धारा 201 क्या है (IPC Section 201 in Hindi) - सजा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आपको बता दे कि आपराधिक न्यायशास्त्र (criminal jurisprudence) के आधार पर न केवल अपराध करने वाला व्यक्ति दोषी (Guilty) है, बल्कि अपराध को पूरा करने की साजिश (conspiracy) रचने वाला व्यक्ति भी दोषी माना जाता है। इसका अर्थ है कि जो कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसकी मदद करना भी अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसा व्यक्ति भी दंड के योग्य है तो आज के लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली IPC की धारा 201 के बारे में की धारा 201 क्या है (IPC Section 201 in Hindi)। ये धारा कब और किस अपराध में लगती है? इस आईपीसी सेक्शन में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

हमेशा ऐसे मामले देखने को मिलते है कि यदि कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उस अपराध को करने में किसी और का हाथ भी जरुर होता है लेकिन बहुत मामलों में ऐसे लोगों का पता नहीं चल पाता और वो ऐसे अपराध करके भी आराम से घूमते है। और साथ ही आज के लेख द्वारा जानेंगे की कैसे किसी अपराधी की मदद करने से आप भी मुसीबत में फंस सकते है? भारतीय दंड संहिता की धारा 201 से संबंधित सभी जानकारियों के बारे में आप अगर आसान भाषा में विस्तार से जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।



धारा 201 क्या है - IPC Section 201 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी की मदद करने के लिए किसी अपराध के साक्ष्य का विलोपन करता है या उसकी सजा को कम कराने के लिए सबूत मिटा देता है और झूठी गवाही देता है तो ऐसा करने (Causing disappearance of evidence of offence, or giving false information to screen offender) वाले व्यक्ति पर IPC Section 201 के तहत कार्यवाही की जाती है आइए इसे साधारण भाषा में विस्तार से जानने का प्रयास करते है।

यदि कोई व्यक्ति कोई अपराध करता है तो अक्सर देखा जाता है कि उसके परिवार वाले या कोई अन्य करीबी व्यक्ति उस अपराधी को कानूनी दंड से बचाने के इरादे से अपराध के साक्ष्य (evidence) को गायब कर देते है। इसके अलावा कई बार कोई गलत जानकारी देकर अपराधी को बचाने के लिए पूरी कोशिश करते है कि उसको सजा ना मिल सकें या सजा कम से कम मिले। लेकिन ऐसा करके वो खुद भी अपराधी बन जाते है जिन पर धारा 201 के प्रावधान अनुसार अपराध के साक्ष्य का विलोपन (गायब करना या मिटाना), या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के अपराध के तहत कार्यवाही की जाती है।


आईपीसी धारा 201 में अपराध का उदाहरण

एक बार विनीत किसी व्यक्ति की गोली मारकर हत्या (Murder) कर देता है और वहाँ से भाग जाता है लेकिन कुछ दिन बाद ही पुलिस उसे पकड़ लेती है। जब पुलिस उसे न्यायालय (Court) में पेश करती है तो न्यायालय विनीत से उस हथियार (Weapon) के बारे में पूछती है जिससे उसने Crime किया था। लेकिन विनीत वो हथियार अपने दोस्त राहुल की मदद से गायब करवा देता है। और न्यायालय को कुछ नहीं बताता, ऐसा करने पर कोर्ट विनीत को पुलिस रिमांड़ में भेज देती है कुछ दिन में ही विनीत बता देता है कि उसने वो हथियार गायब करने के लिए अपने दोस्त राहुल को दे दिया था।

उसके बाद पुलिस राहुल को गिरफ्तार (Arrest) करती है और दोनों को न्यायालय में पेश करती है तब कोर्ट द्वारा विनीत को किसी व्यक्ति की हत्या करने के आरोप में उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा हो जाती है और Criminal व्यक्ति के सबूत (Evidence) को मिटाने के जुर्म में IPC Section 201 के तहत राहुल को 7 साल की सजा हो जाती है।

Note:- इसलिए यदि कोई भी किसी भी व्यक्ति को अपराध करने या सबूतों को छिपाने में मदद करता है तो IPC 201 के तहत सजा का हकदार बन जाता है।

