
धारा 379 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अनुसार,
जो भी व्यक्ति चोरी करने का अपराध करता है उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
लागू अपराध
चोरी करना
सजा - 3 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध पीड़ित व्यक्ति / संपत्ति के मालिक द्वारा समझौता करने योग्य है।
क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 379?
भारतीय दंड संहिता की धारा 379 में किसी व्यक्ति द्वारा चोरी का अपराध करने के लिए दण्डित किया जाता है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी भी चल या अचल वस्तु की चोरी करने का अपराध करता है, तो ऐसी स्तिथि में यह धारा लागू होती है, चोरी का अपराध एक संज्ञेय अपराध है, इस लिए पुलिस चोरी के मामले में रिपोर्ट के रूप में एफ.आई.आर दर्ज करती है शिकायती के बयानों के आधार पर पुलिस तुरंत संज्ञान ले कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के आवश्यक तत्व
इस धारा में किसी भी वस्तु की चोरी करने के लिए एक व्यक्ति को सजा दी जा सकती है, इस धारा के आवश्यक तत्वों में यह ही देखा जा सकता है, कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति कि किसी भी संपत्ति को बिना बताये या उस संपत्ति के वास्तविक मालिक की जानकारी के बिना उस संपत्ति को अपने कब्जे में कर लेता है, या उस संपत्ति की जगह में परिवर्तन कर देता है, तो ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अनुसार सजा का भागीदार होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 379 समझौता करने योग्य होती है, अर्थात यदि चोरी की गयी संपत्ति का वास्तविक मालिक चाहे तो चोरी करने वाले व्यक्ति से समझौता करके उसकी सजा को माफ़ करवा सकता है।
धारा 379 के लिए सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के प्रावधानों में चोरी करने के अपराध के लिए एक अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था की गयी है। उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 3 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।
धारा 379 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है। और वैसे भी भारतीय दंड संहिता में धारा 379 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा चोरी करने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 379 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी चोरी करने का अपराध करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और चोरी का अपराध करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 379 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
चोरी | 3 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | गैर जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : चोरी
Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 379 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 379 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 379 अपराध : चोरी
आई. पी. सी. की धारा 379 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 379 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 379 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 379 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 379 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 379 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 379 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 379 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 379 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 379 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।