विषयसूची
- बीएनएस की धारा 238 क्या है - BNS Section 238 in Hindi
- इस धारा के लागू होने के लिए मुख बिंदु
- बीएनएस सेक्शन 238 के अपराध को सरल भाषा में समझने योग्य उदाहरण
- BNS Section 238 के अपराध में किए जाने वाले कुछ अन्य कार्य
- बीएनएस की धारा 238 में अपराध के दोषियों के लिए सजा
- बीएनएस की धारा 238 में बेल (जमानत) मिल सकती है या नही?
- बीएनएस धारा 238 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हमारे देश में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहां अपराधी न केवल अपना अपराध करते हैं बल्कि उसे छिपाने के लिए भी कई हदें पार कर जाते हैं। इनमें से एक तरीका है अपराध के सबूतों को मिटाना या फिर अपराधी को बचाने के लिए झूठ बोलना। जब कोई व्यक्ति अपराध के सबूतों को छिपाता है तो वह न केवल न्याय व्यवस्था में रुकावट डालता है, बल्कि असली अपराधी को भी बचाने में मदद करता है। इससे न केवल पीड़ित को न्याय मिलने में देरी होती है बल्कि समाज में भी एक गलत संदेश जाता है। इसलिए आज हम सबूतों को छिपाने से जुडी भारतीय न्याय संहिता की धारा के बारे में बताएंगे कि, बीएनएस की धारा 238 क्या है (BNS Section 238 in Hindi)? यह सेक्शन कब व कैसे लागू होती है? BNS 238 के अपराध के लिए दंड और जमानत का प्रावधान?
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अपराध के बारे में झूठ बोलता है या फिर उस अपराध के सबूतों को नष्ट करता है, तो पहले ऐसे अपराधों से जुड़े मामलों के लिए आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 201 लागू होती थी। लेकिन जब से IPC की जगह BNS आई है, तब से ऐसे मामलों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के तहत केस दर्ज किए जाने लगे हैं। इसलिए किसी भी कानूनी कार्यवाही के दौरान सबूतों को छिपाने व झूठी जानकारी देने के अपराध को विस्तार से समझने के लिए इस लेख को जरुर पढ़े।
बीएनएस की धारा 238 क्या है - BNS Section 238 in Hindi
BNS की धारा 238 एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है जो किसी अपराध के साक्ष्य यानि सबूतों (Evidences) को छिपाने या किसी अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी (False Information) देने से संबंधित है। इस धारा का उद्देश्य न्याय व्यवस्था (Judicial System) में बाधा उत्पन्न करने वाले कार्यों को रोकना है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के बारे में जानते हुए जानबूझकर उस अपराध के सबूतों को नष्ट करने या छिपाने का प्रयास करता है।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए हत्या (Murder) के जुर्म के बारे में जानता है और हत्यारे को बचाने के लिए हथियार (Weapon) को छिपा देता है, तो वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के तहत दोषी पाया जा सकता है।
- BNS 238 का खण्ड (a) अगर किसी व्यक्ति ने हत्या का अपराध किया है और उसे बचाने के लिए कोई अन्य व्यक्ति सबूतों व गवाहों (Witnesses) को छिपाने का प्रयास करता है तो उसे 238 के खण्ड (a) के तहत दंडित (Punished) किया जा सकता है।
- BNS 238 का खण्ड (b) अगर किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा अपराध किया हो जिसकी सजा के तौर पर उसे आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा मिल सकती है। लेकिन उस व्यक्ति को बचाने के लिए कोई व्यक्ति सबूतों को मिटाता है या झूठी जानकारी देता है तो उसे खण्ड (b) के तहत दंडित किया जाएगा।
- BNS 238 का खण्ड (c) यदि किसी अपराध के लिए 10 साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे मामले से जुड़े सबूत छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 238 का खण्ड (c) के तहत सजा दी जा सकती है।
इस धारा के लागू होने के लिए मुख बिंदु
- इस धारा के लागू किए जाने से पहले सबसे यह साबित होना चाहिए कि कोई अपराध हुआ है।
- उसके बाद यह साबित होना चाहिए कि किसी ने जानबूझकर (Intentionally) उस अपराध के साक्ष्य को छिपाया है। यह साक्ष्य कुछ भी हो सकता है, जैसे कि हथियार, कपड़े, या कोई और चीज जो अपराध से जुड़ी हो।
- या फिर, यह साबित होना चाहिए कि किसी ने जानबूझकर झूठी जानकारी देकर अपराधी (Criminal) को बचाने की कोशिश की है।
बीएनएस सेक्शन 238 के अपराध को सरल भाषा में समझने योग्य उदाहरण
रवि और श्याम बचपन के दोस्त थे। दोनों एक ही शहर में रहते थे और एक दूसरे के बहुत करीब थे। एक दिन रवि ने श्याम को बताया कि उसने एक ज्वैलरी की दुकान से चोरी की है और सोने के गहने चुरा लिए हैं। रवि ने श्याम से कहा कि वह गहने उसके घर में छिपा दे। श्याम इस बात से बहुत डर गया लेकिन रवि से दोस्ती निभाने के लिए राजी हो गया। श्याम ने गहनों को अपने घर की अलमारी में छिपा दिया। कुछ दिनों बाद पुलिस को इस चोरी के बारे में पता चला और उन्होंने रवि के घर की तलाशी ली। लेकिन पुलिस को कुछ नहीं मिला।
रवि ने पुलिस को बताया कि उसे इस चोरी के बारे में कुछ नहीं पता है। पुलिस ने श्याम से भी पूछताछ की लेकिन श्याम ने भी कुछ नहीं बताया। श्याम ने जानबूझकर चोरी के गहने छिपाकर रवि को बचाने की कोशिश की। जो कि कानूनी रुप से अपराध है और इसमें पकड़ने जाने पर रवि व श्याम दोनों पर BNS की धारा 238 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
BNS Section 238 के अपराध में किए जाने वाले कुछ अन्य कार्य
