IPC 494 in Hindi - दूसरे विवाह की धारा 494 में सजा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको विवाह संबंधित अपराध से जुड़ी आईपीसी धारा 494 के बारे में बताएँगे। भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के बारे में हम सभी जरुरी बातों के बारे में सरल भाषा में चर्चा करेंगे कि आईपीसी की धारा 494 क्या है, ये धारा कब लगती है? IPC Section 494 के मामले में सजा (Punishment) और जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

किसी भी संबंध में भरोसे का होना बहुत ही जरुरी होता है, लेकिन यदि किसी रिश्ते में बंधे दो लोग आपस में एक दूसरे के भरोसे को तोड़े तो वह संबंध कभी भी आगे नही बढ़ सकता। हमारे आज के लेख द्वारा हम एक ऐसे ही विषय पर बात करेंगे। अगर आप आईपीसी सेक्शन 494 के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा पढ़े।

धारा 494 क्या है – IPC Section 494 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के प्रावधान अनुसार यदि कोई पुरुष या स्त्री पहले से ही विवाहित होते हुए दूसरा विवाह (Bigamy) कर लेते है तो भारतीय कानून के अंतर्गत यह एक अपराध माना जाता है।

इसे आसान भाषा में जाने तो इसका मतलब है की कोई भी महिला या पुरुष अपने पति या पत्नी से बिना तलाक (Divorce) लिए दूसरा विवाह (Marriage) कर लेते है तो वह IPC 494 के तहत दोषी बन जाते है। यदि कोई स्त्री या पुरुष इस प्रकार का Crime करता है तो उस पर धारा 494 के तहत दूसरा विवाह करने के जुर्म में मुकदमा दर्ज (Court case) करवाया जा सकता है।

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मुस्लिम धर्म में नहीं लगती धारा 494

यदि कोई पुरुष व्यक्ति मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखता है, तो उस व्यक्ति पर उसकी पत्नी के जीवित होने के बाबजूद भी यदि वो किसी अन्य स्त्री के साथ विवाह करता है, तो उस व्यक्ति की पत्नी या और कोई उसके खिलाफ कोई क़ानूनी कार्यवाही नहीं कर सकता है। बर्ष 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट के बनने से हिंदू महिलाओं को उनके पति द्वारा दूसरी शादी करने से रोक दिया गया था, लेकिन अन्य मुस्लिम महिलाओं को उनके पति को दूसरी शादी करने से रोकने के लिए ऐसा अधिकार नहीं है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 495 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति आई. पी. सी. की धारा 494 के तहत अपराध करता है, और अपने होने वाली पत्नी से अपनी पिछली शादी को छिपाता है, तो ऐसी स्थिति में होने वाली या नई पत्नी चाहे तो एफ. आई. आर. कर के आदमी को 7 साल तक की जेल की सजा करवा सकती है।

वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का कानून भी अलग है, और एक मुस्लिम व्यक्ति को दूसरा, तीसरा विवाह करने की अनुमति है। भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में वर्णित अपराध का प्रावधान न सिर्फ हिन्दू महिला को राहत प्रदान करता है, बल्कि यह अधिकार हिन्दू, सिख और बौद्ध समुदाय की महिलाओं को भी राहत देता है


धारा 494 कब कब लागू होती है

IPC Section 494 के अपराध के तहत लागू होने वाली कुछ मुख्य बिंदु (Key Elements of section 494 IPC) इस प्रकार है:-

  • यदि कोई स्त्री या पुरुष पहले से ही Married होते हुए दूसरी शादी कर ले।
  • यह सेक्शन तभी लागू होता है जब पहली Marriage कानूनी रूप से वैध (Valid) हो। यदि विवाह शून्य (Void) है या निरस्त (Cancel) किया गया है, तो यह सैक्शन लागू नहीं हो सकती है।
  • पहले पति या पत्नी के साथ तलाक के केस के बीच में विवाह करने पर।
  • अपने पति या पत्नी से छिपकर या धोखा देकर दूसरी शादी करने पर।

ये सभी ऐसे कारण होते है जिनके कारण किसी भी स्त्री या पुरुष पर IPC Section 494 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।


