IPC 410 in Hindi - धारा 410 क्या है? सजा और जमानत का प्रावधान

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

चोरी एक ऐसा अपराध है जो बहुत पुराने समय से चलता आ रहा है व इस प्रकार के मामलों में बढ़ोतरी निश्चित रुप से हम सब के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। आज के बदलते दौर में किसी भी वस्तु या संपत्ति को चोरी करने के तरीकों में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। कोई भी संपत्ति जिसको किसी भी तरीके से बिना उसके मालिक की अनुमति के अपना बना लिया जाता है तो ऐसा करना चोरी ही कहलाता है। इसलिए आज के लेख में हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली ऐसे कानून की धारा के बात करेंगे कि धारा 410 क्या है ये धारा कब लगती है? इस मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है?

इस आधुनिक समय में बढ़ते अपराधों (Crimes) को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों (Laws) के बारे में समझना हमारे लिए बहुत ही जरुरी है। इसलिए हम अपने लेख द्वारा भारतीय कानून (Indian Law) से जुड़ी सभी जानकारी आप तक पहुँचाने के प्रयास में लगे रहते है। इसलिए हमारे इस लेख के माध्यम से IPC Section 410 को अच्छे तरीके से समझने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

धारा 410 क्या है कब लगती है – IPC 410 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 410 में चोरी की गई संपत्ति (Stolen property) को परिभाषित किया गया है। सबसे पहले हम समझते है कि चोरी क्या होती है। जब आप किसी व्यक्ति की कोई भी वस्तु जानबूझकर उठा लाते है बिना उसके मालिक को बताए तो वह चोरी (Theft) कहलाती है।

इसलिए इस IPC Section में बताया गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति चोरी की किसी भी वस्तु को खरीदता है यह जानते हुए भी की यह चोरी की है या किसी की सहायता करने के लिए चोरी के समान (Stolen Property) को अपने पास रख लेता है। इस प्रकार का अपराध करने वाले व्यक्ति पर धारा 410 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

इसलिए जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की वस्तु को चोरी, लूट या धोखे से कब्जा कर अपने पास रखता है या उसे देश के अंदर या किसी अन्य देश में बेच देता है तो वह भी चुराई हुई संपत्ति कहलाती है।

इस धारा के द्वारा यह भी बताया गया है कि यदि चोरी की गई कोई भी संपत्ति वापिस अपने मालिक (Owner) के पास पहुँच जाती है तो वह चुराई हुई संपत्ति नहीं मानी जाएगी।


आईपीसी की धारा 410 के मुख्य तत्व क्या है ?

IPC Section 410 को किसी व्यक्ति पर तब ही लागू किया जा सकता है जब इस धारा के प्रावधान (Provision) के तहत दी गई कुछ मुख्य बातों या तत्वों (Elements) के अनुसार ही कोई व्यक्ति Crime करता है। इसलिए आइये जानते है वे मुख्य बातें कौन सी है:-

  • चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना: यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी संपत्ति (Property) को प्राप्त करता है या अपने पास रखता है जिसके बारे में वो यह जानता है कि यह वस्तु जो उसके पास है यह चोरी की है। कोई भी व्यक्ति ऐसी संपत्ति को किसी लालच (Greed) में या किसी की सहायता करने के लिए अपने पास रखता है, तो उसे धारा 410 के तहत आरोपित किया जा सकता है।
  • बेईमानी का इरादा: चोरी की संपत्ति को प्राप्त करने या रखने के लिए व्यक्ति का बेईमानी करना का इरादा (Dishonest Intention) भी होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि उनका इरादा चोरी की संपत्ति को बेईमानी से अपने पास रखने, बेचने में मदद करना है।

उदाहरण के रुप में यदि कोई व्यक्ति किसी के घर से कीमती गहनों की चोरी करता है और उसे कुछ समय के लिए छुपाने के लिए आपको देता है। यदि आप यह बात जानते हैं कि उस व्यक्ति के द्वारा दिए गहने चोरी के है और आप उन्हें फिर भी अपने पास रख लेते है। इस प्रकार की सहायता करने के लिए भी आप पर चोरी की गई संपति रखने के लिए कार्यवाही की जा सकती है।


