धारा 357 आईपीसी - IPC 357 in Hindi - सजा और जमानत - किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 357 का विवरण
  2. धारा 357 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 357 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 357 के अनुसार जो भी कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्न करने में करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्नों में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
सजा - एक वर्ष कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति (जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया है) द्वारा समझौता करने योग्य है।

Offence : किसी व्यक्ति को सीमित करने के लिए गलत तरीके से प्रयास में आपराधिक बल का हमला या उपयोग


Punishment : 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 357 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 357 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 357 अपराध : किसी व्यक्ति को सीमित करने के लिए गलत तरीके से प्रयास में आपराधिक बल का हमला या उपयोग



आई. पी. सी. की धारा 357 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 357 के मामले में 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 357 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 357 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 357 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 357 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 357 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 357 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 357 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।