धारा 324 क्या है सजा, जमानत, बचाव - IPC Section 324 in Hindi

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

आज के लेख में हम जानेंगे आईपीसी की धारा 324 क्या होती है (What is IPC Section 324 in Hindi), इस धारा में कितनी सजा होती है? धारा 324 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है? आज हम इस आईपीसी सेक्शन से जुडें सभी सवालों का जवाब आपको देंगे। अगर आप भी इस धारा से संबधित सवालों की सही जानकारी विस्तार से जानना चाहते है तो आज के आर्टिकल में हमने धारा 324 से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी को आसान शब्दों में बताने का प्रयास किया है।

आजकल लड़ाई-झगड़े व हत्या (Murder) जैसे अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है। रोजाना सोशल मिड़िया व न्यूज चैनल पर देखने को मिलता है कि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति को गोली मार दी या किसी धार-धार हथियार (weapon) से हमला (Attack) कर दिया। ऐसे अपराधों को रोकने व दोषी व्यक्तियों को दंड (Punishment) देने के लिए भारतीय दंड संहिता द्वारा सख्त कानून बनाए गए है तो चलिए आगे जानते है ऐसे ही अपराध की आईपीसी धारा 324 के बारे में।


धारा 324 क्या है - IPC Section 324 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के अनुसार, धारा 334 में बताए गए मामलों को छोड़कर, कोई व्यक्ति स्वेच्छा (खुद की इच्छा से) से किसी के साथ लड़ाई – झगड़े में या किसी रंजिश के चलते उस व्यक्ति पर किसी खतरनाक हथियार (Dangerous Weapon) से हमला करके चोट (Injury) पहुँचाता है जिसमें उस व्यक्ति के मरने या किसी गंभीर चोट लगने की संभावना हो तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर IPC Section 324 के तहत कार्यवाही की जाती है। नीचे हम जानेंगे किन हथियारों के उपयोग करने पर Section 324 लगती है।

  • किसी व्यक्ति को चाकू (knife) या कोई अन्य धार-धार (Edged Weapon) हथियार घोंपकर Attack करने पर।
  • गोली चलाकर या बन्दूक (Gun) से हमला करने पर।
  • किसी जहरीली वस्तु का उपयोग करना जिससे सांस लेने में समस्या हो और उसकी जान जाने का खतरा बन जाए।
  • गरम पानी या कोई जलती हुई चीज से हमला करने पर।
  • किसी खतरनाक जानवर के माध्यम से हमला कराने पर।

ये कुछ ऐसे अपराध है जिनके होने पर धारा 324 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। आइए Section 324 के अपराध को एक उदाहरण द्वारा समझते है।

उदाहरण:- एक बार राहुल और सुमित दोनों पड़ोसी होते है। एक दिन राहुल अपनी गाड़ी सुमित के घर के सामने खड़ी कर देता है। यह सब देखकर सुमित राहुल को वहां से गाड़ी हटाने के लिए बोलता है लेकिन राहुल और सुमित की बात को मजाक में टाल देता है। इसी बात को लेकर सुमित को गुस्सा आ जाता है और दोनों में लड़ाई हो जाती है तब सुमित राहुल पर चाकू से हमला कर देता है जिस कारण राहुल को गंभीर चोट आ जाती है। तब पुलिस राहुल की शिकायत पर सुमित को गिरफ्तार करके IPC 324 के तहत मुकदमा दर्ज कर देती है।


आईपीसी धारा 324 के तहत अपराध साबित करने के मुख्य बिंदु

जब भी कोई व्यक्ति इस धारा के तहत अपराध करता है तो उस अपराध को साबित करने के लिए कुछ मुख्य बातों का होना बहुत ही जरुरी है। आईपीसी धारा 324 के प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं:-

  • स्वैच्छिक कार्य: आरोपी (Accused) द्वारा चोट पहुंचाने का कार्य जानबूझकर और उसकी खुद की इच्छा से किया जाना चाहिए।
  • चोट पहुँचाना: आरोपी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति को कोई ना कोई चोट पहुँचाई होगी। "चोट" का अर्थ है किसी व्यक्ति पर हमला करके उसे शारीरिक (Physically) रुप से नुकसान पहुँचाना।
  • खतरनाक हथियार या साधन: चोट किसी Dangerous Weapon या किसी अन्य वस्तु के द्वारा पहुँचाई गई होगी। जिससे पीड़ित व्यक्ति (Victim) की मृत्यु (Death) होने या कोई गंभीर नुकसान होने की संभावना हो। खतरनाक हथियारों के उदाहरणों में चाकू, बंदूकें या नुकसान पहुंचाने के इरादे से इस्तेमाल की जाने वाली कोई भी वस्तु शामिल है।
  • चोट पहुंचाने का इरादा: आरोपी का इरादा (Intention) पीड़ित व्यक्ति को चोट पहुंचाने का रहा होगा। कार्य जानबूझकर किया जाना चाहिए, यह बात समझते हुए कि उसके हमला करने से सामने वाले व्यक्ति को चोट लगेगी ही लगेगी।
  • सजा में बढ़ोतरी:- यदि आरोपी द्वारा किए गए हमले के कारण सामने वाले व्यक्ति की जान चली जाती है या अन्य गंभीर चोट लग जाती है तो उसकी सजा को अन्य अपराध की धाराओं के तहत बढ़ाया भी जा सकता है।

