आईपीसी धारा 304 क्या है (IPC 304 in Hindi) - सजा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आज के लेख में हम जानेंगे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली IPC की धारा 304 के बारे में कि धारा 304 क्या है (What is IPC Section 304 in Hindi)। ये धारा कब, किस अपराध में लगती है? धारा 304 के मामले में सजा (Punishment) क्या है ? धारा 304 में जमानत कैसे मिलती है (ipc 304 is Bailable or Not)? हमारे आज के आर्टिकल द्वारा आपको कानून की इस धारा से संबधित सारी आवश्यक जानकारी विस्तार से दी जाएगी। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन के बारे में संम्पूर्ण जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

कभी-कभी जाने अनजाने में किए गए हमारे कार्यों से किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है और वो ही चोट आगे चलकर किस तरह से हमारे लिए एक बड़ी समस्या का कारण बन जाती है। चलिए आज के लेख में इन्हीं बातों से जुड़े अपराधों के बारे में आसान भाषा में जानने का प्रयास करते है।


धारा 304 क्या है – IPC Section 304 in Hindi

IPC Section 304 के नियमानुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी प्रकार की शारीरिक चोट पहुँचाने के इरादे से वार करता है जिससे मृत्यु होने की भी संभावना है। लेकिन उस व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति की मृत्यु करने का कोई इरादा नहीं था और उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इस प्रकार के मामलों में आरोपी पर धारा 304 के तहत मुकदमा दर्ज कर केस चलाया जाता है

लेकिन धारा 304 के केस में आरोपी को न्यायालय में यह सिद्ध करना होगा कि यह हत्या उसने जानबुझ कर नहीं की बल्कि धोखे से हो गई यदि आरोपी यह सिद्ध करने में असमर्थ हुआ तो उस व्यक्ति को धारा 304 की बजाय 302 के तहत दंडित किया जाएगा


धारा 304 कब लगती है- प्रावधान से जुडी अहम बिंदु

दोस्तों एक व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को जान से मारने के कई पहलू हो सकते है।:-

जैसे उस व्यक्ति का किसी को जान से मारने का इरादा नहीं था। लेकिन यदि उसने वो हत्या किसी के कहने पर या किसी के दबाव में आकर की है। तो ऐसे मामले में आरोपी के द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या तो हुई ही है। इसीलिए उसे न्यायालय में इस अपराध के लिए उचित दंड देने का प्रावधान है।

इसी कारण वे सभी हत्या के मामले जिनमें आरोपी का किसी को मारने का इरादा नहीं होता। तो ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की सैक्शन 302 नहीं लगाई जा सकती है। ऐसे सभी मामलों में IPC Section 304 लगाने का प्रावधान दिया गया है।

Note:- गैर-इरादतन हत्या व मानव वध जैसे अपराधों का पूरा वर्णन Section 299 देखने को मिलता है। जिसकी कार्यवाही व सजा Section 304 के तहत दी जाती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 308 में भी गैर-इरादतन हत्या के बारे में विस्तार से बताया गया है तो अगर आप उसके बारे में भी जानना चाहते है तो आप हमारा IPC Section 308 का लेख भी पढ़ सकते है।


आईपीसी की धारा 304 और धारा 308 में अंतर

  • धारा 304 - यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर उसे किसी शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से वार करता है, किन्तु बाद में वह वार उस पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु का कारण बन जाए, तो इस प्रकार के मामले में आरोपी पर IPC 304 के तहत कार्यवाही की जाती है।
  • धारा 308 - इस सेक्शन मे बताया गया है कि जो कोई भी बिना इरादे के कोई ऐसा कार्य करता है जिसके किए जाने पर उस कार्य के परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाती है। वह गैर इरादतन हत्या का दोषी होगा। जिसमे IPC 308 के तहत कार्यवाही की जाती है।

जाने - धारा 307 में सजा और जमानत का प्रावधान


गैर इरादतन हत्या की धारा 304 का उदाहरण

अजय अपने शहर के ही एक कालेज में पढ़ाई करने वाला छात्र होता है उसी कालेज में एक पवन नाम का लड़का भी होता है। एक दिन दोनों को पता चलता है कि कल कालेज में एक कम्पनी प्लेसमेंट के लिए आएगी। और किसी एक छात्र को अपनी कम्पनी के लिए पसंद करेगी। ये बात सुनकर अजय सोचता है कि पवन तो उससे होनहार है उसकी तो नौकरी लग जाएगी।

