समन क्या होता है? ये कब जारी होता है - वारंट और कोर्ट सम्मन में अंतर



समन क्या होता है (Meaning of Summons in Hindi)? जी हाँ दोस्तों अगर आप भी सम्मन के बारे में जानकारी खोजते हुए यहाँ आये है तो आज हम आपको इस विषय से जुड़ी सभी उपयोगी जानकारी देंगे। सम्मन का उपयोग कानूनी कार्यवाही के दौरान किया जाता है, लोग अकसर समन व वारंट जैसे शब्दों को लेकर उलझन में पड़ जाते है। इसलिए आज के लेख द्वारा हम आपको बताएंगे, समन क्या होता है? कोर्ट का समन कब जारी किया जाता है? समन और वारंट में क्या अंतर होता है? समन तामील की प्रक्रिया क्या है? इसलिए Court Summons से जुड़ी जानकारी विस्तृत रुप से हिन्दी में जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।




समन का अर्थ क्या होता है - Meaning of Summons in Hindi

कानूनी भाषा में कहा जाए तो समन अदालत की कार्यवाही के दौरान जारी किया जाने वाले एक कानूनी दस्तावेज (नोटिस) होता है। न्यायिक कार्यवाही के दौरान जब किसी व्यक्ति को अभियुक्त (यानी आरोपी) ठहराया जाता है तो उसे समन के द्वारा कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया जाता है।



कोर्ट से समन कब जारी होता है?

जब भी किसी एक पक्ष द्वारा किसी दूसरे पक्ष के खिलाफ किसी मामले को लेकर कोर्ट में केस किया जाता है तो कोर्ट द्वारा दूसरे पक्ष के व्यक्ति को सूचित करने के लिए समन भेजा जाता है। समन को मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया जाता है, जिसके द्वारा दूसरे पक्ष को यह सूचित किया जाता है कि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, इसलिए उन्हें Summons में दी गई तारीख (Date) को अदालत के सामने पेश होना होगा।

यह भी जरुरी नहीं होता कि समन केवल आरोपी व्यक्ति के खिलाफ ही जारी किया जाता हो, गवाहों को अदालत में गवाही देने के लिए बुलाने के लिए भी सम्मन भेजा जाता है।  



वारंट क्या होता है?

वारंट एक ऐसी अनुमति होती है जिसे मजिस्ट्रेट द्वारा दिया जाता है वारंट मिलने के बाद पुलिस द्वारा उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है जिसके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी हुआ है। किसी के घर में जाकर तलाशी करने के लिए व किसी व्यक्ति के घर को जब्त करने के लिए भी पुलिस को वारंट की आवश्यकता पड़ती है।

अकसर देखा जाता है कि कुछ लोग समन व वारंट को लेकर उलझन में पड़ जाते है, क्योंकि उन्हें Summons व Warrant में अंतर नहीं पता होता इसलिए वारंट और समन के अंतर को समझना बहुत ही जरुरी है।



समन (Summons) और वारंट (Warrant) में क्या अंतर होता है?

समन- जब भी किसी व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया जाता है तो उसे समन जारी कर सूचित किया जाता है कि उसके खिलाफ इस मामले के तहत केस दर्ज किया गया है व उसको इस तारीख को स्वंय कोर्ट में आना पड़ेगा।

वारंट- पुलिस द्वारा गैर-संज्ञेय अपराध में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने व उसके घर की तलाशी लेने के लिए वारंट की जरुरत पड़ती है। जिसे कोर्ट द्वारा जारी किया जाता है, कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। यदि कोई व्यक्ति संज्ञेय (यानि गंभीर) अपराध करता है तो पुलिस उसे बिना किसी वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है।  

इसे और भी आसान भाषा में समझे तो किसी व्यक्ति को समन भेजे जाने पर समन के नियमों की पालना करते हुए उसे स्वयं कोर्ट जाना पड़ता है, लेकिन वारंट के नियमों का पालन करने के लिए पुलिस को आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश करना होता है।
 



