बीएनएस धारा 317 क्या है | BNS Section 317 in Hindi - सजा जमानत और बचाव


चोरी का सामान की धारा BNS section 317

कभी-कभी हम किसी कीमती चीज को सस्ते में खरीदने के लिए इतनी जल्दबाजी कर देते है, कि हम यह भी पता करना भूल जाते है कि वो वस्तु चोरी की भी हो सकती है। कई बार ऐसे कार्य अंजाने में होते है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर भी चोरी के सामान को खरीद लेते है। ऐसा करना कानूनी रुप से एक गंभीर अपराध माना जा सकता है, जिसके लिए कई वर्षों तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। ऐसे अपराधों से बचने व अंजाने में आरोपी बनने पर आगे की कार्यवाही की जानकारी होना सभी के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए इस लेख में हम भारतीय न्याय संहिता में चोरी के सामान से जुडी एक धारा के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे कि, बीएनएस की धारा 317 (1) (2) (3) (4) (5) क्या है (BNS Section 317 in Hindi)? धारा 317 लागू होने के लिए मुख्य बिंदु, सजा और जमानत की जानकारी।

भारत में समय-समय पर कानूनों को पहले से बेहतर करने के लिए बदलाव किया जाता है, ताकि न्याय व्यवस्था को लोगों के लिए और भी आसान बनाया जा सके। चोरी की गई संपत्ति से जुड़े अपराधों के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। पहले जब कोई व्यक्ति चोरी की हुई चीज खरीदता या बेचता था, तो उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 410 और 414 के तहत मामला दर्ज किया जाता था। लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। अब ऐसे मामलों में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 317 लागू होती है। इसलिए इस अपराधों से जुड़े सभी कानूनी उपायों को विस्तार से जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़े।


बीएनएस की धारा 317 क्या है - BNS Section 317 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 317 चोरी की संपत्ति (Stolen Property) को लेने के अपराध से संबंधित है। यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानबूझकर या अनजाने में चोरी की हुई संपत्ति को प्राप्त करते हैं या अपने पास रखते हैं। इसे सरल शब्दों में समझे तो अगर आप कोई ऐसी चीज ले रहे है जो चोरी (Theft) की है और आपको पता है या आपको शक है कि वो वस्तु चोरी की है। लेकिन फिर भी आप उस वस्तु को कम पैसों में या किसी अन्य लालच में खरीदते है, तो यह कानून अपराध माना जाता है।

धारा 317 में चोरी की संपत्ति के अपराध को इसकी 5 उपधाराओं (Sub-Sections) में अलग-अलग तरीकों व उन अपराधों की गंभीरता के अनुसार बताया गया है, आइये विस्तार से जानते है:-

  1. बीएनएस धारा 317 (1):- इसमें इस अपराध की परिभाषा (Definition) के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार जब किसी संपत्ति को चोरी, डकैती, जबरन वसूली जैसे गैर-कानूनी कार्यों द्वारा लिया जाता है। तो वह चोरी की गई संपत्ति मानी जाती है। लेकिन अगर वह संपत्ति (Property) उसके असली मालिक के पास वापस आ जाती है, तो फिर उसे चोरी की गई संपत्ति नहीं कहा जाएगा।
  2. बीएनएस धारा 317 (2): यदि कोई व्यक्ति चोरी की गई संपत्ति को जानबूझकर या संदेह होने के बावजूद भी अपने पास रखता है, तो उसे धारा 317(2) के अनुसार सजा मिल सकती है। इसका मतलब है कि अगर किसी को पता है या उसे शक है कि यह संपत्ति चोरी की गई है, और फिर भी वह इसे अपने पास रखता है, तो यह अपराध माना जाएगा और उसके लिए उसे धारा 317(2) के तहत सजा दी जा सकती है।
  3. बीएनएस सेक्शन 317 (3): अगर कोई व्यक्ति चोरी की गई संपत्ति को बेईमानी (Dishonesty) से अपने पास रखता है, और उसे पता है या उसे शक है कि यह संपत्ति डकैती के जरिए ली गई है, उस व्यक्ति पर धारा 317(3) लागू की जा सकती है। सरल भाषा में कहे तो, अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति से संपत्ति लेता है। जिसे वह जानता है या शक करता है कि वह डाकुओं के गिरोह का सदस्य है, और उसे विश्वास है कि यह संपत्ति डकैती करके ही लाई गई है, तो उसकी सजा और भी सख्त हो जाती है।
  4. बीएनएस सेक्शन 317 (4):- अगर कोई व्यक्ति बार-बार या आदतन (ऐसे कार्य करने की आदत हो जाना) ऐसी संपत्ति खरीदता, बेचता या उसका लेन-देन करता है। जिसके बारे में उसे पता है या शक है कि वह संपत्ति चोरी की गई है, तो उस पर धारा 317(4) के तहत कार्यवाही की जाती है।
  5. बीएनएस सेक्शन 317 (5):- अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर (Intentionally) चोरी की गई संपत्ति को छिपाने, उसे कहीं और ले जाने, या उसे ठिकाने लगाने में मदद करता है। जिसके बारे में उसे पता है कि यह संपत्ति चोरी की गई है, तो यह धारा 317(5) के तहत अपराध माना जाएगा। सरल शब्दों में कहे तो, अगर कोई जानबूझकर चोरी की संपत्ति को छिपाने या इधर-उधर करने में मदद करता है, तो उसे जेल और जुर्माने (Imprisonment Or fine) की सजा मिल सकती है।