IPC Section 410 Crime Example

अजय अपने दोस्त मोहित पर बहुत भरोसा करता था। एक दिन जब मोहित अजय के घर आता है तो अजय उसे एक बहुत ही महंगी व कीमती वस्तु कुछ समय के लिए रखने को दे देता है। अजय मोहित को बोलता है कि मैं कुछ दिन बाद आकर तुम से इसे ले लूंगा। जब कुछ दिन के बाद अजय वापिस अपने घर आता है तो वह मोहित से अपनी कीमती वस्तु लाने को बोलता है, लेकिन मोहित यह कहता है कि वो वस्तु तो उससे गुम हो गई।

कुछ दिन बाद अजय को पता चलता है कि मोहित ने उस कीमती वस्तु को किसी को बेच दिया। जिसके कारण अजय को बहुत गुस्सा आता है और वो मोहित के खिलाफ चोरी व धोखे से संपत्ति हासिल करने (Get property by Fraud) की धारा 410 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवा देता है।

धारा 410 में सजा – IPC 410 Punishment in Hindi

IPC Section 410 में केवल Stolen Property को परिभाषित किया गया है। जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार की संपत्ति को चोरी की संपत्ति माना जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति आपकी किसी संपत्ति को चोरी करके, लूटकर, डरा-धमका कर या धोखे से हासिल करता है तो उसे संपत्ति की चोरी (Property of Theft) कहा जाता है। जिस के लिए चोरी की अन्य धाराओ के तहत सजा (Punishment) दी जाती है।

Note:- यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का सामान खरीदता है, धोखा-धड़ी करता है व लूट-पाट करता है तो उसको क्या सजा मिलती है आप हमारे धारा 411,धारा 420IPC Section 394 वाले लेख में पढ़ सकते है।


IPC 410 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 410 मे जमानत (Bail) का फैसला भी चोरी की अन्य धाराओं के तहत ही लिया जाता है। इसलिए यदि कोई इस धारा में बताए गई बातों के अनुसार Crime करता है तो वह चोरी की संपत्ति का दोषी (Guilty) माना जाएगा। उस व्यक्ति पर Theft की अन्य धाराओ के तहत मुकदमा दर्ज (Case Filed) होगा व जमानत (Bail) का फैसला भी उसी आधार पर किया जाता है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 410 में वकील के भूमिका?

बचाव पक्ष के वकील:

  • कानूनी सलाह: एक बचाव पक्ष (Defendants) का वकील कानून (Law) के तहत दिए गए अधिकारों (Rights) और विकल्पों (Options) को समझाते हुए कानूनी सलाह देता है।
  • मामले का विश्लेषण: वकील (Lawyer) सबूतों की जांच करता है, अभियोजन पक्ष (Prosecutors) के मामले को समझकर उनके केस की मजबूती का मूल्यांकन (Evaluation) करता है और यदि आरोपी व्यक्ति (Accused Person) के लिए किसी भी प्रकार का कानूनी बचाव उपलब्ध होता है तो वो उसके बचाव के लिए आगे की कार्यवाही करता है।
  • रणनीति विकास: इसके बाद वकील एक रणनीतिक रक्षा योजना बनाता है जिसमें सामने वाले पक्ष के सबूतों (Evidences) को चुनौती देना, तलाशी या जब्त किए गए सामान के वैध (Vaild) होने पर सवाल उठाना, आदि।
  • बातचीत: Lawyer किसी व्यक्ति पर लगे आरोपों (Blames) को कम करने की संभावना को पता लगाता है और दूसरे पक्ष से समझौते (Compromise) के लिए बात करता है।
  • न्यायालय का प्रतिनिधित्व: मुकदमे के दौरान वकील आरोपी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और दूसरे पक्ष या अभियोजन पक्ष के गवाहों (Witness) की जिरह (Cross Examination) करता है, बचाव के लिए सबूत पेश करता है।

अभियोजन पक्ष का वकील:

