विषयसूची
- बीएनएस धारा 105 क्या है और यह कब लागू होती है - BNS Section 105 in Hindi
- गैर इरादतन हत्या व हत्या में क्या अंतर है?
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के आवश्यक तत्व (Key Point)
- BNS 105 के तहत अपराध में शामिल मुख्य कार्य
- बीएनएस सेक्शन 105 के जुर्म का उदाहरण
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 में सजा कितनी होती है
- BNS Section 105 में जमानत कब व कैसे मिलती है
- धारा 105 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए बचाव के उपाय
मान लीजिए, कुछ दोस्त एक साथ किसी यात्रा पर जाते है और वहाँ हंसी-मजाक के दौरान उनमें से कोई भी व्यक्ति अंजाने में ऐसा काम कर देता है। जिसके कारण किसी व्यक्ति की जान चली जाती है। ऐसे में एक पल की लापरवाही किसी आम इंसान को पूरी जिंदगी के लिए अपराधी बना सकती है। इस लेख द्वारा हम समझेंगे कि कानून इस तरह की घटनाओं को कैसे देखता है और कोई भी व्यक्ति इस तरह की मुसीबत से कैसे बच सकते हैं। इस तरह के मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 105 के तहत कार्यवाही की जाती है। इसलिए आज हम आपको बताएंगे की बीएनएस की धारा 105 क्या है (BNS Section 105 in Hindi)? गैर इरादतन हत्या के बीएनएस सेक्शन में सजा, जमानत और बचाव की पूरी जानकारी।
गैर-इरादतन हत्या यानी बिना किसी इरादे के हत्या का यह अपराध पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 के तहत लागू किया जाता था। लेकिन इन सभी कानूनों को बीएनएस से बदलने के बाद से इस अपराध को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 के तहत लागू किया जाने लगा है। इसलिए जिन लोगों पर इस धारा के तहत आरोप लगाए गए है, उनको इस अपराध के सभी प्रावधानों व बचाव उपायों की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है। साथ ही आम लोगों से लेकर कानूनी पढ़ाई करने वाले छात्रों तक सभी के लिए यह लेख बहुत उपयोगी होने वाला है। इसलिए बिना समय गवाए ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।
बीएनएस धारा 105 क्या है और यह कब लागू होती है - BNS Section 105 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 में गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) के अपराध को परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है जो कोई भी किसी व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या करता है। जो हत्या (Murder) के अपराध से अलग होती है, तो ऐसे अपराध को करने वाले व्यक्ति पर बीएनएस की धारा 105 के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। आइये गैर इरादतन हत्या को आसान भाषा में विस्तार से समझते है।
जब भी कोई व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करता है, जिसको करते समय उसे पता होता है कि उसके किए गए कार्य के द्वारा किसी व्यक्ति की जान जा सकती है, तो वह गैर इरादतन हत्या का अपराध कहलाता है। लेकिन यह हत्या के अपराध की धारा से अलग होता है, क्योंकि हत्या के अपराध में आरोपी का किसी व्यक्ति को जान से मारने का पहले से ही इरादा (Intention) होता है।
उदाहरण:- जैसे कोई व्यक्ति लापरवाही से गाड़ी चलाता है और लापरवाही के कारण ही उसकी गाड़ी किसी को टक्कर मार देती है। जिसके बाद आरोपी व्यक्ति को पता होता है कि अब उस व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है या हो जाती है। तो वह गैर-इरादतन हत्या कहलाती है।
गैर इरादतन हत्या व हत्या में क्या अंतर है?
अकसर लोग गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) व हत्या (Murder) के बारे में जानकारी ना होने के कारण विचलित हो जाते है। इसलिए इस लेख में आगे की और बढ़ने से पहले आपका इन दोनों के बीच के अंतर को जानना बहुत ही जरुरी है।
- गैर इरादतन हत्या :- गैर इरादतन हत्या भी किसी व्यक्ति की जान लेने से ही संबंधित होती है। लेकिन यह हत्या के अपराध से अलग इसलिए होती है क्योंकि इसमें जानबूझकर (Intentionally) किसी व्यक्ति की हत्या करने का पहले से ही कोई इरादा नहीं होता है। इसमें कोई व्यक्ति अचानक ऐसा कार्य कर देता है। जिसको किए जाने के बाद उसे पता चल जाता है, कि जो उसने किया है उससे सामने वाले व्यक्ति की मौत होने की पुरी संभावना है।
- हत्या:- हत्या के अपराध में आरोपी व्यक्ति (Accused Person) का पहले से ही किसी व्यक्ति को जानबूझकर मारने का इरादा होता है। जिसमें वो व्यक्ति पहले स पुरी योजना बनाकर आता है और किसी व्यक्ति को जान से मार देता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के आवश्यक तत्व (Key Point)
- आरोपी अपने किए गए कार्यों के द्वारा किसी इंसान की मौत का कारण बना होगा।
- व्यक्ति यह जानता था कि उसके कार्यों से गंभीर चोट या मृत्यु हो सकती है, भले ही वह हत्या नहीं करना चाहता हो।
- आरोपी का पहले से किसी व्यक्ति की जान लेने का इरादा नहीं होगा।
- यदि कोई व्यक्ति इस अपराध को दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे गंभीर सजा का सामना करना पड़ सकता है।
BNS 105 के तहत अपराध में शामिल मुख्य कार्य
- यदि कोई व्यक्ति लापरवाही (Negligence) से अपने वाहन को चलाता है, जिससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए।
