Petition Meaning in Hindi - याचिका क्या होती है दायर प्रक्रिया, फीस, खारिज



प्रिय पाठकों, आप सभी का स्वागत है हमारे इस लेख में, हम आपकों एक ऐसे विषय पर जानकारी देंगे जिसके बारें मे आप सभी ने सुना तो बहुत बार होगा लेकिन आपकों इसके बारें मे जानकारी बहुत ही कम होगी। आज हम बात करेंगे याचिका के बारे में जिसे इंग्लिश में Petition कहते है। आप वकालत के स्टुडेंट है या देश के एक आम नागरिक, आप सभी को कानून की इस महतवपूर्ण टर्म के बारे में पता होना जरुर है। आज हम भारतीय कानून (Indian Law) के तहत आने वाली इस अहम प्रक्रिया की संपूर्ण जानकारी आपकों देंगे कि याचिका क्या होती है (Petition Meaning in Hindi)? जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया? पेटिशन के प्रकार, खारिज, फीस, जरुरी डाक्यूमेंट्स संबधित पूरी जानकारी


दोस्तों यदि आपको यह लगता है कि आपके लिए यह जानकारी जरुरी नही है तो आपका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है, क्योंकि Petition Filled करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी भारत देश के हर नागरिक को अपने जीवन मे एक ना एक बार जरुरत जरुर पड़ सकती है। इसलिए हम इस प्रक्रिया की हर वो जानकारी आपकों इस लेख मे प्रदान करवाई है जिसको अंत तक पढने पर आपकों एहसास हो जाएगा कि Petition के बारे में जानना आपके लिए क्यों इतना जरुरी है, ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी आपकों गूगल पर कही नही मिलेगी इसलिए इस लेख को अंत तक जरुर पड़े। 



याचिका क्या होती है - Petition Meaning in Hindi

याचिका एक कानूनी शब्द (Legal Word) होता है जिसका उपयोग कोर्ट में किया जाता है। जिसे अंग्रेजी भाषा में Petition कहा जाता है। याचिका का अर्थ होता है कोई आपत्ति, मांग या कोई अनुरोध करना, जिसके द्वारा अदालत से न्याय (Justice) प्राप्त करने या उस मामले पर सुनवाई (Hearing) की जा सकती है।

Petition के द्वारा किसी भी व्यक्ति के द्वारा या संगठन (Organization) के द्वारा कोर्ट में किसी फैसले को लेकर या अपने किसी अधिकार (Rights) की मांग के लिए अनुरोध किया जाता है। इसके द्वारा उठाई गई मांग कोर्ट द्वारा सुनी जाती है और उस पर जाँच पूरी करने के बाद अदालत निर्णय (Court Decision) लेती है।

इसका इस्तेमाल बहुत से मामलों में किया जाता है जैसे:-

  • न्यायिक (Judicial) मामलों में
  • कानूनी (Legal) मामलों में
  • किसी संपत्ति विवाद (Property Dispute) में
  • व्यापारिक (Business) मामलों में,
  • अपने किसी निजी (Private) मामलों में या सार्वजनिक हित (Public Interest) के हक के लिए
  • नौकरी संबंधित (Job Related) मामलों में
  • विवाह और तलाक (Marriage or Divorce) के मामलों में
  • शिक्षा (Education) संबंधी मामलों में

इस प्रक्रिया का उद्देश्य (Aim) किसी एक व्यक्ति से लेकर किसी संगठन तक के अधिकारों (Rights) की रक्षा (Protection) करना व उन्हें न्याय दिलवाना है।



याचिका कितने प्रकार की होती है - Types of Petition in Hindi

हमारे देश में Petition कई प्रकार की होती है जो अलग-अलग कानूनी मामलों या मांगी गई राहत (Relief) के आधार पर दायर की जाती है। इसलिए आप सभी का इन सभी के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है जो की इस प्रकार है:-

