आईपीसी धारा 323 क्या है (IPC 323 in Hindi) - सजा, जमानत और बचाव
अपडेट किया गया: 01 May, 2025एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
- IPC Section 323 in Hindi - धारा 323 क्या है कब लगती है
- धारा 323 की सजा और जमानत - IPC 323 Punishment
- आईपीसी की धारा 323 के तहत "चोट" का क्या अर्थ है?
- धारा 323 के तहत अपराध को साबित करने के लिए मुख्य बाते कौन सी हैं?
- साधारण चोट व गंभीर चोट में क्या अंतर है?
- धारा 323 में जमानत प्रक्रिया - IPC 323 Bailable or Not
- मारपीट और चोट पहुचाने से संबंधित कुछ अन्य धाराएँ
- धारा 323 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
- प्रशंसापत्र
- धारा 323 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आजकल देखा जाता है कि लोग सब कुछ जानते समझते हुए भी किसी के बहकावे में आकर या जानबूझकर (intentionally) लड़ाई जैसे अपराधिक मुकदमों में फंस जाते है। लेकिन जब यही लड़ाई-झगडा आगे चलकर किसी बड़ी मुसीबत का रुप ले लेता है तो उन्हें ऐसे कानूनी मामलों से बाहर कैसे निकलना है या जो मुकदमा (Court Case) उनके खिलाफ दर्ज हुआ है उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती इसलिए हम अपने लेखों के द्वारा यह प्रयास करते है कि आपको भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की सभी धाराओं के बारें मे सम्पूर्ण जानकारी दे सकें। इसीलिए आज हम एक ऐसी धारा के बारे में जानेंगे जो अन्य धाराओ से थोडी अलग है, आज हम जानेंगे कि आईपीसी की धारा 323 क्या होती है (What is IPC Section 323 in Hindi), इस धारा में कितनी सजा होती है? इस आईपीसी सेक्शन में जमानत कैसे मिलती है?
भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओ में बहुत से अपराधों (Crimes) का वर्णन देखने को मिलता है जिनके अनुसार अलग-अलग अपराधों में अलग-अलग सजा का प्रावधान (Provision) होता है। इन अपराधो को दो श्रेणी में बांटा गया है जैसे संज्ञेय (गंभीर अपराध ) और गैर -संज्ञेय (साधारण अपराध). उसी प्रकार जमानत (Bail) के लिए भी हर अपराध में अलग प्रावधान होता है। इन आईपीसी धाराओं का उपयोग समय के साथ बढ़ते अपराध को रोकने के लिए किया जाता है। अगर आप IPC Section 323 के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े।
IPC Section 323 in Hindi - धारा 323 क्या है कब लगती है
आपके मन में भी यही सवाल होगा कि IPC की धारा 323 कब लगती है ? तो आपको बता दे कि धारा 323 के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर कर स्वेच्छा (voluntarily) (खुद की इच्छा से) से किसी के साथ मारपीट करके उसे चोट (Injury) पहुँचाता है तो ऐसे मामलो मे IPC Section 323 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जाती है। और दोषी पाये जाने पर सजा का जो भी प्रावधान होता है उसके तहत दंडित (Punished) किया जाता है।
अगर झगड़े में सामने वाले व्यक्ति को गंभीर चोट लग जाती है, या लड़ते समय किसी भी हथियार (Weapon) का उपयोग किया जाता है और सामने वाला व्यक्ति मर (Dead) जाता है या गंभीर रूप से घायल (Injured) हो जाता है तो ऐसे मामलों IPC की गंभीर धाराए IPC 307 और आईपीसी 506 इत्यादि के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है और न्यायालय (Court) द्वारा दोषी पाये जाने पर धाराओ के अनुसार दंडित भी किया जाता है। चलिए धारा 323 के तहत साधारण मारपीट के अपराध को आसान भाषा में एक उदाहरण के द्वारा समझने की कोशिश करते है।
आईपीसी की धारा 323 के तहत "चोट" का क्या अर्थ है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 323 में "चोट" (Injury) किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द (Physical pain), चोट या नुकसान के बारे में बताया गया है। इस प्रकार के मामलों में मामूली चोटें (Minor injuries) शामिल हो सकती हैं, जैसे खरोंच, हल्की चोट आदि। Section 323 में बताए गए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के अपराध को समझने के लिए "चोट" के मतलब को समझना बहुत जरुरी है।
