IPC 120b in Hindi - आपराधिक साजिश की धारा 120b क्या है सजा, जमानत

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

मित्रों आज के लेख में हम बात करेंगे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली आईपीसी की धारा 120b के बारे में कि धारा 120b क्या है, ये धारा कब लगती है? IPC Section 120b के मामले में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है। आज के आर्टिकल के जरिए हम आपराधिक साजिश जैसे अपराध के लिए भारतीय कानून की इस धारा से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको देंगे। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े।

कुछ व्यक्ति किसी अपराध को करने वाले व्यक्ति की मदद करके यह सोचते है कि उन्होने तो कोई अपराध किया ही नहीं। सजा तो उसको ही मिलेगी जो उस अपराध को खुद अंजाम देता है। लेकिन क्या असल में ऐसा होता है? यही सब बातें जानने के लिए आज के लेख द्वारा हम आपको आईपीसी सेक्शन 120b से जुड़ी सभी जानकारी बहुत ही साधारण भाषा में देंगे।

आईपीसी धारा 120b क्या है – IPC Section 120b in Hindi

IPC की धारा 120 b के अधिनियम अनुसार यदि कोई व्यक्ति फांसी, उम्रकैद या दो वर्ष से ज्यादा की कारावास से दंडनीय किसी भी अपराध को करने की साजिश (Conspiracy) में शामिल पाया जाता है तो उस व्यक्ति को भी धारा 120 के तहत अपराध करने वाले मुख्य अपराधी के बराबर सजा मिलेगी। 2 वर्ष से कम दंड़नीय अपराध की सजा वाले आपराधिक साजिश के मामलों में 6 महीने की कारावास व जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। आइये इसे सरल भाषा में जानने की कोशिश करते है।

यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध को करता है जिसकी सजा 2 वर्ष से लेकर मृत्यु दंड या उम्रकैद हो। तो उस व्यक्ति को तो दोषी पाए जाने पर जो अपराध उसने किया होगा उसकी सजा मिलेगी ही लेकिन अगर उस अपराध को करने की साजिश में कोई दूसरा व्यक्ति भी मुख्य आरोपी के साथ किसी तरह के भी आपराधिक षड़यंत्र (यानि किसी अपराध को करने की साजिश करने में या किसी अन्य तरीके से उस अपराध को करने में मुख्य आरोपी की सहायता करने में) में शामिल पाया जाता है तो उसे भी IPC Section 120b के तहत मुख्य आरोपी के सामान दंड देने का प्रावधान होता है।

चलिए इसे और भी आसानी से समझने के लिए एक उदाहरण का उपयोग करते है, जिससे आपकी सारी बात अच्छे से समझ आ जाएगी।


आपराधिक साजिश या षड्यंत्र क्या होता है?

Section 120 b को समझने के लिए सबसे पहले इसके अर्थ को समझना बहुत जरुरी है। आपराधिक षड्यंत्र दो या दो से अधिक लोगों के बीच अपराध करने के लिए एक समझौते को संदर्भित करता है। यह समझौता मौखिक रूप से लिखित रूप में या संचार के अन्य माध्यमों से किया जा सकता है। यहां तक कि अगर वास्तविक अपराध (Actual crime) नहीं किया जाता है, तो अपराध करने की योजना बनाने या साजिश रचने का कार्य Court के अनुसार एक गंभीर अपराध माना जाता है और इसके सख्त कानूनी (Legal) परिणाम हो सकते हैं।


आईपीसी सेक्शन 120b के अपराध का उदाहरण

जब दो या दो से अधिक लोग एक गैरकानूनी (illegal) कार्य करने के लिए सहमत होते हैं, तो इसे अपराध माना जाता है। इस अवधारणा को समझने के लिए मैं दो व्यक्तियों रवि और प्रदीप की कहानी साझा करता हूं।

रवि और प्रदीप बचपन के दोस्त थे जो एक छोटे से शहर में साथ-साथ पले-बढ़े थे। रवि को हमेशा जल्दी पैसे कमाने में दिलचस्पी थी, जबकि प्रदीप एक सरल, मेहनती आदमी था। एक दिन, रवि एक स्थानीय गहने की दुकान को लूटने की योजना के साथ प्रदीप के पास पहुंचा। रवि ने प्रदीप को आश्वस्त किया कि यह बहुत सारा पैसा बनाने का एक त्वरित और आसान तरीका होगा, और उसे मुनाफे का हिस्सा देने का वादा किया।

हालाँकि प्रदीप शुरू में हिचकिचा रहा था, अंततः वो रवि के बार-बार बोलने पर योजना को पूरा करने में उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गया। उन दोनों ने विस्तार से डकैती की योजना बनाना शुरू किया, इस बात पर चर्चा की कि स्टोर में कैसे प्रवेश किया जाए, तिजोरी को तोड़ने के लिए किन उपकरणों का उपयोग किया जाए और बिना पकड़े कैसे भागा जाए।

हालांकि, रवि और प्रदीप से अनंजान थे की उनकी बातचीत और योजना को एक पुलिस मुखबिर (Informant) ने सुना जो क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों (Suspicious Activities) पर नजर रख रहा था। मुखबिर ने पुलिस को इसकी सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने रवि और प्रदीप को गहने की दुकान लूटने के आरोप में पकड़ लिया।