- किसी अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार को छिपाना, फेंक देना या दबा देना।
- अपराध के स्थान को साफ करना जैसे कि हत्या के स्थान से खून के निशान मिटाना।
- गवाहों को डराना या लालच देकर गवाही ना देने के लिए मजबूर करना।
- पुलिस को गुमराह करने के लिए झूठ बोलना।
- अपराधी को पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचाने के लिए छिपने में मदद करना।
- झूठे सबूत बनाना जैसे किसी और व्यक्ति को अपराध का दोषी ठहराने के लिए झूठे सबूत लगाना।
- पुलिस को यह बताने से इनकार करना कि अपराध के बारे में क्या जानते हैं।
- अपराध के साक्ष्य को नष्ट करना जैसे कि सीसीटीवी फुटेज को मिटाना।
- अपराधी को देश से बाहर भेजना ताकि वह पुलिस की पकड़ से बच सके।
बीएनएस की धारा 238 में अपराध के दोषियों के लिए सजा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के तहत सजा को तीन प्रकार से बताया गया है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती हैं।
- धारा 238 का खण्ड (a) की सजा:- यदि किसी ने ऐसा अपराध किया है, जिसकी सजा मौत (Death) हो सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसी सजा से आरोपी (Accused) को बचाने के लिए सबूतों को जानबूझकर मिटाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 7 साल तक की जेल हो सकती है। इसके साथ में जुर्माना भी लग सकता है।
- धारा 238 का खण्ड (b) की सजा:- अगर किसी अपराध के लिए आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे केसों में बाधा डालने के लिए जानबूझकर सबूत मिटाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को 3 साल तक की जेल व जुर्माने की हो सकती है।
- धारा 238 का खण्ड (C) की सजा:- यदि किसी अपराध के लिए 10 साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है, और कोई व्यक्ति ऐसे अपराधों की सजा से बचने के लिए सबूत छुपाता है या झूठी जानकारी देता है, तो उस व्यक्ति को अपराध की अधिकतम सजा का 1/4 हिस्सा जेल में काटना पड़ेगा। यानि उसे 2.5 साल तक की जेल व जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
बीएनएस की धारा 238 में बेल (जमानत) मिल सकती है या नही?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 238 के अनुसार किसी अपराध के मामले में सजा पाने से बचने के लिए सबूतों को मिटा देना या झूठी जानकारी देना एक संज्ञेय (Cognizable) यानि गंभीर अपराध होता है। जिसमें पुलिस ऐसे कार्य करने वाले व्यक्ति को बिना कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तार (Arrest) कर सकती है। परन्तु यह एक जमानती अपराध (Bailable Offence) भी होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति को कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन देने के बाद जमानत (Bail) मिल सकती है। ऐसे अपराध से जुड़े मामले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।
निष्कर्ष:- BNS Section 238 का उद्देश्य न्याय व्यवस्था को बाधित करने वाले कृत्यों को रोकना है। यह धारा उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो जानबूझकर किसी अपराध के सबूतों को छिपाते हैं या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देते हैं। इसलिए किसी भी व्यक्ति को बचाने के लिए सबूतों को मिटा देना सहायता करने वाले व्यक्ति को भी कानून अपराधी बना सकता है। अगर आपको इस धारा से संबधित कोई मदद चाहिए तो आप आज ही हमारे अनुभवी वकीलों से संपर्क कर सकते है।
बीएनएस धारा 238 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बीएनएस में धारा 238 क्या है, और यह कब लागू होती है?
BNS की धारा 238 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो किसी अपराध के साक्ष्य छिपाने या अपराधी को बचाने की कोशिश करने से जुड़ा है। सरल शब्दों में, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अपराध के बारे में झूठ बोलता है या फिर उस अपराध के सबूतों को नष्ट करता है तो वह धारा 238 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता धारा 238 के तहत क्या-क्या अपराध आते हैं?
भारतीय न्याय संहिता सेक्शन 238 के तहत आने वाले कुछ सामान्य अपराध इस प्रकार हैं:
- साक्ष्य छिपाना: जैसे कि हत्या के मामले में हथियार को फेंक देना या दबा देना।
- झूठे बयान देना: पुलिस को गुमराह करने के लिए झूठ बोलना।
- गवाहों को डराना: ताकि वे पुलिस को सच न बताएं।
- अपराधी को भागने में मदद करना: अपराधी को पकड़ने से बचाने के लिए उसे छिपाने में मदद करना।
- झूठे सबूत बनाना: किसी और व्यक्ति को अपराध का दोषी ठहराने के लिए झूठे सबूत लगाना।
क्या BNS 238 में सबूतों को छिपाने के अपराध में बेल मिल सकती है?
हां, बीएनएस की धारा 238 जमानती होती है जिसमें आरोपी व्यक्ति को बेल मिल सकती है।
सबूतों को छिपाने या मिटाने के अपराध में क्या सजा मिलती है?
BNS 238 के तहत सबूतों को छिपाने या मिटाने के अपराध में कोर्ट दोषी ठहराए जाने वाले व्यक्ति को 2.5 साल से लेकर 7 साल तक की कारावास और जुर्माना दोनों हो सकता है। इसमें सजा की अवधि अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती है।
क्या झूठी जानकारी देना व सबूतों को मिटाना संज्ञेय अपराध है?
हां, सेक्शन 238 के प्रावधानों अनुसार यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसमें आरोपी व्यक्ति के खिलाफ पुलिस द्वारा तुरन्त कार्यवाही की जा सकती है।