धारा 348 आईपीसी - IPC 348 in Hindi - सजा और जमानत - संस्वीकॄति उद्दापित करने के लिए या विवश करके सम्पत्ति का प्रत्यावर्तन करने के लिए सदोष परिरोध

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 348 का विवरण
  2. धारा 348 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 348 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 348 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा कि उस परिरुद्ध व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई संस्वीकॄति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध या अवचार का पता चल सके, उद्दापित की जाए, या वह परिरुद्ध व्यक्ति या उससे हितबद्ध कोई व्यक्ति मजबूर किया जाए कि वह किसी सम्पत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी सम्पत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

Offence : स्वीकारोक्ति या जानकारी ऐंठने, या संपत्ति की बाध्यकारी बहाली आदि के उद्देश्य से गलत तरीके से कारावास


Punishment : 3 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 348 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 348 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 348 अपराध : स्वीकारोक्ति या जानकारी ऐंठने, या संपत्ति की बाध्यकारी बहाली आदि के उद्देश्य से गलत तरीके से कारावास



आई. पी. सी. की धारा 348 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 348 के मामले में 3 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 348 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 348 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 348 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 348 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 348 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 348 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 348 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।