बीएनएस धारा 317 के अपराध को साबित करने वाले कुछ मुख्य तत्व

  • इस धारा के तहत अपराध को साबित करने के लिए सबसे पहले यह साबित करना होगा कि वह संपत्ति जो व्यक्ति के पास है, वह चोरी की गई थी।
  • व्यक्ति ने चोरी की गई संपत्ति को प्राप्त किया या अपने पास रखा।
  • व्यक्ति को यह जानकारी होनी चाहिए की जो संपत्ति वो खरीद रहा हो वो चोरी की है, या उसे इस बात का शक होना चाहिए।
  • यदि व्यक्ति को यह नहीं पता था कि संपत्ति चोरी की गई है, तो उसे दोषी (Guilty) नहीं ठहराया जा सकता है।
  • व्यक्ति ने जानबूझकर और गलत इरादे से चोरी की गई संपत्ति को प्राप्त किया या रखा।

आपराधिक उदाहरण

राहुल एक दिन बाजार में घूम रहा था, उसे किसी ने बताया था कि उस बाजार में एक दुकान पर लाखों के फोन बहुत ही सस्ते में मिल जाते है। जिसके बाद राहुल उस दुकान पर चला गया, वहाँ उसे बहुत ही महंगे फोन बहुत ही कम कीमत पर दिखाए जाते है। राहुल को पता होता है कि इस दुकान पर कम कीमत में मिलने वाले ये फोन चोरी के होते है। फिर भी वो कम पैसों में कीमती फोन लेने की सोचकर एक फोन खरीद लेता है।

कुछ दिनों बाद पुलिस राहुल के घर आई और उससे वह फोन जब्त कर लिया। पुलिस ने बताया कि वह फोन चोरी हुआ था। राहुल को पता चला कि उसने जो फोन खरीदा था, वह चोरी का था। इसलिए अब राहुल पर BNS की धारा 317 के तहत मामला दर्ज हो सकता है।


ऐसे कार्य जिनको करने पर धारा 317 के तहत आरोप लग सकते है

यदि आपको पता है या आपको शक है कि कोई सामान चोरी का है और आप फिर भी उसे खरीदते हैं, तो आप इस अपराध के दायरे में आ सकते हैं।

  • यदि आप किसी चोरी के सामान को बेचते है तो इस अपराध के दोषी बन सकते है।
  • कोई सामान चोरी का है और उसे छिपाना भी इस धारा के तहत अपराध है।
  • कोई सामान चोरी का है और कोई उसे इस्तेमाल करता हैं, तो आप उस व्यक्ति पर भी धारा 317 लागू की जा सकती है।
  • इसके अलावा चोरी के सामान को किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचना।
  • धोखे से चोरी की किसी वस्तु को अपना बताकर दे देना ये सभी कार्य किसी भी व्यक्ति को धारा 317 का आरोपी (Accused) बना सकते है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 317 के अपराध के लिए दंड

बीएनएस की धारा 317 में चोरी की संपत्ति (Stolen Property) के अपराध में दी जाने वाली सजा (Punishment) को अलग-अलग प्रकार से ही अपराध की गंभीरता के अनुसार इसकी उपधाराओं (Sub-Sections) में बताया गया है:-