अजय सोचता है कि पवन को कैसे भी करके यह सब करने से रोकना होगा। तो वह पवन की बाइक के ब्रेक खराब कर देता है ताकि उससे पवन को थोड़ी बहुत चोट लग जाए और वो साक्षात्कार (interview) ना दे सके। लेकिन जब पवन बाईक से घर जाता है तो ब्रेक ना लगने के कारण उसकी बाइक की टक्कर ट्रक से हो जाती है और उसकी मौके पर ही मौत हो जाती है।

पुलिस जांच में पता चलता है कि ये सब अजय की वजह से हुआ है। तो पुलिस अजय को गिरफ्तार कर लेती है। तब पुलिस की पूछताछ और जांच से ये पता चलता है कि अजय का पवन को मारने का कोई इरादा नहीं था। बल्कि वो तो उसे बस थोड़ी चोट पहुँचाना चाहता था। इसके बाद पुलिस द्वारा अजय पर IPC 304 के तहत कार्यवाही की जाती है।


IPC Section 304 में सजा (Punishment) कितनी होती है

आईपीसी की धारा 304 में ऐसी धाराओं के तहत जो दंड देने का प्रावधान है जो हत्या के मामलों से अलग होती है (Punishment for Culpable homicide not amounting to murder.) यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को केवल चोट पहुँचाने के लिए या बिना किसी इरादे के कि गई हत्या यानी गैर-इरादतन हत्या का दोषी पाया जाता है तो दोषी व्यक्ति को 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास (Life imprisonment) व जुर्माने (fine) से भी दंडित किया जा सकता है।


IPC 304 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 में आरोपी को जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध (Cognizable Crime) होता है। इस अपराध कि गंभीर प्रकृति होने के कारण ही इसे गैर-जमानती अपराध (Non Bailable offence) की श्रेणी में रखा गया है। इस अपराध में जमानत का फैसला (bail order) सत्र न्यायालय (court) के द्वारा विचारणीय होता है। यह अपराध किसी भी तरह से समझौते के योग्य नहीं होता।

यदि किसी व्यक्ति पर इस IPC Section के तहत मुकदमा (Court case) दर्ज हो जाता है तो पुलिस उस व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार (arrest) कर सकती है। तो ऐसे में एक वकील की मदद लेकर आप न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर (Petition Filled) कर सकते है। एक काबिल वकील आपको जमानत (Bail) दिलाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेगा। इसलिए हमेशा अपने वकील का चुनाव बहुत ही सोच समझकर करें।



आईपीसी धारा 304 में बचाव के लिए क्या करें

हमारे द्वारा किए गए कुछ कार्य बहुत ही बड़ी परेशानी का कारण बन जाते है जिनसे किसी भी अपराध के बचाव व उसके परिणामों के बारे में सही जानकारी लेकर आसानी से बचा जा सकता है। आइये कुछ ऐसी ही आवश्यक बातों को जानते है।

  • किसी भी व्यक्ति के साथ कोई ऐसा मजाक ना करें जिससे उसको किसी भी प्रकार की शारीरिक चोट पहुँचने का खतरा बन जाए।
  • यदि कोई व्यक्ति आपको परेशान करता है तो उसके साथ मारपीट करने से अपना बचाव करें। और तुरन्त उसकी शिकायत पुलिस में करें।
  • अपने जीवन में बिना सोचे समझे कोई ऐसा कार्य ना करें, जिससे आपको बाद में परेशान होना पड़े। जैसे:- मजाक में किसी के वाहन के साथ छेड़-छाड़ करना या किसी को धक्का देना आदि।
  • यदि आप अपने कानूनों की सही जानकारी रखते है तो आप पर कोई किसी तरह का झूठा केस लगाने की कोशिश करेगा तो आप उससे अपना बचाव आसानी से कर सकते है।

Offence : सदोष हत्या हत्या की राशि नहीं है, अगर अधिनियम है जिसके द्वारा मौत के कारण होता है मौत के कारण, आदि के इरादे से किया जाता है


Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय



Offence : यदि कार्य ज्ञान के साथ किया जाता है कि यह मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, लेकिन मृत्यु आदि का कारण बनने के किसी भी इरादे के बिना


Punishment : 10 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय



आईपीसी धारा 304 को बीएनएस धारा 105 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 304 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 304 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 304 अपराध : सदोष हत्या हत्या की राशि नहीं है, अगर अधिनियम है जिसके द्वारा मौत के कारण होता है मौत के कारण, आदि के इरादे से किया जाता है



आई. पी. सी. की धारा 304 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 304 के मामले में आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 304 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 304 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 304 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 304 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 304 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 304 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 304 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 304 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।