IPC 327 in Hindi - धारा 327 क्या है कब लगती है? सजा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

आईपीसी की धारा 327 भारत के सभी व्यक्तियों के अधिकारों (Rights) की रक्षा करने व सभी के कल्याण में बहुत ही अहम भूमिका निभाती है और ऐसे लोगों को दंडित (Punished) करती है जो दूसरों को कोई गैर-कानूनी कार्य करने के लिए मजबूर करते है या उनकी कोई संपत्ति (Property) प्राप्त करने के लिए उनको शारीरिक नुकसान (Physical Damage) पहुंचाते है। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको इस धारा से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे कि आईपीसी की धारा 327 क्या होती है कब लगती है, IPC Section 327 में कितनी सजा और जमानत कैसे मिलती है?

धारा 327, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) का एक महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है इसलिए इससे जुड़ी सभी जानकारियों की बारीकी से समझ होना आप सभी के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति आपकी किसी भी संपत्ति को आपसे जबरदस्ती छिनने (Forcefully Snatching) कि कोशिश करेगा या जबरदस्ती आप से कोई गलत कार्य करवाने की कोशिश करेगा। इस स्थिति में आपको किस प्रकार ऐसे अपराध का दोषी (Guilty) बनने व ऐसे अपराध का शिकार (Victim) होने से बचना है इसके बारे में जानने के लिए हमारे आज के इस आर्टिकल को ध्यान से पूरा पढ़े।

धारा 327 क्या है – IPC Section 327 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 327 के प्रावधान अनुसार जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को हड़पने के लिए स्वेच्छा (यानी खुद की इच्छा से) से चोट पहुँचाता है (Voluntarily Causing Hurt to Extort Property or To Constrain to an illegal act) या उस व्यक्ति को किसी गैर-कानूनी (illegal) कार्य करने के लिए मजबूर करता है। इस प्रकार का अपराध करने वाले व्यक्ति पर धारा 327 के तहत केस दर्ज कर दंड देने के लिए आगे की कार्यवाही की जाती है।


IPC Section 327 कब लगती है - मुख्य बिंदु

आईपीसी धारा 327 के प्रमुख तत्व (Key Elements of IPC section 327) इस प्रकार हैं:

  • आरोपी (Accused) ने खुद की इच्छा से किसी अन्य व्यक्ति को चोट (Injury) पहुँचाने के इरादे (Intention) से इस कार्य को किया होगा।
  • किए गए कार्य के कारण पीड़ित व्यक्ति (Victim Person) को शारीरिक चोट, लगी होगी। जिसमें साधारण या गंभीर दोनों तरह की चोट शामिल हो सकती है।
  • आरोपी का पीड़ित व्यक्ति को चोट पहुँचाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य उससे जबरन वसूली (Extortion) करने या उसकी किसी संपति को प्राप्त करने का होगा।
  • आरोपी व्यक्ति द्वारा पीड़ित व्यक्ति को जबरदस्ती डरा-धमका कर किसी गैर-कानूनी कार्य को करने के लिए मजबूर किया गया हो।

ये सभी ऐसी मुख्य बातें है जो IPC Section 327 के अपराध को साबित करने के लिए जरुरी होती है यानी अगर किसी व्यक्ति को इस धारा के तहत आरोपित किया जाता है, तो उस व्यक्ति के द्वारा किए गए अपराध के दौरान इन मुख्य बातों का होना बहुत ही जरुरी है।

जाने - चार्जशीट क्या होती है? Police ChargeSheet in Hindi


IPC 327 के तहत अपराध का उदाहरण

एक बार अंकित ने राहुल से बहुत सारे पैसे उधार लिए हुए थे। जिसमें से वह कुछ पैसे हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके राहुल को दे रहा था, लेकिन एक दिन राहुल अंकित को पूरे पैसे एक साथ देने के लिए बोलता है। अंकित के पास इतने पैसे ना होने के कारण वह राहुल को एक साथ पैसे देने से मना कर देता है। जिसके बाद राहुल को गुस्सा आता है और राहुल अंकित के घर जाता है और अचानक अंकित पर हमला (Attack) करना शुरु कर देता है, जिससे अंकित को चोट आ जाती है।

