IPC Section 356 in Hindi - धारा 356 क्या है? सज़ा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

चोरी करने के लिए हिंसा (Violence) और जबरदस्ती का सहारा लेना अपराधियों का बहुत ही पुराना तरीका रहा है। आज के समय में भी बहुत सारे ऐसे मामले देखने व सुनने को मिलते है जहाँ लोगों से सरेआम डरा-धमका करा या उनसे जबरदस्ती करके चोर (Thief) चोरी जैसे अपराध को अंजाम देते है। इस प्रकार के अपराध करने वाले व्यक्तियों के लिए भारतीय दंड संहिता द्वारा धारा 356 बनाई गई है। इसलिए आज के लेख द्वारा हम आपको ऐसे मामलों से निपटने के लिए बनाई गई इस आईपीसी सेक्शन के बारे में बताएंगे कि धारा 356 क्या है? (IPC 356 In Hindi) धारा 356 कब लगती है? इस सेक्शन में सजा व जमानत कैसे मिलती है?

इसलिए आपराधिक बल (Criminal Force) के साथ चोरी (Theft) करने के अपराध की धारा 356 के बारे में आप सभी पाठकों को जानना बहुत आवश्यक है चाहे आप एक कानूनी पढ़ाई (Legal Study) करने वाले स्टुडेंट है या देश के आम नागरिक इस लेख का उद्देश्य IPC Section 356 में बताए गए अपराध से सभी लोगों को हिंसा के साथ की जाने वाली चोरी के अपराध से बचाना और अपनी सुरक्षा (Security) के लिए आपको क्या कैसे आवश्यक कदम उठाना चाहिए। आज इसकी सारी जानकारी हम आप सभी को देंगे इसलिए इस लेख की हर जानकारी को पूरा पढ़े।

धारा 356 क्या है – IPC Section 356 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 356 जो मानव शरीर (Human Body) को प्रभावित करने वाले अपराधों से संबंधित है। इसलिए धारा 356 में बताया गया है कि जो कोई भी "किसी व्यक्ति के द्वारा ले जाई जा रही संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल" करता है उस व्यक्ति पर आईपीसी सेक्शन 356 के तहत कार्यवाही की जाती है।

"commits assault or criminal force" in an attempt to commit theft of property carried by a person"

इसे आसान भाषा में कहे तो इसका अर्थ है कि जब भी कोई व्यक्ति अपनी किसी संपत्ति (Property) या वस्तु को किसी जगह से लेकर आ रहा होता है या कही ले जा रहा होता है तो जो भी व्यक्ति उस व्यक्ति से बल या ताकत का उपयोग करके या मारपीट करके चोरी करता है या चोरी करने का प्रयास करता है वह इस धारा के तहत दोषी होगा। आइये इसे और भी सरलता से आपको एक उदाहरण द्वारा समझाते है।


धारा 356 के अपराध का उदाहरण

एक दिन राहुल अपनी पत्नी के लिए एक सोने का हार लेकर दुकान से अपने घर के लिए निकलता है। उसी समय दुकान से निकलते ही राहुल के पास अचानक एक अंजान व्यक्ति आता है, और उससे वो सोने का हार छीनने की कोशिश करता है। राहुल उसे ऐसा करने से रोकता है लेकिन वो व्यक्ति राहुल पर जबरदस्ती आपराधिक बल का प्रयोग करते हुए उसके साथ मारपीट करता है और हार छीनने की कोशिश करता है।

उसी समय कुछ व्यक्ति वहाँ आ जाते है और वो चोर वहाँ से भाग जाता है। जिसके बाद राहुल इसकी सूचना पुलिस को देता है और पुलिस वहाँ आकर अंजान व्यक्ति के खिलाफ IPC Section 356 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) कर कार्यवाही करती है।


IPC 356 के अपराध को साबित करने वाली कुछ मुख्य बातें

IPC Section 356 में आरोपी के द्वारा किए जाने वाले किन कार्यों को अपराध माना जाता है जिसकी सहायता से आरोपी के खिलाफ लगे सभी आरोप साबित किए जा सकते है आइये जानते है इन मुख्य बातों को जो कि इस प्रकार है:-

  • चोरी करने का प्रयास:- इसमें आरोपी व्यक्ति बिना किसी व्यक्ति के अनुमति के उसका सामान या किसी वस्तु को चुराने का प्रयास करता है। इसके लिए यह जरुरी नहीं है कि वो व्यक्ति चोरी करने में सफल हो जाए। यदि वो केवल चोरी करने का प्रयास भी करेगा तो उस पर इस IPC Section का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • बल का प्रयोग या हमला:- इसमें आरोपी व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति पर उसकी संपत्ति या कोई भी सामान की चोरी करने के प्रयास के दौरान शारीरिक बल (Criminal Force) या हमले (Attack) का प्रयोग किया जाता है। जैसे चोरी करने के लिए धक्का मारना, उससे कोई वस्तु छिनने के दौरान मारपीट करना, धमकी देना आदि।


