IPC 177 in Hindi - झूठी सूचना देने की धारा में सज़ा, जमानत और बचाव का प्रावधान

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

प्रणाम दोस्तों आशा करते है कि आप सभी स्वस्थ होंगे। हमेशा की तरह आज के लेख में भी एक अपराध से जुड़े उन सभी सवालों का जवाब देने का प्रयास किया है जिन्हें आप काफी समय से गूगल पर खोज रहे थे। आज के लेख में हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाले एक महत्वपूर्ण कानून की धारा की बात करेंगे कि धारा 177 क्या है?(IPC Section 177 in Hindi), धारा 177 कब लगती है? इस कानून के मामले में सजा और जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

अक्सर हम किसी भी व्यक्ति की बातों मे आकर या जानबूझकर अपने किसी फायदे के लिए कोई ऐसा कार्य कर देते है, जिसकों करने से पहले हमे उसके परिणामों का पता नही होता। छोटा हो या बड़ा, गलत इरादे से किया गया कार्य अपराध ही माना जाता है। इसलिए आज हम जानेंगे की ऐसा कौन सा कार्य है जिसे करके हम धारा 177 के तहत सजा के हकदार बन जाते है, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

धारा 177 क्या है कब लगती है – IPC 177 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 177 में झूठी सूचना (False Information) देने के बारे में बताया गया है। आइये इसे संक्षेप में जानते है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी लोक सेवक (Public Servant) (यानि सरकारी कर्मचारी या अधिकारी) को किसी मामले से जुड़ी कोई भी गलत सूचना या जानकारी जानबूझकर देता है, तो धारा 177 के तहत ऐसा कार्य करना एक अपराध (Crime) माना जाता है। इस प्रकार के अपराध करने वाले व्यक्ति पर IPC Section 177 के तहत मुकदमा दर्ज (Case filled) कर कार्यवाही की जाती है व दोषी (Guilty) पाये जाने पर सजा से भी दंडित किया जाता है।


आईपीसी धारा 177 के अपराध की मुख्य बातें?

  • इस धारा के तहत केवल उस व्यक्ति को आरोपी (Accused) माना जाता है जो जानबूझकर झूठी जानकारी देता है, यानि जिसे पता है कि जो वो जानकारी दे रहा है वो गलत या झूठी है। अंजाने में किए गया ऐसा कोई भी कार्य अपराध नही माना जाता।
  • गलत या झूठी जानकारी किसी लोक सेवक को दी जानी चाहिए। लोक सेवक का मतलब है किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी।
  • आरोपी का उद्देश्य गलत जानकारी देकर उस कर्मचारी के द्वारा कि जाने वाली कार्यवाही मे बाधा उत्पन्न करने का होना चाहिए।

यदि कोई भी व्यक्ति इन बताई गई बातों में से कोई भी कार्य करता है तो उस पर सेक्शन 177 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।

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IPC Section 177 अपराध का उदाहरण

एक बार अमित एक बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता था। एक दिन उस बैंक के मैनेजर को पता चल जाता है कि उसके बैंक में चोरी होने वाली है, अमित भी उन चोरों से मिला होता है। जब वे चोर बैंक में चोरी करने आते है तो अमित के पास पुलिस का फोन आता है। पुलिस अमित से बैंक के बारे में पुछती है कि वहाँ सब ठीक चल रहा है या नहीं।

अमित पुलिस को झूठ बोलकर गलत सूचना दे देता है कि उनके बैंक में सब काम सही चल रहा है। कुछ समय बाद जब बैंक मैनेजर को पता चलता है कि बैंक में चोरी हुई है तो वो पुलिस को बुलाता है। पुलिस बैंक पहुँचने के बाद अमित पर गलत सूचना देने के आरोप में धारा 177 के तहत कार्यवाही करती है।

धारा 177 में सजा – IPC 177 Punishment in Hindi

IPC Section 177 में सजा के प्रावधान अनुसार कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को जानबूझकर झूठी सूचना या गलत जानकारी देता है। जिसका उसे पहले से ही पता होता है कि उसके द्वारा दी गई जानकारी गलत व झूठी है। इस तरह के अपराध करने वाले व्यक्ति को न्यायालय (Court) द्वारा दोषी (Guilty) पाए जाने पर साधारण कारावास (Imprisonment) जो छह महीने तक की हो सकेगी व जुर्माने (Fine) से भी दंडित किया जा सकता है।

यदि कोई व्यक्ति किसी बड़े या गंभीर अपराध (Serious crime) की गलत जानकारी किसी लोक सेवक को देता है तो उस व्यक्ति को 2 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।

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IPC 177 में जमानत कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 177 का यह अपराध एक गैर-संज्ञेय (Non-Cognizable) श्रेणी का अपराध होता है। इस अपराध के ज्यादा गंभीर ना होने के कारण ही इसे जमानती (Bailable) अपराध माना जाता है। इस प्रकार के अपराध के आरोपी व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती। इसलिए धारा 177 में आरोपी को एक वकील की सहायता से बहुत ही आसानी से जमानत (Bail) मिल जाती है। यह अपराध किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौते (Non-Compoundable) के योग्य नहीं होता।


धारा 177 के अपराध में बचाव के लिए जरुरी बातें

दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया कि इस धारा के तहत उस व्यक्ति को आरोपी माना जाता है जो किसी भी लोक सेवक यानी लोगों की सेवा में कार्य करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी जैसे पुलिस, मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारी को किसी भी मामले की जानबूझकर गलत जानकारी देता है। यदि इस अपराध से बचाव के बारे में जानना है तो इन बातों का जरुर ध्यान रखना होगा। आइये जानते है:-

  • कभी भी किसी अधूरी व सुनी सुनाई बात पर विश्वास ना करें। उस बात को किसी को भी बताने से पहले सोच विचार जरुर करें।
  • यदि कोई आपको किसी वस्तु का लालच देकर किसी लोक सेवक को गलत जानकारी देने की कोशिश करता है तो ऐसे लोगों से अपना बचाव करें।
  • किसी भी व्यक्ति को अपने कार्यों से जुड़ी कोई भी जरुरी बात ना बताएं।
  • किसी अंजान व्यक्ति को कभी भी अपना मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए ना दे।
  • यदि आपको किसी घटना के होने का पता पहले ही किसी व्यक्ति से चल जाता है तो पुलिस या किसी अन्य अधिकारी को उसकी सूचना देते समय अपने मोबाइल की रिकार्डिंग चालू कर लें।

अगर फिर भी आप जानबूझकर किसी लोक सेवक को गलत जानकारी देते है और ऐसा करने के बाद यह सोचते है कि ऐसा करके आप बच जाएंगे तो यह बहुत ही गलत बात है। इसलिए हमेशा अपने


Offence : एक लोक सेवक को जानबूझकर गलत जानकारी प्रस्तुत करना


Punishment : 6 महीने या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : किसी भी मजिस्ट्रेट



Offence : यदि आवश्यक जानकारी एक अपराध, आदि के कमीशन का सम्मान करती है


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : किसी भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 177 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 177 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 177 अपराध : एक लोक सेवक को जानबूझकर गलत जानकारी प्रस्तुत करना



आई. पी. सी. की धारा 177 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 177 के मामले में 6 महीने या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 177 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 177 असंज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 177 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 177 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 177 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 177 जमानती है।



आई. पी. सी. की धारा 177 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 177 के मामले को कोर्ट किसी भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।