समन कितने प्रकार के होते है - Type of Summons in India

समन को तीन श्रेणियों में रखा गया है- सिविल, प्रशासनिक व आपराधिक समन



सम्मन प्राप्त करने के बाद क्या करें

जब भी किसी व्यक्ति को कोर्ट से समन प्राप्त होता है तो उसके अंदर यह लिखा गया होता है कि किस अपराध के मुकदमे के लिए समन जारी किया गया है व किस तारीख तक कोर्ट में पेश होना होता है। सम्मन प्राप्त करने के बाद कोर्ट द्वारा कुछ दिन का समय दिया जाता है जिसके अंदर वो व्यक्ति अपना केस लड़ने के लिए किसी वकील की सलाह ले सकता है।



Court द्वारा Summons कितनी बार जारी किया जा सकता है

कोर्ट द्वारा समन भेजे जाने पर यदि कोई व्यक्ति उस Summon का जवाब नहीं देता या निर्धारित समय पर कोर्ट में उपस्थित नहीं होता तो कोर्ट द्वारा 2 से 3 बार समन भेजा जाता है। यदि उसके बाद भी वो व्यक्ति कोर्ट में उपस्थित नहीं होता तो कोर्ट द्वारा उस व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी कर दिया जाता है, जिसके बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश किया जाता है।   



समन की तामील क्या होता है

जब भी Court Summons की बात आती है तो समन की तामील नाम का यह शब्द बहुत अधिक सुना जाता है। साधारण तरीके से समझे तो समन की तामील का अर्थ होता है समन का उस व्यक्ति तक पहुँच जाना जिसके लिए समन जारी किया गया है। कोर्ट से समन जारी होने के बाद किसी कर्मचारी के द्वारा उसे उस व्यक्ति के घर भेजा जाता है। जिसके बाद समन की एक फोटो कॉपी उस व्यक्ति को दे दी जाती है व दूसरी कापी पर समन प्राप्त करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर करवा लिए जाते है। इसलिए जारी होने से लेकर समन को प्राप्त करने तक की प्रक्रिया को ही समन की तामील कहा जाता है।




समन प्राप्त करने से कैसे बचते है लोग?

बहुत बार देखा जाता है कि Court Summons का नाम सुनकर लोग घबरा जाते है जब किसी व्यक्ति को पहले ही पता चल जाता है कि उसके घर कोर्ट से समन आएगा तो ऐसे व्यक्ति बहुत बार घर से कही और चले जाते है। इस प्रकार वे सोचते है कि समन वापिस चला जाएगा व कोर्ट की तरफ से उन्हें कुछ समय और मिल जाएगा।

जिस व्यक्ति के नाम समन जारी हुआ है यदि वो अपने घर पर भी नहीं मिलता या समन प्राप्त करने से बचता है तो उस व्यक्ति के घर के नौकर, महिला व बच्चों को छोड़कर किसी व्यक्ति को सम्मन सौंपा जा सकता है। जिसके बाद उस व्यक्ति को कोर्ट में पेश होना ही पड़ता है यदि वो फिर भी कोर्ट नहीं जाता तो उसके खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तार किया जा सकता है।


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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


कोर्ट समन क्या होता है?

अदालत से मिला सम्मन एक आधिकारिक दस्तावेज है जो एक अदालत द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था को अदालत में उनकी आवश्यक उपस्थिति के बारे में सूचित करने के लिए जारी किया जाता है। यह अदालत की सुनवाई या मुकदमे की तारीख, समय और स्थान की रूपरेखा तैयार करता है।


अदालत का सम्मन कैसे पहुँचाया जाता है?

एक अदालत सम्मन आमतौर पर एक प्रक्रिया सर्वर या कानून प्रवर्तन अधिकारी द्वारा वितरित किया जाता है जो सम्मन में नामित व्यक्ति या संस्था को व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज़ प्रदान करता है। इसे क्षेत्राधिकार के आधार पर प्रमाणित मेल या अन्य स्वीकृत विधियों के माध्यम से भी वितरित किया जा सकता है।


यदि मुझे Court से Summon प्राप्त होता है तो मुझे क्या करना चाहिए?