  • रिट याचिका (Writ Petition):- यह Petition भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 32 के या अनुच्छेद (Article) 226 के तहत High Court या Supreme Court के समक्ष मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के उल्लंघन के समाधान के लिए या सरकारी अधिकारियों के किसी निर्णय को चुनौती (Challenge) देने के लिए दायर की जाती है।   
  • जनहित याचिका (Public Interest Litigation - PIL):- PIL भी एक प्रकार से Writ Petition ही होती है जो पर्यावरण (Environment) संबंधी चिंताओं, मानवाधिकारों के उल्लंघन या भ्रष्टाचार (Corruption) जैसे सार्वजनिक मुद्दों (Public Issues) के लिए आम जनता के हितों के लिए दायर की जाती है। इसके द्वारा किसी नागरिक या संगठन द्वारा ऐसे लोगों के लिए आवाज उठाई जाती है जो लोग स्वयं अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने में सक्षम नहीं होते।  
  • बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus Petition):- यह Petition ऐसे व्यक्ति को रिहाई दिलवाने के लिए दायर की जाती है जिसे अवैध रुप से पुलिस या किसी भी जांच एजेंसी द्वारा हिरासत (Custody) में लिया गया है या गिरफ्तार (Arrest) किया गया है। 
  • आपराधिक पुनरीक्षण (Criminal Revision Petition):- इसके तहत निचली आपराधिक अदालत के फैसले या आदेश (Order) के खिलाफ उच्च न्यायालय में Petition Filed की जाती है। इसका इस्तेमाल पहले फैसले में पाई गई त्रुटियों (Errors) के लिए संशोधन (Amendment) करवाने या फैसले में बदलाव करवाने के लिए किया जाता है।
  • रद्द करने की याचिका: इसके द्वारा याचिकाकर्ता (Petitioner) के खिलाफ किसी आपराधिक (Criminal) मामले या शिकायत को रद्द करने के लिए अदालत से अनुरोध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जैसे:- किसी व्यक्ति को फंसाने के लिए झूठे आरोप (False Accusation) लगा दिए गए हो लेकिन कानूनी रुप से देखा जाए तो उसके खिलाफ आरोप लगाने वाले के पास कोई सबूत (Evidence) ही ना हो यानी जो शिकायत या आरोप कानूनी रुप से योग्य ही ना हो।
  • स्थानांतरण के लिए Transfer Petition:- किसी मामले को एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित (Transfer) करने के लिए अदालत के सामने अनुरोध करने के लिए इस Petition का प्रयोग किया जाता है।  
  • तलाक की लिए Divorce Petition:- इसे विवाहित जोड़े (Married Couple) द्वारा अपनी शादी के बंधन को कानूनी रुप से समाप्त करने की मांग के लिए पारिवारिक अदालतों (Family Courts) में Filed किया जाता है।  
  • भरण-पोषण के लिए Maintenance Petition:- यह Petition पति/पत्नी द्वारा अपने बच्चों या उन पर आश्रित परिवार के सदस्यों के भरण पोषण के लिए वित्तीय सहायता (Financial Help) मांगने के लिए दायर किया जाता है। इसे ज्यादातर अलगाव या तलाक (Divorce) जैसे मामलों में Filed किया जाता है।  
  • उपभोक्ता शिकायत के लिए Consumer Complaint Petition:- इसके द्वारा किसी गलत या खराब उत्पादों (Products), गलत सेवाओं या व्यापार करने के गलत तरीकों की शिकायतों के लिए मुआवजे या निवारण की मांग के लिए उपभोक्ता अदालतों (Consumer Courts) में दायर की जाती है। 


पेटिशन दायर क्यो की जाती है?

  • यदि किसी व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन होता है तो वह इस याचिका के द्वारा न्यायालय में जा सकता है। जैसे:- किसी व्यक्ति को उसके मकान से बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के निकाल दिया जाता है तो वह व्यक्ति Petition Filed करके न्यायालय से अपने घर में रहने के लिए न्याय की मांग कर सकता है।  
  • सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है उदाहरण के तौर पर यदि किसी नदी को अवैध तरीके से गंदा किया जा रहा है तो इससे पर्यावरण को खतरा ना हो इसके लिए भी इस प्रक्रिया द्वारा अपने सभी के हितों के लिए Environment को बचाने की मांग की जा सकती है।
  • यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि संविधान के अंतर्गत प्रदान किए गए उसके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है तो वह भी Petition Filed कर अपने अधिकारों की मांग कर सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की धार्मिक आजादी (Religious Freedom) या उसकी स्वतंत्रता पर आरोप लगाए जाता है तो वह अपने Rights की मांग करते हुए ऐसा कर सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के साथ सरकारी अधिकारी अपनी ताकत का उपयोग करके उसे फंसाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ भी जांच के लिए इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा भी बहुत सारे ऐसे मुद्दे (Issues) होते है जिनमें इस प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिनके बारे में आपको इस लेख के अंत तक पूरी जानकारी हो जाएगी। इस लिए इस लेख में बताई गई हर एक बात आप सभी के लिए बहुत ही आवश्यक है इसलिए किसी भी मुख्य जानकारी को नजर अंदाज ना करें और पूरा पढ़े।



भारत में याचिका कौन दायर कर सकता है?