  • BNS 317 (2) की सजा:- जो भी व्यक्ति यह जानते हुए भी की जिस वस्तु को वो ले रहा है वो चोरी की है। फिर भी जानबूझकर उस संपत्ति को लेता है और अपने पास ऱखने का अपराध करता है, उसे दोषी पाये जाने पर धारा 317(2) के तहत सजा दी जाती है। यह सजा तीन साल तक की जेल हो सकती है, या उसे जुर्माना देना पड़ सकता है, या फिर दोनों सजा एक साथ भी मिल सकती हैं।
  • BNS 317(3) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या शक होने के बाद भी ऐसी संपत्ति को अपने पास रखता है, जो डकैतों या अपराधियों से ली गई हो तो दोषी को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या दस साल तक की सख्त जेल की सजा दी जा सकती है। इसके अलावा उस पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 317(4) की सजा:- अगर कोई व्यक्ति बार-बार चोरी की संपत्ति को खरीदने, बेचने या उसके लेन-देन का दोषी पाया जाता है, तो उसे तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है। इसके अलावा, उसे दस साल तक की जेल भी हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • BNS 317(5) की सजा:- यदि कोई व्यक्ति चोरी की संपत्ति को यह जानते हुए भी की वह संपत्ति चोरी की है, उस संपत्ति को कही छिपाने, ले जाने या ठिकाने लगाने का दोषी पाया जाएगा। उसे धारा 317(5) के अपराध के लिए तीन साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा उसे जुर्माना भी देना पड़ सकता है, या फिर दोनों सजा एक साथ भी दी जा सकती हैं।

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 317 में जमानत का प्रावधान

बीएनएस की धारा 317 के तहत किया गया अपराध गैर-जमानती (Non-Bailable) होता है, जिसका मतलब है कि इस अपराध में आरोपी को जमानत (Bail) मिलना आसान नहीं होता। इस धारा के तहत अपराध को संज्ञेय (Cognizable) भी माना जाता है, यानी पुलिस के पास आरोपी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। इसके अलावा इस अपराध का मामला किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है।

संबधित धाराएं:


बीएनएस की धारा 317 में आरोपी व्यक्ति के लिए बचाव उपाय

  • आरोपी व्यक्ति अपने बचाव के लिए यह दावा कर सकता हैं उसको यह नहीं पता था कि संपत्ति चोरी हुई है।
  • यदि आरोपी यह साबित कर दे कि उसको कोई ऐसा कारण नहीं पता चला जिससे मालूम हो सके की उसने जो संपत्ति ली है, वो चोरी की है। ऐसे में यह बात साबित होने पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता हैं।
  • आरोपी को अपने बचाव में यह साबित करना होगा की उसने संपत्ति को ईमानदारी से और बिना किसी गलत इरादे से प्राप्त किया था। उदाहरण के लिए यदि आरोपी ने उस चीज को किसी भरोसेमंद व्यक्ति से खरीदा था।
  • जिस वस्तु की चोरी के आरोप (Blame) आप पर लगे है। यदि वो वस्तु आपकी ही है, तो आप यह साबित कर सकते है कि आप ही उस वस्तु के असली मालिक हैं और चोरी का कोई सवाल ही नहीं उठता।
  • आरोपी अपने बचाव में यह कर सकता हैं कि जब उसे पता चला की उसने कोई चोरी की गई वस्तु ले ली है तो उसने उसी समय उस वस्तु के असली मालिक का पता करके उसको वापिस कर दिया था।
  • आरोपी ऐसे गवाहों (Witnesses) को पेश कर सकते हैं जो आपके दावे का समर्थन करते हों।
  • इसके अलावा ऐसे दस्तावेजों (Documents) को पेश कर सकते हैं जो आपके दावे (Claims) का समर्थन करते हों, जैसे कि खरीद का बिल, रसीद आदि।

ऐसे मामलों में आरोपी व्यक्ति को अपने बचाव के लिए एक अच्छे वकील (Lawyer) की सलाह लेनी चाहिए जो आपके मामले में आपकी मदद कर सके।




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बीएनएस धारा 317 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


बीएनएस धारा 317 के अनुसार चोरी की संपत्ति का अपराध क्या है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 317 चोरी की वस्तु रखने के अपराध से संबंधित है। यह धारा चोरी की गई संपत्ति के बारे में पता होते हुए भी की वो वस्तु चोरी की है फिर भी जानबूझकर खरीदने या अपने पास रखने वाले व्यक्ति पर लागू होती है।



भारतीय न्याय संहिता की धारा 317 में अपराध के लिए क्या सजा है?

BNS की धारा 317 में बताए गए अपराध की सजा को इसकी अलग-अलग उपधाराओं के द्वारा बताया गया है। जिसमें दोषी पाये जाने वाले व्यक्तियों को 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा व जुर्माने के दंड से दंडित किया जा सकता है।  



बीएनएस की धारा 317 में जमानत कैसे मिलती है?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 317 का यह अपराध संज्ञेय यानी गंभीर अपराध होने के साथ-साथ गैर-जमानती भी होता है। जिसमें आरोपी व्यक्तियों को जमानत मिलने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।