भारतीय कानून (Indian law) के तहत, रवि और प्रदीप पर आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) का आरोप लगाया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने एक अपराध करने की योजना बनाई थी और साजिश रची थी। तथ्य यह है कि उन्होंने अपनी योजना को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए, जैसे डकैती के विवरण पर चर्चा करना और आवश्यक उपकरण प्राप्त करना, उनके लिए यह तर्क देना मुश्किल हो जाएगा कि वे एक आपराधिक साजिश में शामिल नहीं थे। दोषी पाए जाने पर उन्हें कारावास (Imprisonment) और जुर्माने (Fine) सहित गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

निष्कर्ष:- इसलिए यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने में मुख्य आरोपी की किसी भी प्रकार से सहायता करता है या अपराध को करने की साजिश में शामिल पाया जाता है तो वह भी धारा 120b के प्रावधान अनुसार मुख्य आरोपी के समान सजा का हकदार होगा।

धारा 120b में सजा – IPC 120b Punishment in HINDI

भारतीय दंड संहिता की धारा 120b के तहत यदि कोई व्यक्ति कोई व्यक्ति फांसी, उम्रकैद या 2 वर्ष से ज्यादा की कारावास से दंड़नीय अपराध (Punishable crime) करने की साजिश (Conspiracy) में शामिल पाया जाता है। ऐसा करने के कारण उसे मुख्य आरोपी के बराबर सजा मिलती है।

यदि किसी अपराध के मुख्य दोषी को 5 वर्ष की कारावास की सजा मिली है तो उसके साथ जो भी दूसरा व्यक्ति किसी भी प्रकार से उस अपराध की साजिश में शामिल होगा। उसे भी 5 वर्ष की सजा से ही दंडित किया जाएगा। लेकिन यदि आरोपी इन गंभीर अपराधों के अलावा 2 वर्ष से कम किसी अपराध को करने की साजिश का दोषी पाया जाता है तो उसेधारा 120b के तहत 6 महीने तक की सजा (Punishment for criminal conspiracy) व जुर्माने से दंडित किया जाता है।


धारा 120b में जमानत का प्रावधान - Bail in IPC Section 120b

IPC Section 120b में जमानत के तहत यदि कोई व्यक्ति उपर बताए गए अपराधों जैसे फांसी, उम्रकैद या 2 वर्ष से अधिक की कारावास से दंडनीय अपराध को करने की साजिश में शामिल होता है। उसको उसी अपराध की धारा के अनुसार जमानत मिलती है। जिस अपराध को करने की साजिश में वो शामिल था।

यदि आरोपी अन्य किसी आपराधिक साजिश का आरोपी होता है तो IPC 120 के तहत यह अपराध गैर-संज्ञेय (Non Cognizable) श्रेणी का होता है। जिसमें आरोपी को जमानत (Bail) मिल जाती है। इस तरह के मामलों में भी आपको एक वकील (Lawyer) की आवश्यकता पड़ती है। जो आपको इस केस की आगे की कार्यवाही में मदद करता है।


IPC Section120B से संबंधित महत्वपूर्ण केस

केहर सिंह बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन) (1988)

यह मामला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही कोई व्यक्ति अपराध करने में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेता है, लेकिन साजिश का हिस्सा है, उसे आईपीसी की धारा 120बी के तहत दंडित किया जा सकता है।

महाराष्ट्र राज्य बनाम सोम नाथ थापा (1996)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IPC 120B के तहत आपराधिक साजिश के अपराध के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच समझौता हुआ था और समझौता अपराध करने के इरादे से किया गया था।

राजस्थान राज्य बनाम राजेंद्र सिंह (1997)

इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि आईपीसी की धारा 120बी के तहत आपराधिक साजिश के अपराध को स्थापित करने के लिए साजिश का ज्ञान ही काफी नहीं है। अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि अभियुक्त ने साजिश में सक्रिय रूप से भाग लिया था।


IPC Section 120 से बचाव के लिए सावधानियां

किसी भी अपराध को करने में यदि कोई व्यक्ति मुख्य अपराधी के साथ मिलकर किसी अपराध को करने की बराबर साजिश में शामिल होता है तो ऐसा करने वाला व्यक्ति भी कानून की नजर में गुनहगार माना जाता है। इसलिए कुछ जरुरी बातों को जानते है जिनसे इस तरह के मामलों से बचा जा सकें।

  • यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने में अपराधी व्यक्ति की मदद करता है। उसे भी दोषी पाये जाने पर भारतीय दंड संहिता के तहत सजा का हकदार बन जाता है।इसलिए किसी भी ऐसे व्यक्ति का साथ ना दे जो किसी तरह के भी आपराधिक मामलों में शामिल रहता हो।
  • इस तरह के मामलों में यह जरुरी नहीं होता कि आरोपी खुद किसी अपराध को अंजाम दे। बल्कि इस किसी प्रकार की साजिश में शामिल होने पर भी आप पर कार्यवाही हो सकती है।
  • यदि कोई आपको इस तरह के झूठे मामलों में फँसवाने की साजिश करता है तो अपना बचाव करने के लिए तुरन्त किसी वकील की सहायता लेकर। अपने बचाव के सबूत न्यायालय में पेश कर केस खारिज करने की अपील करें।


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