  • एक व्यक्ति: कोई भी ऐसा व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के कानूनी मुद्दे या अपने अधिकारों के साथ हुए उल्लंघन से सीधा प्रभावित होता है यानी परेशान होता है वो व्यक्ति इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकता है। इसमें भारत के सभी नागरिक और यहां तक कि NRI व्यक्ति भी शामिल हो सकते है।  
  • जनहित याचिकाकर्ता: यह याचिकाकर्ता कोई भी ऐसा व्यक्ति या संगठन हो सकता है जो आम जनता की और से उस जनता के हित के लिए Petition Filed करता है। ऐसे व्यक्ति या संगठन आम जनता के प्रतिनिधि के रुप में उनके मुद्दों व परेशानियों के बारे में समाधान दिलवाने के लिए ऐसा करते है।
  • वकील:- एक वकील (Lawyer) को कानून (Law) की पूरी समझ होती है इसलिए वह अपने मुवक्किलों (Client) की तरफ से भी Petition Filed कर सकते है।  
  • सरकारी प्राधिकरण Government Authorities:- बहुत सारे सरकारी प्राधिकरण जैसे कोई भी मंत्रालय, या कोई भी विभाग, या जांच एजेंसियां, अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों के समाधान के लिए याचिका दायर कर सकते है। जैसे:- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, CBI व अन्य विभाग।
  • गैर-सरकारी संगठन NGO: आम जनता के हितों व मानव अधिकार, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन (Non Government Organization) भी अपने क्षेत्र के मुद्दों का समाधान पाने के लिए Petition Fill कर सकते है। इस प्रकार के संगठनों द्वारा ज्यादातर जनहित याचिकाएँ ही दायर की जाती है।  
  • सार्वजनिक अधिकारी: सरकारी अधिकारी या कर्मचारी भी कुछ कानूनी मामलों के निवारण के लिए Petition File कर सकते है।


भारत में याचिका किस कोर्ट में दायर करनी चाहिए?

भारत में Petition File करने के लिए उपयुक्त अदालत का निर्धारण करने के लिए, आप इन चरणों (Steps) का पालन कर सकते हैं:-

  • सबसे पहले अपने कानूनी मामले की प्रकृति को समझे जैसे नागरिक मामले, आपराधिक मामले, संवैधानिक मामले, या कानून का कोई और मामला आपको यह पता लगाना होगा कि आपका केस इनमें से किस मामले के तहत आता है।
  • अपने मामले की पहचान करने के बाद अपने क्षेत्र की अदालत में जाएं जिसके पास आपके मामले के लिए सुनवाई करने व निर्णय लेने का अधिकार हो।
  • यदि आपको अदालत के बारे में जानकारी प्राप्त करने व अपने मामले की पहचान करने में किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो किसी विशेषज्ञ वकील से याचिका दायर करने के लिए कानूनी सलाह (Legal Advice Or Help) या सहायता ले
  • इसके साथ ही आपको भारत में अदालतों के पद अनुसार संरचना का भी ज्ञान होना जरुरी है। जिनमें सबसे पहले जिला अदालत (District Court), फिर उच्च न्यायालय (High Court) और उसके बाद सबसे ऊपर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) शामिल होता है।
  • कुछ मामले ऐसे होता है जो मामले की गंभीरता के हिसाब से अदालत का पता लगा सकते है। जैसे कम गंभीर मामलों में जिला अदालत में ही याचिका दायर की जा सकती है लेकिन यदि मामला बहुत ही गंभीर होता है तो ऐसे मामलों में उच्च अदालतों में Petition Filed की जाती है।

ऐसे ही बहुत सी मुख्य बातें होती है जिनके आधार पर आपको कौन सी Court में याचिका दायर करनी है इस बात का पता लगा सकते है। फिर भी यदि आपको किसी प्रकार की समस्या आती है तो आप अपना ज्यादा समय खराब ना करें, तुरन्त किसी वकील के पास जाए और उससे सलाह ले।  



याचिका दायर करने के लिए कितना खर्च आता है?