यदि आपको अदालती सम्मन प्राप्त होता है, तो दस्तावेज़ को सावधानीपूर्वक पढ़ना और आपके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण है। अदालत की तारीख, समय और स्थान के साथ-साथ प्रदान किए गए किसी भी विशिष्ट निर्देश पर ध्यान दें। सम्मन का पालन करना और आवश्यकतानुसार अदालत में उपस्थित होना आवश्यक है


अदालत का सम्मन कैसे पहुँचाया जाता है?

एक अदालत सम्मन आमतौर पर एक प्रक्रिया सर्वर या कानून प्रवर्तन अधिकारी द्वारा वितरित किया जाता है जो सम्मन में नामित व्यक्ति या संस्था को व्यक्तिगत रूप से दस्तावेज़ प्रदान करता है। इसे क्षेत्राधिकार के आधार पर प्रमाणित मेल या अन्य स्वीकृत विधियों के माध्यम से भी वितरित किया जा सकता है।



सम्मन के आधार पर अदालती सुनवाई के संभावित परिणाम क्या हैं?

सम्मन के आधार पर अदालती सुनवाई के संभावित परिणाम मामले की प्रकृति के आधार पर व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं। संभावित परिणामों में मामले को खारिज करना, आपके पक्ष में फैसला, आपके खिलाफ फैसला या आगे की अदालती कार्यवाही शामिल हैं। आपकी स्थिति के लिए विशिष्ट संभावित परिणामों को समझने के लिए एक वकील से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।



मुझे अपने साथ अदालत में क्या लाना चाहिए?

Summons के आधार पर अदालत में पेश होने पर आम तौर पर मामले से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज और सबूत लाने की सिफारिश की जाती है, जैसे अनुबंध, चालान, रसीदें, या कोई अन्य रिकॉर्ड जो आपकी स्थिति का समर्थन कर सके। इसके अतिरिक्त, सम्मन में अनुरोध किए गए किसी भी पहचान दस्तावेज, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट को साथ लाएं।



क्या मैं अदालत के सम्मन को अनदेखा कर सकता हूँ?

कोर्ट के समन को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। अदालत के summons का जवाब देने में विफल रहने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे कि आपके खिलाफ एक डिफ़ॉल्ट निर्णय दर्ज किया जाना, गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाना, या अन्य कानूनी दंड। समन को गंभीरता से लेना और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह लेना महत्वपूर्ण है।



क्या होगा अगर मैं अदालत की सुनवाई में शामिल नहीं हो सकता?

यदि आप आकस्मिक परिस्थितियों, जैसे कि बीमारी या पूर्व-नियोजित यात्रा के कारण सम्मन में बताई गई अदालती सुनवाई में शामिल नहीं हो सकते हैं, तो जल्द से जल्द अदालत को सूचित करना आवश्यक है।

स्थिति पर चर्चा करने और उपलब्ध विकल्पों का पता लगाने के लिए कोर्ट क्लर्क या अपने वकील से संपर्क करें, जैसे जारी रखने का अनुरोध करना या कानूनी प्रतिनिधित्व के माध्यम से अपना मामला पेश करना।



क्या मैं अदालत की तारीख को फिर से शेड्यूल (बदलाव) कर सकता हूँ?

कुछ मामलों में, अदालत की तारीख में बदलाव का अनुरोध करना या पुनर्निर्धारण की मांग करना संभव हो सकता है। हालाँकि, यह प्रक्रिया क्षेत्राधिकार और मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर भिन्न होती है।

यह सलाह दी जाती है कि एक वकील से परामर्श करें जो अदालत की तारीख में बदलाव का अनुरोध करने के लिए उचित कदमों के माध्यम से आपका मार्गदर्शन कर सकता है।