धारा 323 का उदाहरण :- संजय और अजय दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे संजय अपनी कम्पनी का सबसे अच्छा कर्मचारी था इसीलिए अजय उससे चिढ़ता था तो एक दिन अजय को किसी कारण गुस्सा आ जाता है और वह जानबूझकर संजय के साथ मारपीट कर देता है। जिस कारण संजय को हल्की चोट लग जाती है। संजय इसकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर देता है। जिस कारण अजय पर धारा 323 के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है।
धारा 323 के तहत अपराध को साबित करने के लिए मुख्य बाते कौन सी हैं?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 के तहत स्वेच्छा से चोट पहुँचाने (Voluntarily Causing Heart) के अपराध को साबित करने के लिए कुछ ऐसी बातें है जिनका इस अपराध में होना जरुरी है, आइये जानते है वो बातें कौन सी है।
- क) जानबूझकर चोट पहुँचाना: चोट पहुंचाने का कार्य किसी उद्देश्य से किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि व्यक्ति जानबूझकर खुद की इच्छा से इस Crime को करता है जिसके कारण सामने वाले व्यक्ति को चोट पहुँचती है।
- ख) शारीरिक नुकसान: पीड़ित को वास्तविक शारीरिक नुकसान (Physical Damage) या चोट लगनी चाहिए। इसमें किसी जगह से कटना, या खरोंच जैसी मामूली चोटें।
- ग) कोई गंभीर और अचानक उत्तेजना के बिना:- चोट पहुंचाने का कार्य गंभीर और अचानक उत्तेजना (Sudden Excitement) में नहीं किया जाना चाहिए इसका मतलब यह है कि अचानक आए हुए गुस्से के कारण यह हमला नहीं होना चाहिए बल्कि यह खुद की इच्छा से जानबूझकर (Intentionally) किया जाना चाहिए।
साधारण चोट व गंभीर चोट में क्या अंतर है?
साधारण चोट: साधारण चोट (Minor injury) ऐसा मामलों के बारे में कहा जाता है जिन अपराधों में किसी व्यक्ति द्वारा हमला करने पर सामने वाले व्यक्ति को केवल थोड़ी बहुत या कम चोट लगी हो। इसमें खरोंच, या कुछ हल्के घाव जैसी मामूली चोटें शामिल हैं।
गंभीर चोट: गंभीर चोट (Serious injury) वह चोट होती है जिनमें किसी व्यक्ति द्वारा हमला (Attack) करने पर सामने वाले व्यक्ति को कोई गंभीर चोट लग जाए। जिसकी वजह से उस व्यक्ति को ज्यादा शारीरिक नुकसान हो जाए, जिसके कारण बहुत ज्यादा दर्द (Pain), जीवन के लिए खतरा हो। उदाहरणों के लिए फ्रैक्चर (Fracture), गहरे घाव (Deep Wound), जैसी चोटें शामिल हैं जो पीड़ित (Victim) व्यक्ति के जीवन को खतरे (Risk) में डालती हैं। गंभीर चोट लगने के अपराध के दोषी व्यक्ति को सजा भी साधारण चोट की सजा (Punishment) के मुकाबले अधिक दी जाती है।
धारा 323 की सजा और जमानत - IPC 323 Punishment
जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर कर किसी भी व्यक्ति के साथ झगड़ा करता है या चोट पहुँचाने के अपराध करने का दोषी (Guilty) पाया जाता है तो आईपीसी की धारा 323 के तहत 1 वर्ष तक की कारावास (Imprisonment) की सजा व आर्थिक जुर्माना या फिर दोनों से दंडित (Punished) किया जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी हथियार (Weapon) से हमला करता है या झगड़ा करने से दूसरे व्यक्ति को गंभीर चोट लग जाती है तो अन्य अपराधिक धाराओ जैसे IPC 308, 302, और आईपीसी 148 के तहत सजा को और भी बढ़ाया जाता है।
धारा 323 में जमानत प्रक्रिया - IPC 323 Bailable or Not
धारा 323 के अनुसार आने वाला यह अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Offence) की श्रेणी में आता है। यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है जिसमें जमानत बहुत आसानी से मिल जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति के खिलाफ इस अपराध में मुकदमा (Case) दर्ज हो जाता है तो वह पीड़ित (Victim) पक्ष की सहमती (Consent) से समझौता (Compromise) करके इस केस से निकल सकता है। यह केस किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।
मारपीट और चोट पहुचाने से संबंधित कुछ अन्य धाराएँ
धारा 323 के जैसे ही कुछ अन्य संबंधित अपराध है इन सभी संबंधित अपराधों के बारे में भी आप सभी के लिए जागरूक होना आवश्यक है।
