धारा 491 आईपीसी - IPC 491 in Hindi - सजा और जमानत - असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 491 का विवरण
  2. धारा 491 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 491 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 491 के अनुसार जो कोई ऐसे व्यक्ति की, जो किशोरावस्था या चित्तविकॄति या रोग या शारीरिक दुर्बलता के कारण असहाय है, या अपने निजी क्षेम की व्यवस्था या अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए असमर्थ है, परिचर्या करने के लिए या उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए विधिपूर्ण संविदा द्वारा आबद्ध होते हुए, स्वेच्छया ऐसा करने का लोप करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

Offence : पर भाग लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है या एक व्यक्ति जो युवा ओं से असहाय है की चाहत की आपूर्ति, मन या रोग की अस्वस्थता, और स्वेच्छा से ऐसा करने के लिए लोप


Punishment : 3 महीने या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 491 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 491 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 491 अपराध : पर भाग लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है या एक व्यक्ति जो युवा ओं से असहाय है की चाहत की आपूर्ति, मन या रोग की अस्वस्थता, और स्वेच्छा से ऐसा करने के लिए लोप



आई. पी. सी. की धारा 491 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 491 के मामले में 3 महीने या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 491 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 491 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 491 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 491 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 491 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 491 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 491 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।