आईपीसी धारा 494 कब लागू नहीं होती

दूसरी शादी करना सरकार (Government) के खिलाफ अपराध नहीं है बल्कि केवल अपनी पत्नी या पति के खिलाफ अपराध है। इसलिए जब तक दूसरी शादी करने वाले व्यक्ति की पत्नी या पति कोई शिकायत नहीं करता तब तक इस अपराध के लिए कोर्ट कोई संज्ञान (Cognizance) नहीं लेगा। जिसका मतलब होता है कि जब तक पहले पति या पत्नी द्वारा Complaint नहीं की जाती तब तक इस IPC Section के तहत कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती।

लेकिन कुछ आपवादिक परिस्थितियां होती है, जिनमें दूसरी शादी करने वाले की पत्नी या पति की तरफ से कोई और शिकायत फाईल कर सकें। यदि किसी व्यक्ति की पत्नी नाबालिग है या दिमागी रुप से बीमार है तो उसकी तरफ से कोई और व्यक्ति Complaint File कर सकता है। इसके अलावा भी कुछ मामलों में इस धारा को लागू नहीं किया जा सकता जो नीचे दिए गए है।

  • इस कानून का इस्तेमाल मुस्लिम धर्म के लोगों पर नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम है तो वह अपने धर्म के अनुसार दूसरी शादी कर सकता है।
  • अगर किसी का पति या पत्नी 7 वर्ष से ज्यादा समय तक गायब रहता है तो वह इंसान दूसरी शादी कर सकता है/सकती है।
  • यदि कोई व्यक्ति दूसरी शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म अपनाता है तो उस पर पहली पत्नी के द्वारा की गई शिकायत पर धारा 494 के तहत कार्यवाही की जाएगी।
  • यदि कोई शैडयुल ट्राईब यानि ST वर्ग का व्यक्ति दूसरी शादी करता है तो उस पर हिन्दू मैरिज एक्ट लागू नहीं होता। उनकी मान्यताओं अनुसार यदि दो शादी करने का रिवाज (Tradition) है तो वे Second Marriage कर सकते है। जो किसी प्रकार का Crime नहीं माना जाएगा।


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आईपीसी की धारा 494 में शून्य विवाह का क्या अर्थ है?

धारा 494 के अनुसार "शून्य विवाह" ऐसी Marriage को कहा जाता है जिसमें विवाह को शून्य (शुरुआत से) या अमान्य (Invalid) माना जाता है। एक शून्य विवाह (Void marriage) का यही अर्थ होता है जो विवाह शुरु से मान्य नहीं होता इसलिए यदि व्यक्ति दूसरी शादी करता है, और उसकी पहली शादी शून्य है, तो यह धारा 494 में परिभाषित दूसरे विवाह के Crime के अंतर्गत नहीं आएगी।


एक विवाह को शून्य (Void) कब माना जा सकता है?

यहां उन स्थितियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो विवाह को शून्य (Void) बना सकती हैं:

  • द्विविवाह: यदि दूसरी Marriage के समय एक या दोनों पक्ष पहले से ही कानूनी रूप से किसी और से शादी कर चुके हैं, तो बाद की दूसरी शादी को Void Marriage माना जाएगा।
  • सगोत्रता: कई न्यायालयों में अपने करीबी रिश्तेदारों, जैसे कि भाई-बहन या माता-पिता और बच्चों के बीच विवाह, अनाचार संबंधों पर प्रतिबंध (Restrictions) के कारण Void माना जाता है।
  • कम उम्र में शादी: अगर एक या दोनों पक्ष नाबालिग (Minor) हैं और शादी के लिए कानूनी उम्र (Legal Age) के बिना ही Marriage करते है तो उनकी Marriage को Void माना जा सकता है।
  • मानसिक क्षमता का अभाव: यदि एक या दोनों पक्षों में से कोई भी मानसिक (Mentally) रुप से किसी भी बीमारी से परेशान है तो ऐसे मामलों में भी शून्य माना जा सकता है।
  • बल या दबाव: यदि कोई विवाह एक पक्ष पर दबाव बनाकर या ज़बरदस्ती बल का प्रयोग करके किया जाता है तो भी इसको अमान्य माना जा सकता है।
  • धोखाधड़ी करके:- यदि एक पक्ष जानबूझकर दूसरे को शादी को धोखा देकर शादी करता है जैसे पिछली शादी को छिपाना, यौन संबंधित कोई रोग छिपाना, जैसी बातों में।