  • मामले की तैयारी: अभियोजन पक्ष (Prosecutors) का Lawyer उनके केस को मजबूत करने के लिए सबूत इकट्ठा करेंगे, गवाहों का साक्षात्कार लेंगे और आरोपी के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाएंगे।
  • कानूनी सलाह: वे शिकायतकर्ता (Complainant) को कानून के द्वारा दिए गए सभी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए आरोपी व्यक्ति को सजा दिलवाने के तरीकों के बारे में आपको कानूनी सलाह प्रदान करेंगे।
  • अदालत का प्रतिनिधित्व: वकील Court में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करेगा, सबूत पेश करेगा, गवाहों की जांच करेगा और एक उचित संदेह से परे अभियुक्त के अपराध को साबति करने के लिए कानूनी तर्क देगा।
  • बचाव पक्ष की प्रतिक्रिया: वकील बचाव पक्ष की दलीलों को ध्यान से सुनता है और फिर उनको चुनौती देता है, बचाव पक्ष के गवाहों से जिरह करेगा और अभियुक्तों (Accused) द्वारा पेश किए गए किसी भी बचाव या बहाने को गलत साबित करता है।

इसके अलावा भी एक लॉयर दोनों पक्षों की इस प्रकार के मामलों में बहुत तरीकों से मदद करता है इसलिए हमेशा अपने लिए किसी अनुभवी व होनहार वकील की ही मदद लें। साथ ही अगर आप जानना चाहते है कि भारत के सबसे अच्छे व महंगे वकील कौन से है तो आप हमारे इस लेख को भी पढ़ सकते है।


Stolen Property (चोरी की संपति) से जुड़ी कुछ जरुरी बातें

  • किसी भी व्यक्ति से अनुमति लिए बिना उसकी कोई भी वस्तु इस्तेमाल करना या अपने साथ ले जाना चोरी कहलाती है।
  • किसी को डरा धमका कर उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लेना भी चोरी कहलाता है।
  • यदि कोई व्यक्ति आप पर भरोसा करके कोई कीमती वस्तु कुछ समय तक संभाल के रखने के लिए देता है और आप उस वस्तु को गुम कर देते है तो आप पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
  • किसी सुनसान जगह पर पड़ी कोई कीमती वस्तु उसके मालिक को ना देकर स्वंय उसका इस्तेमाल करना भी Section 410 के अनुसार अपराध माना गया है। जैसे मोबाइल व अन्य कोई कीमती वस्तु।

आईपीसी धारा 410 को बीएनएस धारा 317 में बदल दिया गया है।



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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 410 क्या है?

IPC की धारा 410 में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी चोरी की संपत्ति को यह जानते हुए भी खरीदता या अपने पास रखता है कि ये चोरी की संपति है तो ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को इस धारा के तहत सजा दी जाती है।


IPC 410 के तहत चोरी की संपत्ति के अपराध के लिए क्या सजा है?

धारा 410 केवल इस अपराध को बताती है इसके लिए सजा Section 411 के तहत चोरी की गई संपति के अपराध  के दोषी व्यक्ति को एक अवधि की कारावास की सजा है जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।


क्या आईपीसी की धारा 410 चल और अचल संपत्ति दोनों पर लागू हो सकती है?

हाँ, IPC की धारा 410 चल और अचल संपत्ति दोनों पर लागू की जा सकती है। जब चोरी की गई संपति के अपराध की बात आती है तो यह धारा किसी भी प्रकार की संपत्ति के बीच कोई अंतर नहीं करती।



क्या चोरी की संपत्ति से संबंधित आईपीसी में कोई अन्य प्रासंगिक धाराएं हैं?

हाँ, IPC की धारा 410 के अलावा भारतीय दंड संहिता में अन्य धाराएँ भी हैं जो चोरी Stolen Property से संबंधित हैं। उदाहरण के रुप में IPC की धारा 411 "बेईमानी से चोरी की गई संपत्ति प्राप्त करने" के लिए दंड से संबंधित है, और IPC की धारा 412 "डकैती के कमीशन में चोरी की गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने" के लिए दंड को संबोधित करती है।


क्या आईपीसी धारा 410 के तहत कोई अपवाद या बचाव उपलब्ध है?

हां, सेक्शन 410 के तहत कुछ अपवाद और बचाव उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार की संपत्ति को अच्छे कार्य के लिए लेता हाँ या अपने पास रखता है में प्राप्त करता है और बिना इस ज्ञान या विश्वास के कि यह संपत्ति चोरी हो गई थी, तो उनके पास अपराध के खिलाफ एक वैध बचाव हो सकता है।