धारा 145 आईपीसी - IPC 145 in Hindi - सजा और जमानत - किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दिया गया है, में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

धारा 145 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के अनुसार

जो भी कोई किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश विधि द्वारा निर्धारित ढंग से दिया गया है, में जानबूझकर सम्मिलित हो, या बना रहे, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।

लागू अपराध
किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश दे दिया गया हो में जानबूझकर शामिल होना या बने रहना।
सजा - दो वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 145

भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के अनुसार, जो भी कोई किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश विधि द्वारा निर्धारित ढंग से दिया गया है, में जानबूझकर सम्मिलित हो, या बना रहे, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 145?

यह धारा किसी व्यक्ति को किसी ऐसी गैरकानूनी जनसभा में शामिल होने के लिए अपराधी घोषित कर देती है, जिसे किसी आदेश द्वारा खत्म कर देने का आदेश दिया जा चुका होता है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा अपराध करता है, तो उस व्यक्ति के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के अनुसार कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के लिए आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता में गैरकानूनी जनसमूह के अपराध के लिए और भी धाराओं में अलग - अलग प्रकार के अपराध के लिए दंड का प्रावधान किया गया है, किन्तु भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के अनुसार किसी व्यक्ति को इस धारा का अपराधी होने के लिए किसी ऐसी गैरकानूनी जनसमूह में सम्मिलित होना होता है, जिसे किसी आदेश द्वारा खत्म करने का आदेश दिया जा चुका होता है।


धारा 145 के लिए सजा का प्रावधान

उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 145 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 145 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत कोई व्यक्ति किसी ऐसी गैरकानूनी जनसमूह में सम्मिलित होता है, जिसे किसी आदेश द्वारा खत्म करने का आदेश दिया जा चुका होता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 145 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी उस गैरकानूनी जनसमूह में सम्मिलित हो जाता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी ऐसी गैरकानूनी जनसमूह में सम्मिलित होने, जिसे खत्म करने का आदेश दिया जा चुका होता है, ऐसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 145 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : गैर-कानूनी असेंबली में शामिल होना या जारी रखना, यह जानते हुए कि इसे रद्द की आज्ञा दी गई है


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 145 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 145 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 145 अपराध : गैर-कानूनी असेंबली में शामिल होना या जारी रखना, यह जानते हुए कि इसे रद्द की आज्ञा दी गई है



आई. पी. सी. की धारा 145 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 145 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 145 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 145 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 145 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 145 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 145 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 145 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 145 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 145 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।