  • याचिका शुल्क:- याचिका पत्र के साथ याचिका शुल्क (Petition Fees) देना पड़ता है जिसकी राशि न्यायिक स्तर व मामले के प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
  • वकालत शुल्क:- यदि आप अपने किसी भी मामले के लिए याचिका दायर करने के लिए किसी वकील की सहायता लेते है तो आपको Lawyer की फीस भी देनी पड़ सकता है जो अलग-अलग वकील की अलग होती है।
  • स्टाम्प ड्यूटी:- कुछ कानूनी दस्तावेजों (Legal Documents) पर इस शुल्क को लिया जाता है जिनमें याचिकाएं भी शामिल होती है। इसका इस्तेमाल उन्हें कानूनी रुप से वैध (Valid) करने के लिए किया जाता है। इसकी राशि भी राज्यों की सरकारों द्वारा अलग से तय की जाती है।

इसलिए याचिका दायर करने के लिए आने वाले खर्च के बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको अपने मामले के आधार पर, वकील की फीस, व न्यायालय के आधार पर ही पता लग सकता है।



याचिका कब दायर नहीं कि जा सकती?

कुछ ऐसी स्थितियाँ व मामले होते है जिनमें याचिका दायर नहीं की जा सकती इसके साथ ही इस प्रक्रिया के लिए कुछ नियम बनाए गए है जिनका जानना भी आपके लिए बहुत जरुरी है।

  • यदि आप अपने क्षेत्र की किसी Court में Petition File करना चाहते है परन्तु उस अदालत के पास आपके मामले को संभालने की शक्ति नहीं है तो आप वहाँ याचिका दायर नहीं कर सकते। इसके लिए आपको सही जगह ढूंढनी होगी।
  • याचिका दायर करने के लिए एक विशिष्ट समय सीमा होती है। यदि आप उस समय इस कार्यवाही को करने से चूक जाते है तो आप अपनी Petition File नहीं कर पाएंगे। इसलिए इसके नियमों व समय सीमा (Time Limit) के अनुसार ही समय पर इस प्रक्रिया को पूरा करें।
  • इस प्रक्रिया के लिए आपको सीधे तौर पर प्रभावित या शामिल होना चाहिए नहीं तो आप याचिका दायर नहीं कर सकते।
  • आप जिस समस्या के समाधान के लिए Petition File करना चाहते है उस का समाधान पहले ही हो चुका हो तो भी आप इस कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
  • यदि आप ऐसी याचिका दायर करते है जिसका कानूनी रुप से कोई आधार ही नहीं है या आपका मकसद केवल दूसरों को परेशान करना है तो इसे Court द्वारा खारिज (Dismissed) कर दिया जाता है।
  • यदि आपके पास किसी मुद्दे के लिए आपके दावों (Claims) को साबित करने का कोई पर्याप्त सबूत या जरुरी जानकारी नहीं है तो भी इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा या Petition खारिज कर दी जाएगी।

इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि सबसे पहले इस प्रक्रिया के सभी नियमों की पूरी जानकारी प्राप्त कर ले व अगर आवश्यकता पड़े तो कानूनी परामर्श (Legal Advice) भी जरुर ले। यदि आपको फिर भी कोई समस्या आती है तो आप अपने सवालों के जवाब हमारे द्वारा भी प्राप्त कर सकते है।



याचिका दायर करने के लिए जरुरी दस्तावेज?

  • आपको न्यायालय द्वारा प्रदान किया गया एक फार्म भरना होगा, जिसमें आपका नाम, पता और आपकी याचिका किस बारे में है ये सभी जानकारी मांगी गई होगी।
  • इसके साथ ही आप अपने दावों को साबित करने के लिए सबूत के तौर पर जरुरी दस्तावेज जैसे फोटो, विड़ियों, मेड़िकल रिकार्ड, या जो भी आवश्यक दस्तावेज हो शामिल कर सकते है।
  • इसके साथ ही आपको ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या अपने किसी भी पहचान पत्र की एक प्रति (Copy) देनी होगी।
  • याचिका दायर करने के लिए लगने वाले शुल्क की रसीद (Fees Receipt) या प्रमाण की भी आवश्यकता आपको पड़ती है, इसलिए उसे भी संभाल कर रखे।
  • यदि आपकी Petition किसी पिछले अदालती मामले से संबंधित है तो Court के आदेशों व निर्णयों की भी प्रतियाँ (Copies) आप इसके साथ लगा सकते है।


याचिका दायर कैसे करे - How to File Petition

भारत में कोर्ट में याचिका दायर करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया इस प्रकार है:-

