आत्महत्या के प्रयास की धारा 309 में सजा और जमानत - IPC 309 in Hindi

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

इन दिनों ना केवल हमारे भारत देश में बल्कि पूरी दुनिया में आत्महत्या के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे है। अकसर लोग अपने जीवन में चल रही समस्याओं से इतना परेशान हो जाते है कि वे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है। यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करने की कोशिश करता है, तो वह कानून की नजरों में किस प्रकार अपराध बन जाता है। आज के लेख में हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली ऐसे कानून की धारा के बात करेंगे कि धारा 309 क्या है ये धारा कब लगती है? IPC Section 309 के मामले में सजा और जमानत का क्या प्रावधान हैं?

सभी लोगों के लिए यह समझना बहुत जरुरी है कि आत्महत्या कर लेना किसी समस्या का समाधान नहीं होता। समस्या हर इंसान के जीवन का एक हिस्सा होती है, जिससे भागने के बजाय उससे लड़ने की कोशिश करें। इसलिए आज हम आपको आत्महत्या के मामले से जुड़ी धारा 309 के बारे में प्रत्येक जानकारी देंगे तो इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक पूरा पढ़े।

धारा 309 क्या है कब लगती है – IPC 309 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 309 आत्महत्या के प्रयास (Attempt to suicide) के बारे में बताती है। यदि कोई व्यक्ति जीवन की किसी भी समस्या से परेशान होकर खुद अपने आप को मारने की कोशिश करता है यानि आत्महत्या (Suicide) करने की कोशिश करता है। और वो व्यक्ति आत्महत्या करने की कोशिश करने के दौरान बच जाता है, तो उस व्यक्ति पर आत्महत्या का प्रयास करने की धारा 309 के तहत मुकदमा दर्ज (Case filed under section 309 for attempt to suicide) कर कार्यवाही की जाती है।


आत्महत्या के मुख्य कारण

आत्महत्या के मामलों का दिन प्रतिदिन बढ़ना सभी के लिए एक चिंता का विषय है। इस तरह के मामले किन कारणों से बढ़ते है हमें उनके बारे में जानना बहुत ही जरुरी है। इसलिए आत्महत्या के कुछ मुख्य कारणों के बारे में जानने का प्रयास करते है।

बढ़ते तनाव (Tension) - आजकल लोगों के जीवन में तनाव बहुत ही बढ़ता जा रहा है, तनाव बढ़ने के बहुत सी वजह होती है जैसे अपने काम को लेकर, किसी रोग को लेकर, किसी रिश्ते को लेकर आदि। तनाव को सुसाइड का एक मुख्य कारण माना जाता है।

डिप्रेशन (Depression) - अकसर हमारे जीवन में कुछ इस प्रकार के हादसे हो जाते है जिनके कारण ज्यादा समय तक परेशान रहने के कारण हम डिप्रेशन का शिकार हो जाते है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन जीने का कोई मकसद दिखाई नहीं देता।

जीवन शैली (lifestyle) का ठीक ना होना - आजकल हम अपने स्वास्थ्य का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते, खराब जीवनशैली के कारण हमारे जीवन में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते है। जो आगे चलकर हमारे जीवन में अनेक रोगों का कारण बनते है।

अधिकतर मामलों में नशे के कारण, ब्रेकअप( Breakup) के कारण, कर्ज या किसी मानसिक रोग (mental illness) के कारण भी आत्महत्या के मामलों को देखा गया है।


धारा 309 व धारा 306 में अंतर

धारा 309 - यदि कोई व्यक्ति जीवन की किसी भी समस्या से परेशान होकर आत्महत्या करने की कोशिश करता है, तो मृत्यु (Death) से बच जाने पर उस व्यक्ति पर धारा 309 के तहत कार्यवाही की जाएगी।

धारा 306 - यदि किसी भी व्यक्ति को कोई अन्य व्यक्ति आत्महत्या करने के लिए उकसाता है या मजबूर करता है तो उस व्यक्ति पर धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने (Abetment to suicide) के अपराध के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।