- आईपीसी धारा 324 - खतरनाक हथियारों (Dangerous Weapon) या साधनों द्वारा स्वेच्छा से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाना इस अपराध के बारे में बताता है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई जानबूझकर खतरनाक हथियारों या पदार्थों, जैसे चाकू, एसिड, या किसी जलाने वाले सामान का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाता है, जिससे गंभीर चोट लगने की संभावना होती है। इस अपराध की सजा व जमानत (Bail) के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- IPC Section 325 - स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाना इसके अनुसार बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है। जिसके कारण सामने वाले व्यक्ति के जीवन के लिए खतरा, या शरीर के अंग की हानि का कारण बनता है।
- IPC Section 326 - खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाना: इस अपराध में जब कोई जानबूझकर खतरनाक हथियारों या पदार्थों का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है, IPC की धारा 324 की तरह ही लेकिन गंभीर चोट पहुँचाने के लिए।
- आईपीसी धारा 352 – अचानक हमला या आपराधिक बल का उपयोग करना इसमें बताया गया है कि जो भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर अचानक हमला (Sudden Attack) कर देता है या आपराधिक बल (Criminal Force) दिखाकर हमला करता है वह इस अपराध का दोषी (Guilty) बन जाता है।
धारा 323 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
1. बॉम्बे सरकार अब्दुल वहाब (एआईआर 1946 बॉम्बे 38)
बॉम्बे सरकार में अब्दुल वहाब (AIR 1946 बॉम्ब 38) ने अदालत में कहा कि दोषी होम्योपैथी की हत्या और दुख की चोट के बीच की रेखा बहुत पतली है। एक मामले में चोटें ऐसी होनी चाहिए जैसे कि मौत का कारण हो सकती है और दूसरे में वे जीवन को खतरे में डाल सकते हैं।
2. लक्ष्मण बनाम स्टेट ऑफ महाराष्ट्र एआईआर 1974 एससी 1803
यह इस मामले में आयोजित किया गया था कि, "जहां मौत दुखद चोट के कारण और सबूत दिखाते हैं कि हमलावरों की मंशा मौत का कारण थी, धारा 302 के तहत मामला दर्ज होगा न कि धारा 325 के तहत।"
3. कर्नाटक राज्य बनाम शिवलिंगैया एआईआर 1988 एससी 115
जहां एक आरोपी ने पीड़ित के अंडकोष को निचोड़ दिया जिससे उसकी मृत्यु लगभग तुरंत हो गई और यह घटना अचानक हुई, यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी का मृतक की मृत्यु का कोई इरादा नहीं था और न ही उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है इस तरह के कृत्य से उनकी मृत्यु के कारण कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना थी। यह माना गया कि यह मामला धारा 325 के तहत आता है।
4. रामबरन महटन बनाम राज्य (एआईआर 1958 पैट 452 )
मृतक और आरोपी भाई थे एक दिन, दो के बीच एक विवाद हुआ, आरोपी ने मृतक को जमीन पर गिरा दिया और उसके पेट पर बैठ गया, और उसे मुट्ठी और थप्पड़ से मारा। मृतक संवेदनहीन हो गया और अंततः उसकी मृत्यु हो गई। मृतक को सिर, छाती और तिल्ली पर कुछ गंभीर चोटें आई थीं।
प्रशंसापत्र
1. “मैं और मेरे पिता मेरे पड़ोसी से झगड़े में पड़ गए, जो गलत तरीके से हमारी जमीन के हिस्से पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा था। हमने मसले को शांति से हल करने की कोशिश की लेकिन वह सुनने के लिए बहुत व्यग्र था। तभी यह शारीरिक हो गया और उसने मुझे और मेरे पिता को एक छड़ी से मारना शुरू कर दिया, जिससे मेरे पिता गंभीर रूप से घायल हो गए। हम घटना के तुरंत बाद पुलिस स्टेशन गए और अपने वकील की मदद से शिकायत दर्ज की। इस मामले को तब अदालत ने उठाया था, जिसमें उन्हें जुर्माने के साथ जेल की सजा भी हुई थी।
-राज कौशिक
2. “मैं अपने कॉलेज से घर वापस जा रहा था जब मुझे दो लोग मिले जो मुझसे मिलना चाहते थे। जब मैंने इनकार कर दिया और एक दृश्य बनाना शुरू कर दिया, तो उन्होंने मुझे एक हेलमेट के साथ मारा, जिसमें से एक व्यक्ति पकड़ रहा था और भाग गया। आस-पास के मेरे दोस्तों ने मुझे देखा और प्राथमिक उपचार के लिए ले गए। जिसके बाद मैं थाने चला गया और दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इन दोनों को बाद में पुलिस ने पकड़ लिया और हिरासत में ले लिया। अदालत ने मामले का विश्लेषण करने के बाद उन्हें 6 महीने के लिए कैद कर लिया।