धारा 494 में अपराध का उदाहरण

एक बार रवि नाम का एक व्यक्ति होता है, जिसका एक छोटा सा परिवार होता है। जिसमें उसके माता-पिता व उसकी पत्नी सभी साथ रहते है। एक बार रवि की पत्नी को पता चलता है कि रवि किसी अन्य महिला से रोजाना मिलने जाता है। रवि की पत्नी इस बात का पता लगाने के लिए रवि का पीछा करती है।

उस दिन भी रवि उसी महिला के घर उससे मिलने जाता है। इतने में ही रवि की पत्नी भी वहाँ पहुँच जाती है और रवि से उस महिला के बारे में पूछती है, तब रवि बताता है कि यह उसकी दूसरी पत्नी है। यह सुनकर रवि की पहली पत्नी को बहुत गुस्सा आता है जिस कारण वो पहले से शादीशुदा होते हुए किसी दूसरी महिला से विवाह करने के कारण रवि की धारा 494 के तहत शिकायत कर देती है।


दूसरी शादी की शिकायत कैसे दर्ज करवाए

यदि आप भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत शिकायत दर्ज करना चाहते हैं, तो हमने आपके लिए Complaint Register in IPC Section 494 की प्रक्रिया को बहुत ही सरल भाषा में समझाएंगे इसलिए इस पूरी जानकारी को जानने के लिए ध्यान से पढ़े।

यदि किसी को अपने पति या पत्नी के खिलाफ Second Marriage की शिकायत दर्ज (Complaint Register) करानी है तो वो अपने क्षेत्र के Family Court में दूसरे विवाह को Void (शून्य) घोषित करवाने के लिए याचिका दायर (Petition Filled) कर सकते है। जिसके बाद मजिस्ट्रेट की कोर्ट में भी आईपीसी की धारा 494 के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर सकते है।

इसके साथ ही इन तरीकों से भी आप शिकायत दर्ज करवा सकते है:-

  • सबूत इकट्ठा करें: ऐसे सबूत (Evidence) इकट्ठा करें जो यह साबित कर सके कि आपके पति या पत्नी ने दूसरी शादी (Second marriage) कर ली है, बिना आपको तलाक दिए। ऐसे में आप सबूत के तौर पर विवाह प्रमाण पत्र, शादी का कोई फोटो या कोई गवाह (Witness) आपके बहुत काम आ सकते है।
  • पुलिस से संपर्क करें: दूसरी शादी करने के सबूत मिलने के बाद आप अपने पास के पुलिस स्टेशन जाकर सारी बात Police को बताएं और उन्हें सभी सबूत भी दे। इसके बाद आप पुलिस को धारा 494 के तहत किए गए दूसरे विवाह के Crime के लिए शिकायत दर्ज करने को कहें।
  • FIR दर्ज कराएं:- इसके बाद पुलिस आपकी शिकायत के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करेगी। इसके बाद आप यह जरुर देखे कि पुलिस ने आपके द्वारा बताई गई सभी बातों व जानकारियों के अनुसार शिकायत दर्ज की है या नहीं। जैसे आरोपी का नाम, आरोपी का पता, व अन्य उपयोगी जानकारी।
  • जांच: पुलिस आपकी Complaint के आधार पर जांच (Investigation) शुरू करेगी व आपकी शिकायत के अनुसार ही जांच करके अन्य महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठे करेगी।
  • कानूनी कार्यवाही: यदि पुलिस को अपनी जाँच के दौरान आरोपी (Accused) के खिलाफ सबूत ( Evidence) मिलते है तो इसके बाद पुलिस अदालत में चार्जशीट दाखिल करेगी। इस प्रक्रिया के बाद आपको एक वकील की भी जरुरत पड़ सकती है इसलिए अपने लिए वकील से कानूनी सलाह (Legal Advice) जरुर ले।
  • ट्रायल: इसके बाद आरोपी व्यक्ति को कोर्ट में बुलाया जाता है, और उस पर लगे आरोपों (Blames) के खिलाफ खुद का बचाव (Defence) करना का अवसर दिया जाता है।
  • फैसला: सभी सबूतों पर विचार करने और दोनों पक्षों की दलीलें (Arguments) सुनने के बाद कोर्ट अपना फैसला (Decision) सुनाएगी। अगर आरोपी व्यक्ति इस धारा के तहत दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसको दंड दिया जाता है।

