धारा 460 आईपीसी - IPC 460 in Hindi - सजा और जमानत - रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन में संयुक्ततः सम्पॄक्त समस्त व्यक्ति दंडनीय हैं, जबकि उनमें से एक द्वारा मॄत्यु या घोर उपहति कारित हो
अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 460 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 460 के अनुसार यदि रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन करते समय ऐसे अपराध का दोषी कोई व्यक्ति स्वेच्छया किसी व्यक्ति की मॄत्यु या घोर उपहति कारित करेगा या मॄत्यु या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करेगा, तो ऐसे रात्रौ प्रच्छन्न गॄह-अतिचार या रात्रौ गॄह-भेदन करने में संयुक्ततः सम्पॄक्त हर व्यक्ति, 1[आजीवन कारावास] से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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रात तक घर तोड़ने आदि में संयुक्त रूप से संबंधित कई व्यक्तियों में से एक की मौत या गंभीर चोट | आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | सत्र न्यायालय |
Offence : रात तक घर तोड़ने आदि में संयुक्त रूप से संबंधित कई व्यक्तियों में से एक की मौत या गंभीर चोट
Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : सत्र न्यायालय
IPC धारा 460 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 460 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 460 अपराध : रात तक घर तोड़ने आदि में संयुक्त रूप से संबंधित कई व्यक्तियों में से एक की मौत या गंभीर चोट
आई. पी. सी. की धारा 460 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 460 के मामले में आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 460 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 460 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 460 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 460 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 460 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 460 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 460 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 460 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।