धारा 496 आईपीसी - IPC 496 in Hindi - सजा और जमानत - विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 496 का विवरण
  2. धारा 496 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 496 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 496 के अनुसार जो कोई बेईमानी से या कपटपूर्ण आशय से विवाहित होने का कर्म यह जानते हुए पूरा करेगा कि तद्द्वारा वह विधिपूर्वक विवाहित नहीं है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
विधिपूर्ण विवाह के बिना कपटपूर्वक विवाह कर्म पूरा करना।
सजा - सात वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : धोखाधड़ी के इरादे के साथ एक व्यक्ति को जानते हुए भी कि वह इस तरह कानूनी रूप से शादी नहीं है शादी की जा रही के समारोह के माध्यम से जा रहा है


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 496 को बीएनएस धारा 83 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 496 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 496 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 496 अपराध : धोखाधड़ी के इरादे के साथ एक व्यक्ति को जानते हुए भी कि वह इस तरह कानूनी रूप से शादी नहीं है शादी की जा रही के समारोह के माध्यम से जा रहा है



आई. पी. सी. की धारा 496 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 496 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 496 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 496 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 496 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 496 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 496 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 496 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 496 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।