राजद्रोह की धारा 124a क्या है - दंड और जमानत | IPC 124a in Hindi
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
- धारा 124a क्या है कब लगती है ? IPC 124a in Hindi
- धारा 124a में सजा कितनी मिलती है ? IPC 124a Punishment
- राजद्रोह की धारा 124a का इतिहास
- सुप्रीम कोर्ट का धारा 124a पर तर्क
- IPC Section 124a के पक्ष में कुछ तर्क
- धारा 124a के विपक्ष में तर्क
- झूठा राजद्रोह का केस - धारा 124 का दुरुपयोग
- IPC Section 124a अपराध का उदाहरण
- IPC 124a में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है
- आईपीसी धारा 124a से संबंधित कुछ धाराएं:-
- राजद्रोह की धारा 124 से बचाव के लिए सावधानियाँ
समय-समय पर लोगों द्वारा सरकार के किए जाने वाले कार्यों की आलोचना करते हुए देखा जाता है। यदि सरकार कोई ऐसा कानून (Law) लेकर आती है जो लोगों को अपने लिए सही नहीं लगता तो उस कानून का विरोध किया जाता है, जोकि बिल्कुल सही है। इसी के साथ-साथ लोगों के विरोध करने का भी एक दायरा तय किया जाता है, कुछ लोगों द्वारा इस दायरे को पार करके देश में हिंसा (Violence) फैलाने का काम किया जाता है। ऐसा कार्य करना किस प्रकार एक बहुत ही गंभीर अपराध (Serious crime) का रुप ले लेता है। आज के लेख द्वारा हम ऐसे ही अपराध से जुड़ी आईपीसी की एक ऐसी ही धारा 124a के बारे में विस्तार से जानेंगे कि धारा 124a क्या है, कब लगती है? IPC Section 124a के मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है?
कोई भी ऐसा कार्य करना जिससे हमारे देश के सम्मान को ठेस पहुँचे या जिसके होने से देश के लोगों को नुकसान पहुँचे, ऐसा कार्य राजद्रोह (Sedition) की श्रेणी में आता है। आज हम राजद्रोह की इस IPC Section से जुड़ी पूरी जानकारी आपको देंगे, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा व अंत तक पढ़े।
धारा 124a क्या है कब लगती है – IPC 124a in Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 124a में राजद्रोह के लिए दंड (Punishment for sedition in Section 124a) के बारे में बताया गया है। जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति बोलकर या लिखकर अपने शब्दों द्वारा, संकेतों द्वारा या किसी दृश्यों द्वारा (चित्र बनाकर) सरकार के बारे में घृणा पैदा करेगा। या सरकार के फैसलों की अवमानना (Contempt) करेगा तो उस व्यक्ति पर IPC की धारा 124a के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज (Sedition case filled under section 124a) कर कार्यवाही की जाती है।
आसान भाषा में कहा जाए तो इसका अर्थ है कि जो भी व्यक्ति सरकार का किसी भी प्रकार से विरोध करता है। विरोध (Protest) करने के दौरान लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काता है या उनके मन में सरकार के खिलाफ घृणा व अवमानना (hatred or contempt) फैलाने का कार्य करता है। ऐसा करना राजद्रोह (Sedition) कहलाता है जिसके लिए सजा की कार्यवाही करने के लिए धारा 124a के तहत मामला दर्ज (Case filled under section 124a) किया जाता है।
राजद्रोह की धारा 124a का इतिहास
इस IPC Section को अंग्रेजों द्वारा 1870 में कानून में जोड़ा गया था। उस समय भारत में ब्रिटिश शासन (British rule) के खिलाफ बोलने वाले लोगों को रोकने के लिए इस धारा का इस्तेमाल किया जाता था। ब्रिटिश काल के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों (Freedom fighters) की आवाज को दबाने के लिए व उनको दंडित करने के लिए इस कानून का बहुत इस्तेमाल हुआ। बाल गंगाधर तिलक को 1897 में व महात्मा गांधी को 1922 में इसी धारा के तहत राजद्रोह (Case of sedition) का मुकदमा चलाकर जेल भेजा गया था।
