धारा 386 आईपीसी - IPC 386 in Hindi - सजा और जमानत - किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 386 का विवरण
  2. धारा 386 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 386 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 386 के अनुसार जो भी कोई किसी व्यक्ति से, स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
किसी व्यक्ति को मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना।
सजा - दस वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : मौत या गंभीर चोट के डर से एक व्यक्ति डाल द्वारा जबरन वसूली


Punishment : 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 386 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 386 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 386 अपराध : मौत या गंभीर चोट के डर से एक व्यक्ति डाल द्वारा जबरन वसूली



आई. पी. सी. की धारा 386 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 386 के मामले में 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 386 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 386 संज्ञेय है।



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आई. पी. सी. की धारा 386 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 386 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 386 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 386 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।