इस सेक्शन का मुख्य उद्देश्य चोरी का प्रयास (Attempted Theft) करने वाले व्यक्ति को सजा (Punishment) दिलवाना व देश के सभी नागरिकों को चोरी के साथ-साथ हिंसा (Violence) व मारपीट के Crime से बचाना है।


आईपीसी धारा 356 में सजा कितनी होती है

आई.पी.सी की धारा 201 में सजा के लिए बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा ले जा रही कोई भी संपत्ति या पहनी हुई संपत्ति को चोरी करने के लिए मारपीट या आपराधिक बल का उपयोग करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा उसे दो वर्ष की कारावास व आर्थिक जुर्माना (Imprisonment & Fine) या दोनों से दंडित किया जाएगा।

इसलिए जो भी व्यक्ति चोरी करने के लिए आपराधिक बल (Criminal Force) का उपयोग करेगा उसे सजा (Punishment) के तौर पर 2 साल की सजा व जुर्माने से धारा 356 के तहत दंडित किया जाएगा।


IPC 356 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 356 के तहत आने वाला यह अपराध एक संज्ञेय (Cognizable) यानी गंभीर श्रेणी का अपराध माना जाता है। लेकिन संज्ञेय होने के बावजूद भी यह एक जमानतीय अपराध (Bailable Offence) है इसलिए धारा 356 में जमानत (Bail) आरोपी व्यक्ति को आसानी से मिल जाती है। यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है, और यह अपराध गैर-शमनीय (Non-Compoundable) होता है यानी IPC 356 में समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता।


धारा 356 के अपराध का शिकार होने पर शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया?

यदि आप में से किसी भी पुरुष या महिला के साथ चोरी करने के प्रयास के दौरान आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है तो आपको तुरन्त इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए। आप में से जिन लोगों को शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवाने की प्रक्रिया की जानकारी नहीं है वो नीचे दी गई जानकारी से इस पूरी प्रक्रिया को समझ सकते है।

  • यदि आपके साथ इस प्रकार की कोई घटना होती है या आप किसी के साथ इस प्रकार की घटना को होते हुए देखते है तो तुरन्त इसकी शिकायत पुलिस हैल्पलाइन न0 100 (Police Helpline no 100) पर करें या आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर भी इसकी शिकायत कर सकते है।
  • शिकायत दर्ज करवाते समय पुलिस को अपना नाम, पता, फोन नंबर, और जो भी घटना हुई है उसकी सारी जानकारी दे। जैसे घटना कहां हुई है, समय, तारीख आदि।
  • इस प्रकार के मामलों में आपको जल्द से जल्द घटना की शिकायत करनी चाहिए ताकि जल्द से जल्द आरोपी (Accused) पकड़ा जा सकें।
  • इसके साथ ही पुलिस को अपनी शिकायत के दौरान यह जानकारी भी दे कि आरोपी ने आपके साथ किस प्रकार के आपराधिक बल का प्रयोग किया है और आरोपी के पास कोई हथियार (Weapon) हो तो उसकी जानकारी भी पुलिस को दे।
  • यदि आपने आरोपी व्यक्ति को पहले कही देखा है या कोई अन्य व्यक्ति उसको जानता है तो उसकी सारी जानकारी भी पुलिस को दे।
  • आप के साथ हो रहे Crime के समय जो भी गवाह (Witness) वहाँ मौजूद थे उन सभी की जानकारी भी आप ले ले जो बाद में आपके ले गवाही देंगे।
  • इसके साथ ही यदि आपके पास आरोपी के खिलाफ कोई भी सबूत या विड़ियों है तो उसे भी तुरन्त पुलिस को दे दे।
  • एक बार FIR दर्ज होने के बाद पुलिस आगे की जांच (Investigation) करेगी ऐसे में जब भी आपको बुलाया जाए आप पुलिस का सहयोग करें। याद रखे आपको FIR जरुर करवानी है यदि कोई पुलिस वाला यह कार्यवाही नहीं करता तो आपकी शिकायत किसी उच्च अधिकारी से करें।
  • Complaint Register करवाने के दौरान पुलिस को कोई भी झूठी जानकारी (False Information) या बयान (Statement) कभी नहीं देना चाहिए ऐसा करने से आप पर भी कार्यवाही हो सकती है। इसलिए हमेशा सही जानकारी ही दे।

इन्हीं सभी तरीके से आप अपने खिलाफ हुए अपराध के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाकर आरोपी को पकड़वा सकते है। यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार की जानकारी की आवश्यकता है तो आप उन्हें हमारे इस लेख का लिंक भी भेज कर उनकी मदद कर सकते है।