आज के समय में सरकार के कार्यों का विरोध भी किया जाता है और सरकार अगर कुछ गलत करती है तो उसको रोकने का भी प्रयास किया जाता है। किसी भी लोकतांत्रिक देश (Democratic country) में लोगों को अपने खिलाफ हो रही किसी भी गलत बात का विरोध करने की आवश्यकता होती है। यदि सरकार विरोध करने को राजद्रोह मान लेगी तो लोकतंत्रता (Democracy) का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसलिए आज के समय में इस IPC Section के दुरुपयोग को रोकने के लिए लोगों द्वारा इस कानून को निरस्त (Canceled) करने की मांग की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट का धारा 124a पर तर्क
जैसा कि इस सेक्शन के शब्दों में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति सरकार का विरोध करेगा तो वह राजद्रोह का दोषी माना जाएगा। इसलिए ब्रिटिश काल से चली आ रही इस धारा ने लोगों के बोलने की आजादी को रोकने का काम किया है। यदि आज के समय में सरकार अपने खिलाफ विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ इस धारा का इस्तेमाल करने लग जाएगी तो एक प्रकार से वह तानाशाही कहलाएगी।
इसलिए इस धारा के दुरुपयोग (misuse) को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme court of India) द्वारा समय-समय पर अपनी बात रखी जाती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति शांति पूर्वक सरकार की किसी बात का विरोध करता है तो उस पर इस धारा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति सरकार का विरोध करने के लिए खुद हिंसा करेगा या अन्य लोगों को हिंसा करने के लिए प्रेरित करेगा तो उसके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
IPC Section 124a के पक्ष में कुछ तर्क
बहुत बार कहा जाता है कि जिस धारा का इस्तेमाल अंग्रेजों द्वारा लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया गया था, आज भी उस Section को भारतीय कानून (Indian Law) से निरस्त क्यों नहीं किया जाता। जिसके पक्ष में कुछ तर्क (logic) दिए जाते है आइये उनको जानते है।
- हमारा भारत देश विविधता वाला देश है जहाँ पर बहुत से जाति व धर्म के लोग रहते है, जिसके कारण हिंसा होने की भी संभावना हो सकती है।
- इसलिए यदि इस धारा को खत्म कर दिया गया तो अलगाववादी (Separatist) लोग अलग-अलग राज्यों की मांग करेंगे। जिससे देश में हर तरफ हिंसा बढ़ सकती है।
- इस धारा को खत्म किए जाने के बाद आतंकवादी गतिविधि के बढ़ने की संभावना हो सकती है।
- जो लोग सरकार का गलत तरीके से विरोध करने के लिए हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते है उन पर लगाम लगाने के लिए इस धारा का होना बहुत जरुरी है।
धारा 124a के विपक्ष में तर्क
इस तरह के कानून को खत्म करने के लिए भी लोगों द्वारा अपने कुछ तर्क दिए गए है आइये उनके बारे में जानते है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (Article 19 of the Indian constitution) में कहा गया है कि लोगों को अपने अधिकारों (Rights) के लिए खुलकर बोलने की आजादी है परन्तु धारा 124a में सरकार के खिलाफ बोलने व लिखने वालो के खिलाफ सजा के बारे में कहा गया है। इसलिए इस तर्क के अनुसार इस कानून को खत्म करने की भी मांग की जाती है।
विपक्ष और मिड़िया (Opposition or media) पर सरकार का विरोध करने के लिए इस आईपीसी सेक्शन का इस्तेमाल करने पर इस कानून को रोक लगाना यह तर्क भी राजद्रोह के कानून के विरोधाभास को दर्शाता है।
एक तर्क के अनुसार कहा जाता है कि सरकार किसी भी व्यक्ति पर इस सैक्शन का दुरुपयोग कर सकती है। इसलिए इसके दुरुपयोग को रोकना बहुत जरुरी है।
झूठा राजद्रोह का केस - धारा 124 का दुरुपयोग
धारा 124 के तहत दर्ज होने वाले मुकदमों के आँकड़ो के अनुसार कुछ ही लोग दोषी पाये जाते है, परन्तु जिन लोगों पर इस IPC Section 124a के तहत मुकदमा दर्ज (Case Filled) हुआ और बाद में वो न्यायालय द्वारा निर्दोष (Innocent) पाये गए। उनका जीवन तो समाज के सामने खत्म ही हो जाता है।