  • सबसे पहले अपने मामले की स्पष्ट रुप से पहचान करें और उससे संबंधित सभी नियमों व कानून की जानकारी ले।
  • आप इसके लिए किसी वकील की सलाह या सहायता ले सकते है जो आपके मुद्दे से संबंधित मामले में अनुभवी हो वो आपकी इस पूरी प्रक्रिया में और पेटिशन तैयार करने में मदद करेगा।
  • उसके बाद एक लिखित याचिका की रुप रेखा तैयार करें जिसमें शामिल पक्षों के नाम, सभी जरुरी तथ्य, व किस आधार पर राहत मांगी जा रही है ये सभी जानकारी उसमें शामिल करें।
  • इसके बाद इसके साथ लगाए जाने वाले भी सहायक दस्तावेज को इकट्ठा करें जो आपके मामले को समर्थन करते हो और इनकी प्रतियों को अपनी Petition के साथ लगाए।
  • इसके बाद इस प्रक्रिया के लिए लगने वाली कोर्ट फीस का पता करें व उनका भुगतान करें।
  • कुछ Courts में इसके लिए अलग से फार्म भरने और जमा करने की आवश्यकता होती है जिसको आप न्यायालय से भी प्राप्त कर सकते है।
  • ये सभी कार्य करने के बाद याचिका पर अपने हस्ताक्षर (Signature) करें व अपना पूरा नाम लिखे साथ ही अपने एक पहचान पत्र की प्रति भी लगाए।
  • इसके साथ ही आपके द्वारा तैयार किए गए इन सभी दस्तावेजों की कई प्रतियां बना ले जो आगे चलकर आपके लिए रिकार्ड के रुप में काम आएगी।
  • इसके बाद उस कोर्ट में जाए जहाँ आपको पेटिशन दायर करनी है और उसके जमा करने वाले काउंटर पर जाकर सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी मूल याचिका (Original Petition) जमा करें और इसकी रसीद प्राप्त करें।
  • कुछ मामलों में यदि आवश्यक हो तो आपको दूसरे पक्ष के पास नोटिस देने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
  • इसके बाद आपको कोर्ट द्वारा दी गई तिथि के अनुसार सुनवाई में शामिल होना पड़ेगा। इस सुनवाई (Hearing) के दौरान अपने मामले को बताए व अन्य सभी सबूत व जानकारी भी प्रस्तुत करें।
  • इन सभी प्रक्रियाओं के बाद अदालती कार्यवाही के बाद जो भी फैसला आए उसके सभी नियमों का पालन करें।

इसके अलावा कुछ मामलों में याचिका की प्रक्रिया अलग भी हो सकती है इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप किसी भी कानूनी कार्यवाही को करने से पहले किसी वकील से Legal Advice जरुरी ले।


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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


याचिका क्या है (What is Petition Meaning in Hindi)?

याचिका का अर्थ होता है कोई आपत्ति, मांग या कोई अनुरोध करना, जिसके द्वारा अदालत से न्याय प्राप्त करने या उस मामले पर सुनवाई की जा सकती है। Petition के द्वारा किसी भी व्यक्ति के द्वारा या संगठन (Organization) के द्वारा कोर्ट में किसी फैसले को लेकर या अपने किसी अधिकार (Rights) की मांग के लिए अनुरोध किया जाता है। 



India में Petition कौन दायर कर सकता है?

आम तौर पर, कोई भी व्यक्ति, समूह, संगठन या संस्था भारत में इस कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकता है, बशर्ते उनके पास कोई वैध चिंता या मुद्दा हो जो संबंधित अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आता हो।



क्या मुझे भारत में याचिका दायर करने के लिए वकील की आवश्यकता है?

याचिका दायर करने के लिए वकील का होना आवश्यक नहीं है आप खुद भी इसकी प्रक्रिया की जानकारी के बारे में सीख कर आगे की कार्यवाही कर सकते है। लेकिन आसानी से इस कार्य को करने व कुछ बहुत ही जटिल मामलों में आप एक वकील की मदद ले सकते है।



किसी पेटिशन का समाधान होने में कितना समय लगता है?

इसके समाधान के लिए लगने वाले समय को मामले के गंभीरता व अन्य मुख्य कारणों के अनुसार देखा जाता है। कुछ मामलों में इसके समाधान में ज्यादा समय लगता है और किसी में यह जल्दी भी हो सकता है।



जनहित याचिका (पीआईएल) क्या है?

इसको जनता के हित के लिए दायर किया जाता है। जिसमें आम लोगों के अधिकारों के साथ होने वाले उल्लंघन को रोकने के लिए कार्यवाही की मांग की जाती है।



क्या भारत में याचिका खारिज की जा सकती है?

हां, यदि कोई Petition आवश्यक मानदंडों को पूरा नहीं करती है,  और उसमें योग्यता नहीं है, या निर्धारित नियमों के अनुसार उसे दायर नहीं किया गया है तो उसे खारिज किया जा सकता है।