चोरी के अपराध से जुड़ी अन्य कुछ आवश्यक धाराएं

भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध से अपना बचाव करने के लिए अपने अधिकारों के लिए बनाए गए सभी कानूनों की जानकारी आप सभी को होना बहुत ही जरुरी है ताकि बाद में कोई भी समस्या का आप खुद ही समाधान कर सकें। इसलिए चोरी व बल के अपराधों की अन्य महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में भी आपको जरुर जानना चाहिए। जो कि इस प्रकार है:-

  • आईपीसी धारा 379: इस IPC Section में Theft के अपराध को बताया गया है कि चोरी क्या होती है और चोरी करने वाले व्यक्ति को क्या सजा मिलती है।
  • आईपीसी धारा 383: इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति को डर (Fear) दिखाकर उससे उसके किसी सामान की जबरन वसूली (Extortion) करेगा व इस धारा के तहत दोषी होगा।
  • आईपीसी धारा 392: यह Section लूट-पाट (Robbery) से संबंधित है। इसमें चोरी करने के लिए बल प्रयोग, हिंसा या चोट का डर शामिल है।
  • आईपीसी धारा 395: यह धारा "डकैती" से संबंधित है। इसमें पांच या अधिक व्यक्ति घातक हथियारों (Dangerous Weapon) के इस्तेमाल से डकैती करना या गंभीर चोट (Serious Injury) पहुंचाना शामिल है।
  • आईपीसी धारा 397: इसमें किसी व्यक्ति को "मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के साथ डकैती" से संबंधित है। यह तब लागू होती है जब आरोपी लूट या डकैती करता है

धारा 356 में बचाव के लिए क्या करें

अपराध का शिकार होने से बचने के लिए जरुरी बातें:-

  • अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए घर व आफिस में सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा अलार्म जैसी चीजे लगवाएं।
  • पुलिस हैल्पलाईन न0 100 को फोन में Save रखे और किसी भी घटना के होने पर तुरन्त पुलिस को फोन करें।
  • अपने आस-पास के लोगों पर नजर रखे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति (suspect) से हमेशा दूर रहे।
  • किसी भी मूल्यवान (Valuable) वस्तु को रात के समय अकेले लेकर घर से बाहर ना लेकर जाएं।
  • ऐसे मामलों में महिलाओं द्वारा किसी अपने गहने-व आभूषणों (Jewelry) का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • किसी भी बड़ी रकम या महंगी वस्तु को लाने या कही ले जाने से पहले किसी भी अंजान व्यक्ति को इसकी जानकारी बिल्कुल भी ना दे।

ऐसे ही कुछ जरुरी बातों का ध्यान रख कर आप चोरी जैसे अपराधों के शिकार होने से अपना बचाव कर सकते है।


झूठे केस में फंसा आरोपी व्यक्ति धारा 356 से बचाव के लिए क्या करें?


  • यदि किसी व्यक्ति को झूठे केस (False Case) में फंस जाता है तो उसे अपने बचाव (Defense) के लिए खुद को निर्दोष (Innocent) साबित करने वाले सबूत या गवाहों (Evidences & Witnesses) को पुलिस या कोर्ट के सामने पेश करना होगा।
  • यदि कोई आपको जानबूझकर आपको फंसाने के लिए कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आप आसानी से सबूत इकट्ठे कर सकते है। जैसे उसके द्वारा दी गई धमकी, पुराने मैसेज, आदि।
  • यदि आप पर इस प्रकार के झूठे आरोप (False Blames) लगते है तो आपको जल्द से जल्द किसी अच्छे वकील (Lawyer) से कानूनी सलाह (Legal Advice) लेनी चाहिए। जो आपके बचाव के लिए आगे की जाने वाली कार्यवाही करेगा।
  • ऐसे मामलों में आपको पुलिस के साथ सहयोग करना चाहिए अपनी बात को सच्चाई से बताना चाहिए।
  • यदि आप खुद को निर्दोष साबित करने में सफल हो जाते है तो आप झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही (Legal Action) कर सकते है।

Offence : किसी व्यक्ति द्वारा पहनी गई या ले जाने वाली संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल


Punishment : किसी व्यक्ति द्वारा पहनी गई या ले जाने वाली संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 356 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 356 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 356 अपराध : किसी व्यक्ति द्वारा पहनी गई या ले जाने वाली संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल



आई. पी. सी. की धारा 356 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 356 के मामले में किसी व्यक्ति द्वारा पहनी गई या ले जाने वाली संपत्ति की चोरी करने के प्रयास में हमला या आपराधिक बल का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 356 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 356 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 356 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 356 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 356 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 356 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 356 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 356 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।