धारा 353 आईपीसी - IPC 353 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 353 का विवरण
  2. क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 353?
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के आवश्यक तत्व
  4. धारा 353 के लिए सजा का प्रावधान
  5. धारा 353 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
  6. धारा 353 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 353 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के अनुसार

जो भी किसी ऐसे व्यक्ति पर, जो लोक सेवक हो, उस समय जब लोक सेवक के नाते वह अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो, या उस व्यक्ति को लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करने के आशय से, या लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में किए गये या किए जाने वाले किसी कार्य के परिणामस्वरूप हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने/भयोपरत के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना
सजा - दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 353?

भारतीय दंड संहिता की धारा 353 किसी लोक सेवक के बचाव के लिए होती है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो लोक सेवक है, और वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है, तो उस समय कोई अन्य व्यक्ति उस लोक सेवक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन करने से रोकने या उसको डराने के उद्देश्य से उस लोक सेवक पर आपरधिक बल का प्रयोग करता है, या उस पर हमला करता है, तो कानून की नजरों में वह व्यक्ति एक अपराधी के रूप में देखा जाता है, और उस व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के प्रावधानों के अनुसार दण्डित भी किया जाता है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के आवश्यक तत्व

यह धारा किसी लोक सेवक को डराने या उसको उसके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए अपराधी को दंड देने से सम्बन्धित होती है, तो ऐसी स्तिथि में इस धारा के आवश्यक तत्वों के रूप में यह माना जाता है, की यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को जब वह अपनी ड्यूटी कर रहा हो, उसकी ड्यूटी करने से रोकने के उद्देश्य से उस लोक सेवक पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है, या उस पर हमला कर देता है, तो ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के प्रावधानों के अनुसार अपराधी माना जाता है और ऐसे अपराधी को इस दंड संहिता में उचित दंड देने का प्रावधान किया गया है।


धारा 353 के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के प्रावधानों में किसी लोक सेवक या पब्लिक सर्वेंट को उसकी ड्यूटी करने से रोकने के उद्देश्य से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करना या इसी उद्देश्य से उस पर हमला करने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 353 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है। और वैसे भी भारतीय दंड संहिता में धारा 353 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के साथ आपराधिक बल का प्रयोग करने या उस पर हमला करने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 353 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी उस लोक सेवक के साथ आपराधिक बल का प्रयोग या उस पर हमला करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी लोक सेवक के साथ आपराधिक बल का प्रयोग करने या उस पर हमला करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 353 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : एक लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का हमला या उपयोग


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 353 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 353 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 353 अपराध : एक लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आपराधिक बल का हमला या उपयोग



आई. पी. सी. की धारा 353 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 353 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 353 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 353 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 353 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 353 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 353 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 353 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 353 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 353 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।