धारा 387 आईपीसी - IPC 387 in Hindi - सजा और जमानत - ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 387 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के अनुसार जो कोई ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं उसकी या किसी अन्य व्यक्ति की मॄत्यु या गंभीर आघात के भय में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।लागू अपराध
ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मॄत्यु या घोर आघात के भय में डालना।
सजा - सात वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मौत या गंभीर चोट के डर से रखने या लगाने का प्रयास करना | 7 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मौत या गंभीर चोट के डर से रखने या लगाने का प्रयास करना
Punishment : 7 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 387 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 387 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 387 अपराध : जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को मौत या गंभीर चोट के डर से रखने या लगाने का प्रयास करना
आई. पी. सी. की धारा 387 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 387 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 387 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 387 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 387 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 387 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 387 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 387 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 387 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 387 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।