धारा 324 में सजा - IPC 324 Punishment in Hindi

भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर खतरनाक हथियार से या किसी गैर-कानूनी हथियार (Illegal Weapon) से हमला करने का अपराध करता है तो धारा 324 के तहत मुकदमा दर्ज (Case file) होने के बाद न्यायालय आरोपी के द्वारा किए गए गुनाह की गंभीरता व सहजता को देखते हुए साधारण सजा या कठोर सजा का फैसला सुनाती है जिसमें दोषी पाये जाने पर 3 वर्ष की कारावास तक की सजा व जुर्माना का प्रावधान (Provision) है।



IPC 324 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

IPC 324 के तहत आने वाला यह अपराध एक संज्ञेय श्रेणी (Cognizable) का अपराध है। किसी व्यक्ति पर ऐसे खतरनाक हथियार से हमला करना जिससे उस व्यक्ति की जान जा सकती है जैसा गंभीर अपराध करने की वजह से यह एक गैर-जमानती अपराध (Non Bailable Offence) होता है जिसमें जमानत (Bail) मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।

ऐसे गंभीर अपराधों के मामलों में आपको किसी अनुभवी वकील (Experienced lawyer) की आवश्यकता पड़ती है एक अच्छा व अपने कार्य में पूरी तरह से निपुण वकील ही आपको निर्दोष (Innocent) साबित करने व जमानत दिलाने में आपकी सहायता कर सकता है। यह Crime किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।



भारतीय दंड संहिता की धारा 324 व धारा 326 में क्या अंतर है?

IPC 324 और IPC 326 दोनों ही Indian Penal Code (भारतीय दंड संहिता) की अलग-अलग धाराएं हैं जो Dangerous Weapon द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने या गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित अपराध के बारे में बताती है। दोनों IPC Sections में खतरनाक हथियारों के उपयोग का जिक्र होने के कारण बहुत बार लोग विचलित हो जाते है, इसलिए इन दोनों के अंतर को समझना भी आपके लिए बहुत जरुरी है।

IPC Section 324

धारा 324 खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध के बारे में बताती है। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी ऐसे ऐसे हथियार से Attack करके किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाता है। जो मौत या गंभीर चोट पहुंचाने में सक्षम है, यानी वो हथियार जिसका उपयोग किया गया है। वो इतना Danger है कि उससे पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती थी तो ऐसा करने वाले Criminal व्यक्ति को तीन वर्ष तक की कैद व जुर्माने की सजा दी जाती है।

IPC Section 326

धारा 326 भी खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध के बारे में बताती है। लेकिन इस सेक्शन को धारा 324 की तुलना में ज्यादा गंभीर माना जाता है। क्योंकि धारा 324 में केवल चोट पहुँचाने के बारे में बताया गया है लेकिन इसमें गंभीर चोट पहुँचाना शामिल है।

गंभीर चोट का अर्थ होता है ऐसी injury जिससे पीड़ित व्यक्ति को शारीरिक रुप से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ हो, या जिसके बाद उस व्यक्ति के शरीर का कोई अंग (Body Part) बिल्कुल खराब हो गया हो। इसलिए इसे अधिक गंभीर अपराध (Serious Crime) माना जाता है और धारा 326 के तहत अपराधी व्यक्ति को 10 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने (Imprisonment & Fine) से दंडित किया जा सकता है।



IPC Section 324 में बचाव

किसी व्यक्ति के साथ लड़ाई झगड़ा करना स्वंय के साथ-साथ किसी दूसरे व्यक्ति के लिए भी आजीवन कठिन समस्या को आमंत्रित करने जैसा है क्योंकि गुस्से जैसी हालात में इंसान खुद से कंट्रोल खो जाता है और ऐसे में ना चाहते हुए भी किसी गंभीर अपराध को कर देता है। जिसका बाद में अफसोस करने से भी कोई फायदा नहीं होता तो आइए कुछ जरुरी बातों के बारें में जानते है जिससे धारा 324 से बचा जा सकता है।

  • अगर किसी बात पर गुस्सा आ जाता है और झगड़ा होने जैसे हालात पैदा होते है तो खुद को शांत करें व सामने वाले व्यक्ति को समझाने का भी प्रयास करें।
  • अगर कभी झगड़ा हो जाता है तो किसी भी ऐसे हथियार का प्रयोग न करें जिससे सामने वाले व्यक्ति को जान का खतरा हो।
  • यदि कोई व्यक्ति आप पर हमला करने की कोशिश करता है तो वहाँ से कैसे भी करके निकल जाए और तुरन्त इसकी सूचना पुलिस को दे।
  • अगर आपने कोई अपराध नहीं किया है और फिर भी आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाता है तो तुरन्त एक अनुभवी वकील की मदद, ले वो आपको आसानी से निर्दोष साबित करवा के Section 324 की Punishment से बचा सकता है।

Offence : स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट के कारण


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 324 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 324 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 324 अपराध : स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट के कारण



आई. पी. सी. की धारा 324 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 324 के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 324 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 324 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 324 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 324 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 324 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 324 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 324 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।