-अंकित चंद्रा
3. “मेरा बेटा उस लड़के से झगड़ा करने लगा, जो उससे ईर्ष्या करता था क्योंकि वह उस लड़की को पसंद करता था जिसे मेरा बेटा डेट कर रहा था। जिसके कारण उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मेरा बेटा सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होना चाहता था। हालांकि, वह अनिश्चित था कि क्या वह आपराधिक आरोपों के कारण उसे बना सकता है। यही कारण है कि जब हमने LawRato.com के एक वकील से सलाह ली, जिसने हमें किटी-किरकिरी को समझने में मदद की और मेरे बेटे को परीक्षा में बैठने के लिए निर्देशित किया। मेरा बेटा अब लॉराटो की बदौलत एक आई. ए. एस. अधिकारी है। ”
-विभूति जैन
4. “मेरी बेटी की शादी इस लड़के से हुई थी, जो अपने छोटे स्वभाव के कारण हर समय उसे मारता था। एक दिन उसने उसे इतनी जोर से मारा कि इसने उसकी गर्दन लगभग तोड़ दी। जब मुझे पता चला कि मेरी बेटी क्या कर रही है, मैंने तुरंत एक वकील से सलाह ली और अपने दामाद के खिलाफ मामला दर्ज कराया। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था और घरेलू हिंसा और दोषियों के खिलाफ हत्या के लिए दोषी नहीं होने का मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट द्वारा पूरी तरह से जाँच के आदेश के बाद, वह दोषी पाया गया और उसे 6 साल की कैद हुई। ”
-सुनैना सिंह
5. “मैं अपने भाई के साथ एक फिल्म से वापस आ रहा था जब नशे में धुत इन लोगों ने हमें धमकाने की कोशिश की। उनमें से एक बंदूक लेकर जा रहा था और उसी से हमें डरने की कोशिश की। हमने तुरंत आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन वे पर्याप्त रूप से खुश नहीं थे, उन्होंने मेरे भाई को मारना शुरू कर दिया और उस पर गंभीर चोटें पहुंचाईं, जिससे उसका पैर टूट गया था। मैंने उनके खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उन्हें 2 साल के लिए जेल में डाल दिया।
-राम शर्मा
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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स्वेच्छा से चोट के कारण | 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों | गैर - संज्ञेय | गैर जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : स्वेच्छा से चोट के कारण
Punishment : 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
आईपीसी की धारा 323 क्या है?
धारा 323 भारतीय दंड संहिता में एक प्रावधान है जो स्वेच्छा से चोट (Voluntarily Causing Heart) पहुंचाने के अपराध के बारे में बताती है।
"स्वेच्छा से चोट पहुँचाने" का क्या अर्थ है?
स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का मतलब जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को दर्द, चोट या शारीरिक नुकसान पहुंचाना है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत अपराध के लिए क्या सजा है?
धारा 323 के तहत सजा एक साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों है। सज़ा की पूरी जानकारी इस आर्टिकल में उपर पढ़ सकते है।
क्या आईपीसी की धारा 323 एक जमानती अपराध है?
हां, आईपीसी की धारा 323 एक जमानती अपराध है, इसलिए इसमें जमानत आसानी से मिल जाती है।
क्या घरेलू हिंसा के मामलों में IPC 323 लागू की जा सकती है?
क्या IPC 323 के अपराध के खिलाफ कोई बचाव उपलब्ध है?
हां, धारा 323 के तहत अपराध के खिलाफ कुछ सामान्य बचावों में आत्मरक्षा, संपत्ति की रक्षा, पीड़ित की सहमति और चोट पहुंचाने के इरादे की अनुपस्थिति के तहत बचाव शामिल है।
क्या IPC की धारा 323 में समझौता (Compromise) किया जा सकता है?
हां, IPC Section 323 एक कंपाउंडेबल अपराध है। इसका मतलब यह है कि पीड़ित और आरोपी आपसी सहमति से मामले को सुलझा सकते हैं और पीड़ित व्यक्ति आरोपी के खिलाफ दी गई शिकायत वापस ले सकता/सकती है।