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आजकल धोखाधड़ी व बेईमानी से जुड़े अपराध देश में दिन-प्रतिदिन फैलते जा रहे है, ये ऐसे अपराध होते है जो हमारे पीठ पीछे हमारे ही भरोसेमंद लोगों के द्वारा किए जाते है। उन्हीं में से एक अपराध ऐसा भी है जो किसी इंसान की मृत्यु होने के बाद किया जाता है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो कुछ व्यक्ति उस दुखद समय का फायदा उठाकर बेईमानी से उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लेते है। ऐसे में जब तक उस मृत व्यक्ति के परिवार को पता चलता है, तो बहुत देर हो चूकी होती है। लेकिन सही समय पर की गई कार्यवाही इस अपराध से आप सभी को बचा सकती है। इसलिए आज इसी महत्वपूर्ण विषय से जुडी धारा के बारे में आपको बताएंगे की, बीएनएस धारा 315 क्या है (BNS Section 315 in Hindi)? इस सजा क्या है? धारा 315 जमानती है या गैर-जमानती है?
किसी मरे हुए इंसान की संपत्ति पर बेईमानी से कब्जा करने के अपराध में पहले आईपीसी 404 के तहत कार्यवाही की जाती थी। लेकिन BNS के नए कानून के रुप में लागू होने के बाद से ऐसे अपराधों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 315 के तहत कार्यवाही की जाएगी। कोई भी कानूनी छात्र हो या नौकरी करने वाला कर्मचारी, देश के हर नागरिकों के लिए आज के आपराधिक मामले से जुड़ी जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है। साथ ही जिन लोगों पर इस अपराध के आरोप लगे है, उन्हें भी जमानत से लेकर बचाव उपायों की जानकारी यहाँ मिलेगी।
बीएनएस धारा 315 क्या है और यह कब लागू होती है - BNS 315 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता की धारा 315 किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति को बेईमानी से लेने या उसका उपयोग करने के अपराध से संबंधित है, यह धारा उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो किसी भी मरे हुए व्यक्ति की मृत्यु के समय उसके कब्जे में रही संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग करते हैं या उस संपत्ति में खुद के इस्तेमाल के लिए बदलाव कर देते है।
सरल भाषा में कहे तो जो भी व्यक्ति किसी मृत व्यक्ति (Dead Person) की मृत्यु के समय मौजूद किसी भी वस्तु पर धोखे से या बेईमानी से कब्जा करता है, जिस पर उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है। जैसे:- घर, गाड़ी, पैसे, व अन्य कीमती वस्तु। ऐसे व्यक्तियों पर बीएनएस की धारा 315 के तहत कार्यवाही की जाती है।
इस धारा के अपराध से जुड़े मुख्य बिंदु
- धारा 315 केवल उसी संपत्ति (Property) पर लागू होती है जो मृतक के पास मृत्यु के समय थी।
- जब कोई व्यक्ति जानबूझकर और बेईमानी से मृत व्यक्ति की संपत्ति को अपने कब्जे में लेता है, भले ही वह उस संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी (Legal heir) न हो।
- जब कोई व्यक्ति मृत व्यक्ति की संपत्ति को बेच देता है, नष्ट कर देता है, या उसका गैरकानूनी रूप से उपयोग करता है, भले ही उसने उसे अपने कब्जे में न लिया हो।
- जब कोई व्यक्ति मृत व्यक्ति के परिवार के सदस्यों या कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति से वंचित (Deprived) करता है।
- आरोपी को यह जानना होगा कि वह मृतक की संपत्ति का गबन कर रहा है।
- गलती से या अनजाने में संपत्ति का उपयोग करना अपराध नहीं होगा।
- यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उन्हें सजा दी जाती है।
बीएनएस 315 का आपराधिक उदाहरण:-
एक बार अजय और विजय नाम के दो भाई थे। उनके पिता का कुछ ही समय पर निधन हो गया था। पिता की मृत्यु के कुछ दिनों बाद, अजय को पता चला कि उनके पिताजी ने बैंक में 50 लाख रुपये जमा कराए थे। अजय को यह बात पता चलने पर लालच आ गया और उसने यह बात अपने भाई विजय को नहीं बताई और सारा पैसा धोखे से पर निकाल लिया। कुछ समय बाद विजय को जब अपने पिताजी की बैंक की पासबुक मिली तब उसने देखा कि खाते में कोई पैसा नहीं है।
जिसके बाद उसे अजय पर शक हुआ और उसने अजय से पूछताछ की पहले, तो अजय ने झूठ बोल दिया की उसने पैसे नहीं निकाले। लेकिन बाद में उसने बता दिया कि हाँ पैसे मैने ही निकाले है, और वो पैसे में किसी को नहीं दूंगा। जिसके बाद दोनों में बहुत बहस हुई लेकिन अजय पैसे देने के लिए नहीं माना, जब्कि सारी संपत्ति व पैसो का उत्तराधिकारी विजय को ही बनाया गया था। इसके बाद विजय बहुत गुस्सा हो जाता है और अजय कि शिकायत पुलिस में दर्ज करा देता है। जिसके बाद पुलिस द्वारा अजय पर BNS Section 315 के तहत मामला दर्ज कर लिया जाता है।