धारा 494 में सजा कितनी मिलती है – IPC 499 Punishment

आइपीसी की धारा 494 में दंड के प्रावधान (Provision) अनुसार एक पति या पत्नी के रहते हुए यदि कोई दूसरा विवाह करने का दोषी पाया जाता है तो ऐसा crime करने वाले स्त्री या पुरुष को 7 वर्ष तक की कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।


IPC 494 में जमानत कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 494 का यह अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) की श्रेणी में आता है। जिसके साथ-साथ यह एक जमानती अपराध (Bailable offence) कहलाता है। इस धारा के मामलों में पुलिस आरोपी के खिलाफ सीधे FIR दर्ज नहीं कर सकती और सामान्य परिस्थितियों में गिरफ्तारी (Arrest) भी नहीं की जा सकती। जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत आसानी से मिल जाती है। जिसका फैसला प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।


धारा 494 से जुड़े कुछ महतवपूर्ण बिंदु व बचाव

  • यदि कोई व्यक्ति दूसरा विवाह करता है तो उसकी दूसरी शादी तो गैर-कानूनी मानी जाएगी, परन्तु अगर दूसरी पत्नी से उसकी कोई संतान होती है। उस स्थिति मे वो उस संतान को लीगल संतान माना जाएगा।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारण से दूसरा विवाह करना चाहता है तो सबसे पहले अपनी पहली पत्नी से तालाक लेकर ही ऐसा करें।
  • किसी भी महिला को बहला-फुसला कर धोखे से विवाह ना करें।
  • यदि आप दूसरी शादी कर लेते है तो ऐसे मे केवल आपकी पत्नी ही आपके खिलाफ शिकायत कर सकती है। यदि कोई अन्य व्यक्ति आपके खिलाफ शिकायत करता है तो उसकी शिकायत दर्ज नही की जाएगी।
  • कभी कभी देखने को मिलता है कि किसी मजबूरी के कारण कोई व्यक्ति दूसरा विवाह कर लेता है। जिसके कारण उसे अपनी पहली पत्नी को खो देने का ड़र बना जाता है। ऐसेे मामलों मे अपनी पत्नी को सारी बात समझाने की कोशिश करें।

Offence : पति या पत्नी के जीवन-समय के दौरान फिर से शादी करना


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 494 को बीएनएस धारा 82 में बदल दिया गया है।



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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 494 क्या है?

IPC 494 एक ऐसे अपराध के बारे में बताती है जिसमें पहले से ही विवाहित होते हुए पति या पत्नी में से कोई भी दूसरी शादी करता है तो उस पर यह सेक्शन लागू होती है। जैसे:- पहले पति या पत्नी के जीवित होते हुए, पहले पति या पत्नी को बिना तलाक दिए आदि।



धारा 494 में bigamy शब्द का क्या अर्थ है?

धारा 494 में Bigamy शब्द का हिन्दी में अर्थ होता है द्विविवाह यानी दूसरा विवाह करना। 



आईपीसी धारा 494 का उद्देश्य क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 494 का उद्देश्य द्विविवाह या बहुविवाह को रोकना है, जिसमें एक पुरुष या महिला अपने पत्नी या पति के जीवित रहते हुए व बिना तलाक दिए फिर से शादी करते है। इस धारा को उद्देश्य पति व पत्नी के रिश्तों व उनके अधिकारों की रक्षा करना है।



क्या IPC Section 494 पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होती है?

हां, IPC की धारा 494 के तहत कुछ अपवाद और बचाव उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, यदि पहला पति या पत्नी सात साल तक कही अनुपस्थित रहता है यानी सात साल तक एक पक्ष को दूसरे के होने का कुछ पता ना हो तो, दोबारा विवाह करने का अपराध नहीं माना जा सकता है।



आईपीसी की धारा 494 के तहत अपराध के लिए क्या सजा है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत अपराध करने पर एक अवधि के लिए कारावास की सजा है जो सात साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ ही इस प्रकार के Crime करने वाले दोषी व्यक्ति को जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।