इसके साथ ही राहुल धमकी (Threat) देते हुए अंकित से उसके घर व अन्य संपत्ति के कागजों पर हस्ताक्षर (Signature) करवाने की जबरदस्ती कोशिश करता है। जिसके बाद अंकित राहुल की Complaint पुलिस में कर देता है, पुलिस तुरन्त आकर राहुल को गिरफ्तार (Arrest) कर लेती है व राहुल पर अंकित को शारीरिक चोट पहुँचाने व उससे उसकी संपत्ति छिनने के अपराध की धारा 327 के तहत कार्यवाही करती है।

जाने - हत्या के प्रयास की धारा 307 कब लगती है?

धारा 327 में सजा कितनी होती है – IPC 327 Punishment in Hindi

आईपीसी की धारा 327 के अपराध अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति हासिल करने के इरादे से चोट पहुँचाने या कोई गैर-कानूनी कार्य करने के लिए मजबूर करने का Crime करता है। ऐसा अपराध करने वाला वाला व्यक्ति यदि न्यायालय (Court) द्वारा दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 327 की सजा के तौर पर 10 वर्ष तक की कारावास (Imprisonment) व जुर्माने (Fine) से दंडित किया जा सकता है।


IPC 327 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

धारा 327 में जमानत (Bail) की बात करें तो इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को अधिकार (Rights) के तौर पर Bail नहीं मिल सकती, क्योंकि IPC Section 327 एक गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) होता है। इस मामले में आरोपी जमानत के लिए Court में जा सकता है जिसके बाद Accused को जमानत देनी है या नहीं इसका फैसला न्यायालय के द्वारा ही किया जा सकता है। इसके साथ ही इस अपराध में दोनों पक्षों के द्वारा समझौता (Compromise) भी नहीं किया जा सकता


आईपीसी धारा 406 से बचाव के लिए जरुरी बातें

  • किसी भी अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए कोई भी चोट ना पहुँचाए।
  • किसी दूसरे व्यक्ति को कोई भी गैरकानूनी काम करने के लिए मजबूर ना करें और ना ही डराने-धमकाने (Bully) की कोशिश करें।
  • किसी भी व्यक्ति की कोई भी प्रॉपर्टी बिना उसकी अनुमति (Permission) के अपने साथ लेकर जाने से अपना बचाव करें।
  • अपनी किसी भी मांग को मनवाने या किसी को फंसाने के लिए झूठे आरोप (False blames) लगाने व किसी भी प्रकार की अफवाहों (Rumors) से अपना बचाव (Defence) करें।
  • यदि आपको कोई व्यक्ति इस प्रकार के मामलों में झूठे केस (False Case) में फंसाने की कोशिश करता है तो तुरन्त किसी वकील (Lawyer) से कानूनी सलाह (Legal Advice) प्राप्त करें।
  • किसी भी व्यक्ति से पैसे के लेन देन के समय अकेले ना जाए बल्कि किसी को अपने साथ रखें।

इस प्रकार के Crimes में फंसने से पहले ही बचाव कर लेना एक समझदार इंसान की पहचान होती है। इसलिए कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिसकी वजह से आपकी किसी अपराध की सज़ा भुगतनी पड़े।

