धारा 384 क्या है (IPC 384 in Hindi) - सज़ा और जमानत का प्रावधान
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
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अगर आप ये जानने चाहते है कि आई. पी. सी की धारा 384 क्या है (IPC Section 384 in Hindi)। ये धारा कब और किस अपराध में लगती है? इस धारा से जुड़े अपराध में सजा और जमानत का क्या प्रावधान हैं। आज के आर्टिकल में हम इस कानून की धारा से संबधित आपके ऐसे सभी सवालो का जवाब देंगें। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन बारे में संम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
कुछ ताकतवर लोग अकसर अपने से कमजोर लोगों पर अपने बल का प्रयोग करके उनको नीचा दिखाने की कोशिश करते है। उनको डरा धमका कर अपने काम करवाते है और उन्हें किसी भी प्रकार का भय दिखाकर उनसे उनकी मूल्यवान वस्तु भी छीन लेते है। तो ऐसे मामले में पीड़ित (Victim) व्यक्ति को पता नहीं होता की उन्हें कैसे उनके खिलाफ क्या और कैसे कार्यवाही करनी चाहिए तो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की एक ऐसी ही धारा 384 के बारे में आज हम जानेंगे।
धारा 384 क्या है कब लगती है - IPC Section 384 in Hindi
भारतीय दंड संहिता के अनुसार आईपीसी 384 में ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए सज़ा का प्रावधान है। आसान शब्दों में कहे तो किसी व्यक्ति को डरा धमका कर उससे जबरन वसूली (Extortion) करना या जान से मारने की धमकी देकर पैसे या किसी अन्य वस्तु की जबरदस्ती वसूली करने वाले व्यक्ति IPC 384 के तहत कार्यवाही की जाती है व दोषी पाये जाने पर कोर्ट द्वारा सजा (Punishment) दी जाती है। आईए आगे जानते है कि आईपीसी धारा 384 मामले में सजा और जमानत का क्या प्रावधान है।
IPC Section 384 लगने के लिए कुछ मुख्य बातें
जब भी किसी व्यक्ति पर जबरन वसूली के आरोप (Blame) लगते है तो उसके द्वारा किए गए कार्य IPC Section 384 के द्वारा बताई गई मुख्य बातों के अंतर्गत आते है या नहीं इन सभी के आधार पर ही आरोपी पर कार्यवाही की जाती है। आइये जानते है उन मुख्य बातों के बारे में:-
- धमकी देना:- जबरन वसूली करने का आरोपी व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति से अपनी मांग मनवाने के लिए धमकी या नुकसान का डर (Fear) का इस्तेमाल करता है। जैसे शारीरिक रुप से नुकसान पहुँचाने की, भावना को ठेस पहुँचाने की या किसी संपत्ति (Property) को नुकसान पहुँचाने की।
- संपत्ति, पैसों या किसी कीमती समान की मांग:- आरोपी पीड़ित (Victim) व्यक्ति से पैसे, संपत्ति या किसी मूल्यवान वस्तु को देने की मांग करता है। जिसके लिए वो उस व्यक्ति को डरा-धमका कर इन सभी चीजों को हासिल करता है।
- गैरकानूनी कार्य:- जबरन वसूली करना एक गैर-कानूनी कार्य है जिसको करने वाले व्यक्ति को कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है।
उदाहरण :-
अमित एक कपडे की दुकान का मालिक है। उसकी दुकान से ही उसका पूरा घर चलता है वह हमेशा की तरह सुबह दुकान जाता है और शाम को घर वापिस घर आ जाता है लेकिन एक दिन जब दोपहर के समय अपनी दुकान पर होता है तब उसके पास एक बदमाश आता है और उससे जबरन पैसे की मांग कर देता है लेकिन अमित उसे पैसे देने से मना कर देता है, जिसके बाद वो बदमाश अमित को जान से मारने की धमकी देकर उससे जबरन पैसे ले जाता है
अगले दिन अमित उसकी शिकायत (Complaint) पुलिस में कर देता है पुलिस तुरन्त उस बदमाश को गिरफ्तार (Arrest) कर लेती है और उसे न्यायालय द्वारा दोषी पाये जाने के बाद आईपीसी की धारा 384 के तहत जबरन वसूली (Extortion ) करने के लिए 3 साल की कारावास और 5000 रु का जुर्माना लगा कर दंडित कर देती है।
धारा 384 में सजा - IPC 384 Punishment in Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय दिखाकर या अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करके जबरदस्ती वसूली (Extortion) करता है। तो न्यायालय द्वारा दोषी (Guilty) पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को 3 वर्ष तक कारावास व जुर्माना लगा कर सजा (Punishment) दी जाती है।
धारा 384 में जमानत - IPC 384 is Bailable or Not?
जबरदस्ती वसूली करना एक गैरकानूनी अपराध (Illegal Offence) है यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध माना जाता है जो की एक गैर जमानती (Not Bailable) अपराध है इसलिए धारा 384 में जमानत मिलना आसान नहीं होता। इसलिए आपको ऐसे मामलों में एक अनुभवी वकील (Experienced lawyer) की आवश्यकता पड़ती है जो केस के हर पहलू को देखता है व अपनी ओर से हर संभव प्रयास करता है।
जमानत (Bail) दिलवाने के लिए क्योंकि यह केस किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) है। अगर कोई भी व्यक्ति इस केस में आरोपी (Accused) है तो सबसे पहले आपके लिए एक बेहतर वकील का होना बहुत ही फायदेमंद रहेगा।
Note:- गैर-जमानती होने के साथ ही यह एक गैर-शमनीय (Non-Compoundable) अपराध भी होता है जिसका मतलब यह है कि यह अपराध आपसी समझौते (Compromise) के लायक नहीं होता।
IPC Section 384 से बचाव के लिए सावधानियां
कई मामलों में यह देखा जाता है कि कुछ व्यक्ति बिना किसी Crime किए भी झूठे केसों (False Cases) में फंस जाते है क्योंकि उन्हें ऐसे मामलों की जानकारी नहीं होती। ऐसे मामलों से बचे रहने के लिए हमेशा जागरुक रहना चाहिए व कुछ जरुरी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए आइये ऐसे ही कुछ जरुरी बातों के बारे में जानते है।
- अगर आप किसी व्यक्ति के साथ रहते है जो Extortion जैसे अपराध में शामिल रहते है तो तुरन्त ऐसे लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए नहीं तो उनकी वजह से भविष्य में आपको भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- अगर आपको कोई जबरन वसूली के लिए परेशान करता है तो तुरन्त इसकी शिकायत पुलिस में करनी चाहिए।
- अगर आप किसी भी बड़े पद पर नौकरी करते है तो अपने से छोटे कर्मचारियों से जबरन किसी भी प्रकार की मांग ना करें, नहीं तो आप पर भी उस कर्मचारी की शिकायत पर धारा 384 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
जबरन वसूली | 3 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | गैर जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : जबरन वसूली
Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 384 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 384 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 384 अपराध : जबरन वसूली
आई. पी. सी. की धारा 384 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 384 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 384 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 384 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 384 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 384 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 384 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 384 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 384 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 384 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।