IPC Section 309 Crime Example

एक बार पवन नाम का एक लड़का होता है, वो एक लड़की से बहुत प्यार करता है। एक दिन उसे पता चलता है कि जिस लड़की से वो प्यार करता है उसकी शादी उस लड़की के घर वालो ने किसी और लड़के के साथ कर दी। इस बात से पवन पूरी तरह से टूट जाता है, और बहुत दिन तक परेशान रहने के बाद सुसाइड करने की कोशिश करता है।

उसी समय पवन का भाई वहाँ आ जाता है और उसे तुरन्त हस्पताल लेकर जाता है, जिससे पवन की जान बच जाती है। हस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा पुलिस को पता चलता है तो पुलिस तुरन्त मौके पर पहुँचती है और पवन के खिलाफ आत्महत्या करने के प्रयास की धारा 309 के तहत मुकदमा दर्ज (Court case) कर कार्यवाही करती है।

धारा 309 में सजा – IPC 309 Punishment in Hindi

IPC Section 309 में दंड के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करने की कोशिश करता है। इस प्रकार के कार्य के दौरान यदि वो व्यक्ति मृत्यु से बच जाता है तो उस व्यक्ति को आत्महत्या करने का दोषी पाये जाने पर 1 वर्ष तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।


IPC 309 में जमानत कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 309 के अनुसार आने वाला यह अपराध एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) कहलाता है। यह अपराध एक जमानतीय अपराध (bailable) होता है जिसमें आरोपी को गिरफ्तारी के बाद जमानत (bail) आसानी से मिल जाती है। यह अपराध (Crime) किसी भी प्रकार से समझौते (Compromise) के लायक नहीं होता। यदि आत्महत्या का प्रयास करने वाला व्यक्ति किसी मानसिक रोग से पीड़ित होता है तो उस व्यक्ति को इलाज (Treatment) के लिए हस्पताल भेज दिया जाता है।

धारा 309 के इस अपराध में भी आरोपी व्यक्ति को एक वकील (Lawyer) की आवश्यकता पड़ती है। जो आपके लिए जमानत लेने से लेकर कोर्ट की आगे की कार्यवाही करने तक आपकी पूरी सहायता करता है।



आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए जरुरी बातें

इंसान ऐसा कदम अपने जीवन में तब उठाता है जब वो किसी भी कारण से परेशान होता है या अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में मानसिक रुप से कमजोर महसूस करता है। इसलिए आत्महत्या करने के विचार को दूर रखने के लिए कुछ बातों का जानना बहुत ही जरुरी है।

  • किसी भी प्रकार के तनाव से खुद को दूर रखने का प्रयास करें।
  • हमेशा अच्छा खाना खाएं व अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखे। सुबह पार्क या जिम में जाकर पसीना बहाएं।
  • हमेशा नकारात्मक सोच रखने वाले लोगों से खुद को दूर रखे। कोई भी ऐसा व्यक्ति जो आपके जीवन में परेशानी का कारण बनता हो उससे हमेशा दूरी बना कर रखे।
  • खुद को कभी-भी खाली ना बैठाए कोई ना कोई काम करते रहे व फालतू की बात ना सोचे खुद को तनाव मुक्त रखे।
  • यदि आपके मन में आत्महत्या जैसे ख्याल आते है तो किसी मनोचिकित्सक (Psychiatrist) को दिखाए।
  • यदि आपके आस पास कोई ऐसा व्यक्ति है जो बहुत ही परेशान रहता हो तो उसके साथ बैठे उसे समझाने का प्रयास करें।

हमारे देश में सुसाइड़ हेल्पलाइन न0 भी बनाए गए है जिनकी मदद से आत्महत्या जैसे मामलों को रोका जा सकता है। हेल्पलाइन न0 - 9152987821.

Offence : आत्महत्या का प्रयास


Punishment : 1 साल या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





आईपीसी धारा 309 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 309 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 309 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 309 अपराध : आत्महत्या का प्रयास



आई. पी. सी. की धारा 309 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 309 के मामले में 1 साल या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 309 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 309 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 309 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 309 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 309 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 309 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 309 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 309 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।