धारा 185 आईपीसी - IPC 185 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति का अवैध क्रय या उसके लिए अवैध बोली लगाना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 185 का विवरण
  2. धारा 185 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 185 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 185 के अनुसार जो भी कोई संपत्ति के किसी ऐसे विक्रय में, जो लोक सेवक के नाते लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा हो रहा हो, किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में चाहे वह व्यक्ति वह स्वयं हो, या कोई अन्य हो, किसी संपत्ति का क्रय करेगा या किसी संपत्ति के लिए बोली लगाएगा, जिसके बारे में वह जानता हो कि वह व्यक्ति उस विक्रय में उस संपत्ति का क्रय करने के लिए क़ानूनी असमर्थता के अधीन है या ऐसी संपत्ति के लिए यह आशय रखकर बोली लगाएगा कि ऐसी बोली लगाने से जिन दायित्वों के अधीन वह अपने आप को डालता है उन्हें उसे पूरा नहीं करना है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या दो सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
क्रय करने के लिए क़ानूनी असमर्थता के अधीन व्यक्ति द्वारा विक्रय के लिए विधिपूर्ण प्राधिकारित संपत्ति के लिए या इसके द्वारा मिलने वाले दायित्वों को पूरा नहीं करने के इरादे से बोली लगाना।
सजा - एक महीना कारावास, या दो सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों।
यह अपराध जमानती, गैर-संज्ञेय है तथा किसी भी न्यायधीश द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : किसी व्यक्ति द्वारा, कानूनी रूप से अधिकृत बिक्री पर संपत्ति के लिए, खरीदने के लिए कानूनी अक्षमता के तहत बोली लगाना, या उसके बाद किए गए दायित्वों को पूरा करने के बिना बोली लगाना


Punishment : 1 महीना या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 185 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 185 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 185 अपराध : किसी व्यक्ति द्वारा, कानूनी रूप से अधिकृत बिक्री पर संपत्ति के लिए, खरीदने के लिए कानूनी अक्षमता के तहत बोली लगाना, या उसके बाद किए गए दायित्वों को पूरा करने के बिना बोली लगाना



आई. पी. सी. की धारा 185 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 185 के मामले में 1 महीना या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 185 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 185 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 185 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 185 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 185 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 185 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 185 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।