BNS 315 के तहत अपराध माने जाने वाले कुछ कार्य:-
- किसी भी मरे हुए इंसान की किसी भी प्रकार की संपत्ति को बेईमानी से अपने कब्जे में कर लेना। जैसे:- घर, गाड़ी, पैसा, आदि।
- मरे हुए व्यक्ति की संपत्ति को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना, उसमें बदलाव करना या उसे किसी अन्य व्यक्ति को बेच देना।
- आपके पास किसी व्यक्ति की संपत्ति का कोई अधिकार नहीं है फिर भी आप उस पर अपना हक दिखाने लग जाए।
- मृतक व्यक्ति के घर वालों या उसकी संपत्ति के असली हकदार व्यक्ति को डराना धमकाना।
- धोखे से झूठे दस्तावेज (Fake Documents) बनवाकर किसी और की संपत्ति को अपनी बताना।
- किसी नौकर या कर्मचारी के द्वारा मालिक के विश्वास का फायदा उठाकर बेईमानी करना।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 315 के अपराध की सजा
बीएनएस धारा 315 के तहत किसी मृत व्यक्ति की संपत्ति को धोखे से हासिल करने वाले दोषी व्यक्ति (Guilty person) को तीन साल तक की कारावास व जुर्माना, या दोनों से दंडित (Punished) किया जा सकता है। यदि अपराध करने वाला व्यक्ति मृतक का नौकर या सेवक था तो ऐसे मामले में सजा और भी गंभीर दी जाती है। जिसमें सात साल तक की कारावास व जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है। सज़ा की गंभीरता गबन की गई संपत्ति के मूल्य पर भी निर्भर हो सकती है।
सजा की गंभीरता कुछ विशेष बातों पर निर्भर करती है, जो कि इस प्रकार हैं:-
- गबन की गई संपत्ति के मूल्य के आधार पर।
- अपराधी का इरादा।
- अपराधी का आपराधिक इतिहास।
- किए गए अपराध के कारण पीड़ित (Victim) का कितना नुकसान हुआ।
बीएनएस सेक्शन 315 में जमानत कब और कैसे मिलती है
बीएनएस की धारा 315 एक जमानती अपराध होता है, जिसे गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि न्यायालय द्वारा इस अपराध के आरोपी व्यक्ति को जमानत दी जा सकती है। लेकिन जब भी आरोपी जमानत के लिए आवेदन करता है, तो जमानत से पहले कुछ बातों को न्यायालय द्वारा देखा जाता है। जिसके कारण आपकी जमानत को रद्द भी किया जा सकता है।
आइये जानते है उन जरुरी बातों के बारे में :-
- यदि चोरी की गई संपत्ति का मूल्य अधिक है, तो जमानत मिलना कठिन हो सकता है।
- यदि आरोपी ने पहले भी बहुत सारे अपराध किए है, तो जमानत मिलने की संभावना कम हो सकती है।
- यदि आरोपी व्यक्ति की देश छोड़ कर भागने की संभावना है, तो जमानत अस्वीकार की जा सकती है।
BNS Section 315 के तहत लगे आरोप के खिलाफ बचाव कैसे करें
बीएनएस की धारा 315 के तहत आरोपी व्यक्ति अपने बचाव के लिए कुछ जरुरी उपायों का इस्तेमाल कर सकता है, इसलिए आप सभी का इन बचाव उपायों के बारे में समझना बहुत जरुरी है। जो कि इस प्रकार है:-
यदि आपको असल में यह लगता था कि आपका उस संपत्ति पर कानूनी अधिकार था, तो यह साबित करता है कि आपने बेईमानी नहीं की। उदाहरण:- यदि आपको गलती से मृतक का वारिस (Heir) समझा गया था और आपने संपत्ति को उसी विश्वास में आकर अपना मान लिया था। तब यह आपके बचाव के रुप में काम आ सकता है।
यदि आपने गलती से सोचा कि जो संपत्ति आपने ली है वो मरने वाले की नहीं बल्कि किसी और व्यक्ति की है। यदि संपत्ति के असली मालिक ने आपको इसे लेने की सहमति दी थी, तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता और इससे आपका बचाव हो सकता है। उदाहरण:- यदि मृतक के पति या पत्नी ने आपको उनकी संपत्ति का कुछ हिस्सा रखने की अनुमति दी थी। यदि आपने संपत्ति को केवल उस संपत्ति की सुरक्षा के लिए कुछ समय के लिए अपने पास रखा था, जब तक कि वह असली मालिक तक न पहुंच जाए, तो इसमें भी आप का बचाव हो सकता है। लेकिन इसमें आपको यह साबित करना होगा कि आपका इरादा असल में अच्छा था।
निष्कर्ष :- बीएनएस सेक्शन 315 मरे हुए लोगों की संपत्ति को गलत लोगों के हाथ में जाने से रोकने के लिए बहुत अहम कार्य करती है। जिसके द्वारा पीड़ित परिवारों को उनका हक मिलता है और दोषी व्यक्तियों को सजा। अगर आप भी ऐसे किसी मामले से जुड़ी कानूनी सहायता प्राप्त करना चाहते है तो हमारे वकीलों से परामर्श कर सकते है।