जाने - हत्या की धारा 302 में सजा और जमानत


IPC Section 201 में सजा कितनी होती है

आई. पी. सी की धारा 201 में सजा के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी के द्वारा किए गए अपराध के सबूतों को मिटाने या किसी अन्य प्रकार से मदद करने का आरोपी पाया जाता है तो इसमे सजा 3 तरह से दी जाती है।

  1. यदि अपराधी द्वारा किया गया अपराध मृत्यु दंड से दंडनीय हो:- यह जानते हुए कि अपराधी ने जो अपराध किया है उसकी सजा मृत्यु दंड हो सकती है अगर ऐसे अपराधी के अपराध को छिपाने के लिए कोई उसकी मदद करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
  2. आजीवन अपराध से दंडनीय हो :- यदि अपराधी ने उम्रकैद की सजा या 10 वर्ष से ज्यादा की सजा से दंडनीय अपराध किया हो तो उस अपराधी की किसी भी प्रकार से मदद करने वाले व्यक्ति को 3 वर्ष तक की कारावास की सजा से दंडित किया जा सकता है।
  3. अगर अपराध दस वर्ष की कम के कारावास से दंडनीय हो :-यदि किसी अपराधी को उसके अपराध के कारण 10 वर्ष से कम की सजा मिली है और ऐसे व्यक्ति की मदद करने के लिए कोई सबूतों को मिटाता है या झूठी जानकारी देता है तो ऐसा करने वाले को उसे अपराधी की सजा के एक-चौथाई हिस्से से दंडित किया जाता है

जैसे – विनीत ने जो अपराध किया है उसकी सजा 8 वर्ष की होगी और राहुल उसके अपराध के सबूतों को मिटाकर अगर उसकी मदद करता है तो ऐसा करने के जुर्म में राहुल को 2 वर्ष तक की कारावास की सजा से दंडित किया जा सकता है।

पढ़े - आईपीसी धारा 34 कब लगती है?


IPC 201 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 201 का यह अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) की श्रेणी में आता है इसलिए यह एक जमानती अपराध (bailable offence) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिल जाती है जोकि न्यायालय (court) द्वारा विचारणीय होती है। इस अपराध में किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता।

इस अपराध में भले ही आपको जमानत मिल जाती है लेकिन यदि आप निर्दोष है तो आपको इस केस से निकलने के लिए किसी समझदार वकील की सहायता जरुर लेनी चाहिए। हमारे वकील (Lawyer) आपको भारतीय कानून (Indian Law) से जुड़े आपके अधिकारों की सही कानूनी सलाह (Legal Advice) देगा आपके केस का अच्छे से अध्ययन करके आपको सजा (Punishment) से बचाने की पूरी कोशिश करेगा।


साक्ष्य छुपाने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले कुछ जरुरी कदम

  • इसके लिए देश के सभी लोगों को जागरुक होना बहुत जरुरी है जिससे सभी को जानकारी हो सके कि सबूतों को छिपाना या किसी अपराध से जुड़ी जानकारी को पुलिस को ना बताना कैसे एक गैर-कानूनी कार्य बन सकता है।
  • इसके लिए समाचारों, सोशल मिड़िया, टी.वी व अन्य माध्यमों के द्वारा लोगों में जागरुकता फैलानी चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी जुर्म का गवाह बनता है या उसकी जानकारी देता है तो उनकी व उनके परिवार की सुरक्षा के लिए बहुत ही मजबूत कानून (Law) बनाए जाने चाहिए।
  • किसी भी जरुरी सबूतों की जानकारी देने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाना चाहिए।
  • गंभीर मामलों में मदद करने वाले व्यक्तियों कि पहचान किसी के सामने ना आए ऐसे मजबूत तरीके बनाए जाने चाहिए।
  • कानूनी प्रक्रिया को तेज बनाया जाना चाहिए, ताकि गवाहों को कोर्ट के ज्यादा चक्कर ना लगाने पड़े।
  • सभी सरकारी व गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों व स्कूल या कालेजों के छात्रों को कानून का पालन करने की बातों को सिखाना चाहिए।