- गुस्से में आकर किसी पर हमला (Attack) करना और उससे किसी व्यक्ति की मौत जाना।
- यदि कोई व्यक्ति किसी भारी वस्तु को ऊंचाई से गिराता है और वो वस्तु किसी व्यक्ति पर गिर जाती है, और उसकी मौत हो जाती है।
- यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को कई दिनों तक भूखा या प्यासा रखता है और उसकी मौत हो जाती है।
- यदि कोई व्यक्ति शादी या अन्य किसी समारोह में कोई हथियार (Weapon) चलाता है, जिससे किसी की मौत हो जाती है।
- किसी व्यक्ति को अनजाने में पानी में डुबा देना।
- किसी को खेलते समय मजाक में धक्का दे देना।
इनसे अलग भी कई ऐसे कार्य हो सकते है जिनको करने पर गैर इरादतन हत्या के अपराध की धारा 105 के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है। इसलिए अंजाने में भी कोई ऐसा कार्य ना करें, जिससे किसी व्यक्ति को गंभीर चोट लगने या मृत्यु होने की संभावना बन जाए।
बीएनएस सेक्शन 105 के जुर्म का उदाहरण
राहुल और सविता दोनों पति-पत्नी थे। उनकी शादी को हुए काफी समय हो गया था, लेकिन एक दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो जाता है। कुछ ही देर बाद दोनों के बीच झगड़ा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, और राहुल गुस्से में सविता को पास ही पड़ी एक मजबूत वस्तु उठाकर मार देता है। जिसके कारण सविता को बहुत ही गंभीर चोट लग जाती है, और कुछ ही समय बात उसकी मृत्यु हो जाती है।
जिसके बाद पुलिस राहुल को सविता को मारने के अपराध में गिरफ्तार कर लेती है। इसके साथ ही पुलिस राहुल पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के तहत गैर-इरादतन हत्या के अपराध के तहत मामला दर्ज कर लेती है। क्योंकि राहुल का पहले से ही जानबूझकर सविता को मारने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन वह जानता था कि अगर किसी मजबूत वस्तु से हमला करेगा तो वह सामने वाले व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 में सजा कितनी होती है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 के अनुसार गैर इरादतन हत्या के अपराध के दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को कम से कम 5 वर्ष की सजा से लेकर आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा से दंडित (Punished) किया जा सकता है। जिसमें दोषी व्यक्ति को अपनी पूरी जिंदगी जेल में ही रहने पड़ सकता है। इसके अलावा अदालत द्वारा दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति पर जुर्माना (Fine) भी लगा सकती है। जिसमें जुर्माने की राशि अपराध की गंभीरता को देखते हुए तय की जा सकती है।
BNS Section 105 में जमानत कब व कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 105 का यह अपराध किसी व्यक्ति की जान लेने से जुड़ा हुआ है, इसी कारण से इसे गंभीर अपराध माना जाता है। गैर-इरादतन हत्या के अपराध की गंभीरता के कारण ही इसे संज्ञेय व गैर-जमानती (Cognizable or Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में रखा गया है। जिसका मतलब है कि इस अपराध के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को जमानत नहीं दी जा सकती।
ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों को समाज के लिए खतरा मानते हुए व जमानत (Bail) मिलने पर भाग जाने जैसी बातों के कारण जमानत नहीं दी जा सकती। परन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों में अदालत द्वारा जमानत के लिए विचार किया जा सकता है, जिनकी ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारे वकील (Lawyer) की सहायता ले सकते है।
अन्य संबधित धाराएँ:
BNS 106 (लापरवाही से मौत) | BNS 356 (मानहानि) |
BNS 137 (अपहरण) | BNS 191 (दंगा) |
BNS 318 (धोखाधड़ी) | BNS 118 (गंभीर चोट) |
धारा 105 के तहत आरोपी व्यक्तियों के लिए बचाव के उपाय
- इस प्रकार के अपराधों के आरोप लगने पर सबसे पहले किसी ऐसे वकील को अपने केस के लिए चुने जो हत्या के मामलों में विशेषज्ञ (Expert) हो।
- इसके बाद अपने वकील को अपने मामले से जुड़ी सारी जानकारी विस्तार से बताए।
- यदि आपने कोई अपराध नहीं किया है तो अपने बचाव (Defence) से संबंधित जो भी सबूत (Evidence) आपके पास हो उन्हें इकट्ठा करें।
- यदि अपराध किसी अन्य व्यक्ति ने किया है और आरोप (Blame) आप पर लगाए गए है तो उस व्यक्ति के खिलाफ सबूत जरुर पेश करें।
- अगर आपने अपनी आत्मरक्षा (Self Defence) में की कार्य किया था तो इस बात को भी न्यायालय में जरुर रखें।
- ऐसे लोगों को ढूंढें जो आपके पक्ष में गवाही दे सकें।
- पुलिस की जांच के दौरान भी अपना पूरा सहयोग करें व अपने अधिकारों के प्रति जागरुक रहे।
- अगर आप निर्दोष (Innocent) है और यदि निचली अदालत आप दोषी ठहराती है, तो आप उच्च न्यायालय (High Court) में अपील कर सकते हैं।
निष्कर्ष :- BNS Section 105 गैर- इरादतन हत्या के दोषी व्यक्तियों के लिए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान (Provision) करती है। जिसका उद्देश्य ऐसे अपराधों को रोकना व समाज के सभी लोगों को सुरक्षित रखना है। अगर आप इस अपराध से संबंधित कोई भी कानूनी सहायता (Legal Help) प्राप्त करना चाहते है तो हमारे वकीलों से आज ही घर बैठे बात कर सकते है।