जाने - याचिका क्या होती है दायर प्रक्रिया, फीस, खारिज


धारा 327 के अपराध की शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

  • यदि कोई व्यक्ति आपकी संपत्ति को प्राप्त करने या आपको गैर कानूनी कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए डराता या मारपीट करता है तो सबसे पहले इसकी शिकायत (Complaint) पुलिस में दर्ज करवाए
  • आप इस Complaint को पुलिस के हैल्पलाइन न0 100 द्वारा या अपने नजदीकी Police Station जाकर भी कर सकते है।
  • इसके बाद पुलिस को आपके साथ हुई घटना की पूरी जानकारी दे, जिसमें घटना की तारीख, समय, स्थान, आरोपी का नाम जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल है।
  • इसके बाद पुलिस को आपकी दी गई शिकायत के आधार पर FIR दर्ज करने के लिए कहें। FIR दर्ज होने के बाद उसकी एक फोटोकॉपी अपने साथ जरुर ले लें।
  • इसके साथ ही यदि आपके पास इस अपराध से जुड़ा कोई भी सबूत है जैसे फोटो, वीड़ियो या कोई अन्य सबूत तो उसे भी जल्द से जल्द पुलिस को दे।
  • ये सब प्रक्रिया होने के बाद पुलिस आपके मामले की जांच (Investigation) करेगी और आरोपी को पकड़ेगी। यदि आपकी इस कार्यवाही में कोई देरी होती है तो आप किसी वकील की सहायता ले सकते है जो आपको कानूनी सलाह देकर मार्गदर्शन करेगा।

IPC Section 327 के मामलों जैसी कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराएं

IPC Section 384: यह Section जबरन वसूली (Extortion) के अपराध से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ जबरन वसूली करेगा उसे तीन साल तक के कारावास से व जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

IPC Section 385: इसमें बताया गया है कि जो कोई भी जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को किसी चोट (Injury) के डर में डालेगा, उसे 2 तक के कारावास या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

IPC Section 386: इसमें कहा गया है कि जो कोई भी किसी व्यक्ति को मौत (Death) के डर या उस व्यक्ति या किसी अन्य को गंभीर चोट पहुंचाने का भय (Fear) दिखाकर जबरन वसूली करेगा, उसे 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है


Offence : स्वेच्छा से संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा ऐंठने के लिए चोट पहुंचाना, या कुछ भी करने के लिए विवश करना जो अवैध है या जो किसी अपराध के आयोग को सुविधाजनक बना सकता है


Punishment : 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





आईपीसी धारा 327 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी धारा 327 क्या है?

धारा 327 एक ऐसे अपराध के बारे में बताती है जो किसी व्यक्ति से "संपत्ति से जबरन वसूली करने या किसी अवैध कार्य को करने के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने" के अपराध से संबंधित है।



आईपीसी सेक्शन 327 के तहत "स्वेच्छा से चोट पहुंचाना" क्या है?

"स्वेच्छा से चोट पहुंचाना" का अर्थ होता है संपत्ति हड़पने या उन्हें अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के इरादे से जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक नुकसान या चोट पहुंचाना।



क्या धारा 327 एक जमानती या गैर-जमानती अपराध है?

सेक्शन 327 एक गैर-जमानती अपराध है। इसका मतलब यह है कि इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को अधिकार के तौर पर जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है और उसे जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा।



क्या IPC Section 327 का समझौता या निपटारा अदालत के बाहर किया जा सकता है?

नहीं, IPC 327 एक गैर-शमन योग्य अपराध है। इसका मतलब यह है कि अपराध को शामिल पक्षों के बीच सुलझाया या समझौता नहीं किया जा सकता है, इसकी केवल अदालत में कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए



आईपीसी की धारा 327 में "संपत्ति की जबरन वसूली" से क्या तात्पर्य है?

"संपत्ति की जबरन वसूली" का तात्पर्य बल द्वारा, धमकी या दबाव का उपयोग करके किसी और की संपत्ति प्राप्त करने या प्राप्त करने का प्रयास करना है। इसमें पीड़ित को उसकी इच्छा के विरुद्ध अपनी संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर करना शामिल है।



IPC Section 327 के तहत अपराध के लिए सजा क्या है?

धारा 327 के तहत अपराध की सजा के तौर पर अपराधी व्यक्ति को 10 वर्ष तक की कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।