धारा 201 में बचाव के लिए क्या करे

कभी-कभी इंसान के सामने कुछ ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है जिनके कारण एक साधारण इंसान ना चाहते हुए भी अपराधी बन जाता है। बहुत से मामलों में देखा गया है कि कोई व्यक्ति अपराध कर देता है तो उसके माता-पिता या भाई- बहन उसको बचाने के लिए कुछ गैर-कानूनी कार्य करने पर मजबूर हो जाते है जिसके कारण वो भी दोषी बन जाते है। तो ऐसे अपराधों से बचने के लिए कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखे ताकि धारा 201 से बचाव हो सके। सबसे जरुरी बात तो यह है कि अपने बच्चों को बुरे लोगों की संगत से दूर रखे।

  • यदि आपके परिवार से कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो उसको उसे करने से रोके और उसके परिणामों के बारें में समझाए।
  • फिर भी कोई व्यक्ति किसी प्रकार का गंभीर जुर्म कर देता है तो उसे बचाने के लिए झूठी गवाई देना या सबूतों को मिटाना (Destruction Of Evidence) जैसा गलत कार्य ना करें। क्योंकि ऐसा करने से आप उसको Punishment से तो नहीं बचा पाएंगे बल्कि खुद भी दोषी बन जाएंगे।
  • अगर ऐसे मामलों में कुछ करना ही है तो सबसे पहले किसी अच्छे वकील की मदद ले जो आपकी सहायता करेगा। व आपके अधिकारों के बारें में आपको बताएगा जिससे आप सही फैसला ले सकेंगे।
  • यदि आप निर्दोष (Innocent) है और कोई झूठे केस में आपको फंसवा देता है तो अपने हक में सबूत इक्कठा कर उच्च न्यायालय (High Court) में अपने निर्दोष होने की अपील कर सकते है

तो इन्हीं सब जरुरी बातों को ध्यान रखे व अनजाने में भी किसी अपराधी की मदद करने से बचे। और लोगों को भी इसके प्रति सचेत करें।

Offence : एक अपराध के सबूत के गायब होने के कारण, या गलत जानकारी देने के लिए यह अपराधियों पर नज़र रखने के लिए, अगर एक राजधानी अपराध है


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : सत्र की अदालत



Offence : अगर आजीवन कारावास या 10 साल कैद की सजा


Punishment : 3 साल + जुर्माना


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी



Offence : अगर 10 साल से कम की कैद की सजा


Punishment : एक-चौथाई अपराध या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : किये गए अपराध के समान





आईपीसी धारा 201 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी धारा 201 क्या है और इसके तहत अपराध क्या है?

IPC section 201 किसी भी अपराध के दौरान या उसके बाद सबूतों को गायब करने  के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार किसी अपराधी को बचाने के लिए यदि कोई व्यक्ति जरुरी सबूतों को नष्ट करता है, छिपाता है या जानबूझकर बदल देता है तो वह एक अपराध माना जाएगा।



भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के तहत अपराध के लिए दंड क्या हैं?

धारा 201 के तहत जुर्म करने वाले व्यक्ति को कारावास की सजा दी जाती है जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।



क्या धारा 201 के तहत अपराध के लिए बेल का प्रावधान है?

IPC Section 201 एक जमानतीय धारा होती है इसलिए इसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत मिल जाती है।



क्या किसी पर धारा 201 और धारा 204 दोनों का एक साथ आरोप लगाया जा सकता है?

हाँ किसी व्यक्ति पर धारा 201 व धारा 204 दोनों के तहत आरोप लगाए जा सकते है। यदि उस व्यक्ति के द्वारा किसी भी कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए भौतिक सबूतों को गायब करना व डिजिटल रिकॉर्ड जैसे ईमेल, मैसेज, व अन्य सबूतों को नष्ट करना शामिल है।


क्या किसी व्यक्ति पर गलती से या अनजाने में सबूत नष्ट करने पर धारा 201 लगाई जा सकती है?

इस आईपीसी सेक्शन तहत आरोपी को सबूतों को गायब या नष्ट करने का इरादा (Intention) होना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति से यह कार्य गलती या अंजाने में किया गया है तो उसे आरोपी नहीं माना जाएगा।