सकती है तो आपको उस व्यक्ति को अपने घर में आश्रय देने के जुर्म में 3 वर्ष तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
- यदि अपराध 10 वर्ष या उससे कम की सजा से दंडनीय हो- यदि आपके द्वारा आश्रित अपराधी व्यक्ति ने कोई ऐसा गुनाह किया है। जिसकी सजा उसे 10 वर्ष या उससे कम मिलना तय है तो आपको उसकी सजा के वर्ष की एक चौथाई सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है।
धारा 212 में जमानत – IPC 212 bailable or not?
आईपीसी की धारा 212 के अंतर्गत आने वाला यह अपराध एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) कहलाता है, जिसमें आरोपी पाये जाने वाले व्यक्ति को पुलिस बिना किसी वारंट (Warrant) के भी गिरफ्तार कर सकती है। धारा 212 के जमानती (Bailable) होने के कारण आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) आसानी से मिल जाती है। IPC Section 212 का यह अपराध प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। इस प्रकार के अपराध में किसी भी तरह से समझौता (Non compoundable) नहीं किया जा सकता।
किसी अपराधी व्यक्ति को अपने घर में आश्रय देने के इस जुर्म में भी आपको एक वकील (Lawyer) की आवश्यकता पड़ती है। वकील आपको जमानत दिलाने से लेकर आपके पूरे केस में आपको बचाने की पूरी कोशिश करेगा। इसलिए इस प्रकार के मामलों से बचने के लिए एक वकील की सलाह जरुर लें।
आईपीसी की धारा 212 कब लागू नहीं होती?
यह धारा उस स्थिति में लागू नहीं होती जब कोई पत्नी अपने पति को छिपाती है या कोई पति अपनी पत्नी को छिपाता है। इसलिए यदि किसी महिला के पति ने कोई अपराध किया है और वो अपनी पत्नी के पास आकर छिप जाता है तो उसकी पत्नी पर कोई कार्यवाही नहीं होगी।
यदि कोई व्यक्ति अपराध करके चुपचाप अपने किसी रिश्तेदार के घर जाकर रहने लगता है और उसके द्वारा किए गए अपराध की खबर उसके रिश्तेदार को नहीं होती तो ऐसे मामले में इस IPC Section के तहत कार्यवाही नहीं की जा सकती।
IPC Section 212 से संबंधित अन्य कुछ जरुरी धाराए
- IPC Section 201 - किसी अपराध के सबूतों को गायब करना या गलत जानकारी देना: यह सैक्शन किसी अपराधी को पकड़ने के लिए सबूतों को गायब करने या गलत जानकारी देने के कार्य से संबंधित है। इसे अक्सर Section 212 से जोड़ा जाता है जब कोई किसी Criminal को बचाने के लिए सबूत छुपाता (Evidence hide) है या नष्ट (Destroyed) कर देता है।
- IPC Section 107 - किसी बात के लिए उकसाना: यह सैक्शन किसी Crime को अंजाम देने के लिए उकसाने (Provoke) के मामले से संबंधित है।
- IPC Section 216 - किसी भगोड़े को शरण देना:- यह धारा विशेष रूप से सशस्त्र बलों (Armed Forces) से भगोड़े व्यक्ति को शरण देने के कार्य से संबंधित है। जबकि सैक्शन 212 में सामान्य रूप से अपराधियों को शरण देना शामिल है, Section 216 सशस्त्र बलों से संबंधित है।
- IPC Section 308 - गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास: ऐसे मामलों में जहां कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराधी को शरण दे रहा है जिसने गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) करने का प्रयास किया है। ऐसे मामलों मे इसका प्रयोग किया जा सकता है।
IPC Section 212 से बचाव में ध्यान रखने योग्य बातें
इस धारा से जुड़ी सभी बातों के बारे में पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि कैसे आप किसी Criminal Person को अपने घर में रहने की जगह देकर दोषी बन सकते है। इसी प्रकार हम आपको बताएंगे की कैसे आप ऐसे अपराधों में फंसने से अपना बचाव करें।