राजद्रोह जैसा गंभीर अपराध लगने से बहुत से लोगों की जिदंगी खराब हो जाती है। इसलिए इस प्रावधान के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। लोकतांत्रिक देश होने के कारण सभी को अपने अधिकारों के लिए बोलने की पूरी आजादी होनी चाहिए। इस धारा का इस्तेमाल केवल ऐसे लोगों पर होना चाहिए जो विरोध के नाम पर हिंसा फैलाते है या देश के लिए किसी अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करते है।
IPC Section 124a अपराध का उदाहरण
एक बार कपिल नाम का एक व्यक्ति सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून से परेशान होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए लोगों के एक बड़े समूह को इकट्ठा कर लेता है। कुछ दिन तक कपिल व अन्य सभी लोग शांतिपूर्वक अपना प्रदर्शन करते है परन्तु एक दिन कपिल लोगों को हिंसा करने के लिए भड़काता है। जिससे हिंसा होने का भय बन जाता है, इसलिए पुलिस कपिल के खिलाफ धारा 124a के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है।
धारा 124a में सजा कितनी मिलती है – IPC 124a Punishment
आइपीसी की धारा 124a में राजद्रोह के लिए दंड के प्रावधान अनुसार( As per the provision of punishment for sedition in section 124a of IPC ) बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति राजद्रोह का दोषी पाया जाता है तो उसे 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास व जुर्माने (life imprisonment & fine in section 124a) की सजा से दंडित किया जा सकता है।
IPC 124a में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है
भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 124a का यह अपराध एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध (Cognizable Crime) कहा जाता है। राजद्रोह के अपराध में जमानत (Bail in sedition ) का प्रावधान नहीं होता है। इसलिए धारा 124a को एक गैर-जमानती अपराध (Non bailable offence) भी कहा जाता है। जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसा अपराध किसी भी प्रकार के समझौते (Non compoundable) के लायक नहीं होता।
आईपीसी धारा 124a से संबंधित कुछ धाराएं:-
- IPC Section 124b - राष्ट्रीय एकता (National unity) के लिए हानिकारक आरोप या दावे:- इस Section में ऐसे आरोप या दावे करने से संबंधित अपराध शामिल हैं जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक हैं।
- IPC Section 153 - धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव (Harmony) बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना: यह सैक्शन उन कार्यों से संबंधित है जो विभिन्न समूहों के लोगों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देते हैं।
- IPC Section 153b - राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आरोप:- सैक्शन 153ए के समान, यह धारा राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आरोपों या दावों से संबंधित अपराधों से संबंधित है।
- IPC Section 505 - सार्वजनिक शरारत को बढ़ावा देने वाले बयान:- इस धारा में ऐसे बयान (Statement) देने से संबंधित अपराध शामिल हैं जो सार्वजनिक शरारत को उकसा सकते हैं या जनता में भय या चिंता पैदा कर सकते हैं।
इन सभी आईपीसी सेक्शन को देश में फैलने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा व सामाजिक अशांति को रोकने के लिए बनाया गया है। यदि कोई भी व्यक्ति देश में अशांति फैलाने की कोशिश करता है तो उस पर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है।
राजद्रोह की धारा 124 से बचाव के लिए सावधानियाँ
- सरकार के खिलाफ कोई भी अपमानित या गलत शब्द का प्रयोग ना करें।
- यदि सरकार का कोई फैसला पसंद ना आए तो उसका शांति पूर्वक विरोध करें।
- अपने प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा ना करें।
- देश के प्रति हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करें, कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे देश का अपमान हो।
- लोगों को सरकार के खिलाफ उकसाने के लिए किसी भी प्रकार का कोई गलत बयान व जानकारी ना दे।