- सबसे पहली आवश्यक बात तो यह है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध ना रखे जो किसी भी प्रकार से आपराधिक मामलों से जुड़ा रहता हो।
- अपने घर के सभी सदस्यों को यह बात समझाए कि किसी भी ऐसे व्यक्ति को घर में ना आने दे जो किसी भी प्रकार को कोई गलत कार्य करता हो।
- अकसर कुछ मामलों में देखा जाता है कि कुछ व्यक्ति अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से रिश्ता निभाने के लिए मजबूरी में उन्हें अपने घर रहने की अनुमति दे देते है। ऐसे में यदि उस व्यक्ति ने कोई अपराध किया है तो आप को भी पुलिस पकड़ कर ले जा सकती है तो ऐसा कोई भी रिश्ता निभाने से बचें।
- यदि आपका कोई रिश्तेदार अचानक आपके घर में आकर रहने लग जाता है और आपको बाद में पता चले की वो कोई गुनाह करके आया है तो तुरन्त उसकी सूचना पुलिस को दे। क्योंकि ऐसा व्यक्ति जो पहले से ही कोई अपराध करके आया है वो आपको भी किसी ना किसी प्रकार से नुकसान पहुँचा सकता है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
एक अपराधी को शरण देना, यदि अपराध पूंजी हो | 5 साल + जुर्माना | संज्ञेय | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि आजीवन कारावास या 10 साल के लिए कारावास के साथ दंडनीय | 3 साल + जुर्माना | संज्ञेय | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
यदि 1 साल के लिए कारावास के साथ दंडनीय है और 10 साल के लिए नहीं | अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई | संज्ञेय | जमानती | मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |
Offence : एक अपराधी को शरण देना, यदि अपराध पूंजी हो
Punishment : 5 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि आजीवन कारावास या 10 साल के लिए कारावास के साथ दंडनीय
Punishment : 3 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
Offence : यदि 1 साल के लिए कारावास के साथ दंडनीय है और 10 साल के लिए नहीं
Punishment : अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानती
Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
आईपीसी की धारा 212 क्या है?
धारा 212 ऐसे व्यक्ति को शरण देने के अपराध से संबंधित है जो भगोड़ा है या जिसे मौत, या कारावास की सजा सुनाई गई है।
IPC की धारा 212 में "आश्रय" का क्या अर्थ है?
इस में "आश्रय" का अर्थ किसी ऐसे व्यक्ति को आश्रय, सुरक्षा या सहायता प्रदान करना है जो भगोड़ा है या जिसे कारावास की सजा सुनाई गई है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 212 का उल्लंघन करने पर दंड क्या हैं?
यदि किसी व्यक्ति को भगोड़े व्यक्ति को शरण देने का दोषी पाया जाता है, तो दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 212 के तहत किस पर आरोप लगाया जा सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर कारावास से या पुलिस से भागे हुए किसी व्यक्ति को आश्रय देता है, उस पर इस धारा के तहत आरोप लगाया जा सकता है।
क्या भगोड़े को शरण देने के लिए परिवार के किसी सदस्य पर IPC 212 लगायी जा सकती है?
हाँ, यहाँ तक कि परिवार के सदस्यों पर भी इस धारा के तहत आरोप लगाया जा सकता है यदि वे जानबूझकर किसी भगोड़े को शरण देते हैं।
क्या आईपीसी सेक्शन 212 के तहत आरोपों के खिलाफ कोई कानूनी बचाव है?
संभावित कानूनी बचाव में अपराधी की स्थिति के बारे में ज्ञान की कमी, शरण देने के इरादे की कमी, या कोई अन्य प्रासंगिक परिस्थितियाँ शामिल हो सकती हैं जिन्हें अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है।