BNS Section 309 in Hindi - बीएनएस धारा 309 क्या है? सजा, जमानत व अपवाद


डकैती की धारा BNS 309 in Hindi

लूट-पाट जैसी घटनाओं के कारण किसी भी व्यक्ति को अपनी कीमती वस्तु को खोना पड़ सकता है। अकसर देखा जाता है कि कोई महिला रोड पर जा रही होती है, कि अचानक से कोई व्यक्ति आता है और उससे उसके गहने छिन के भाग जाता है। ऐसे अपराध कभी-भी किसी के साथ भी हो सकते है। ऐसे अपराध का शिकार (Victim) होने पर तुरन्त कार्यवाही कर अपनी कीमती वस्तु जल्द से जल्द प्राप्त करने के लिए कानूनी जानकारी होना बहुत जरुरी है। इसलिए आज हम इसी तरह के मामलों से निपटने वाले एक बहुत ही आवश्यक कानून के बारे में आपको बताएंगे की बीएनएस की धारा 309 क्या है यह कब लागू होती है? BNS Section 309 के तहत लूट के अपराध की सजा क्या है? बीएनएस सेक्शन 309 जमानती है या गैर-जमानती?

लूट (Robbery) के अपराध के दौरान कुछ मामले ऐसे भी देखे जाते है, जिनमें अपराध करने वाला व्यक्ति ना सिर्फ किसी कीमती वस्तु को छीन (Snatch) ले जाता है। बल्कि इस घटना के शिकार व्यक्ति को चोट पहुँचाकर भी भाग जाता है। ऐसे मामलों में पहले भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 390 के तहत कार्यवाही की जाती थी। लेकिन नए कानून लागू होने के बाद से इसे भारतीय न्याय संहिता की धारा (BNS) 309 से बदल दिया गया है। इसलिए यदि आप कभी भी इस प्रकार के अपराधों का शिकार हुए हैं, तो बीएनएस की धारा 309 आपको अपने अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान करेगी। इसलिए इस विषय पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।


बीएनएस की धारा 309 क्या है - BNS Section 309 in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 लूट (Robbery) को एक ऐसी चोरी (Theft) के रूप में परिभाषित करती है जिसमें बल या धमकी (Force or Threat) जैसी बातें शामिल होती है। इसमें बताया गया है कि जब कोई व्यक्ति चोरी करने या किसी संपत्ति को छिनने के लिए धमकी या हिंसा का प्रयोग करता है तो वह लूट कहलाती है।

इसमें लूट को दो प्रकार से बताया गया है जो की इस प्रकार है:-

  1. लूट में चोरी या जबरन वसूली (Extortion) शामिल है:- इसमें चोरी (अनुमति के बिना संपत्ति लेना) या जबरन वसूली का प्रयास (किसी को संपत्ति देने की धमकी देना) होना चाहिए।
  2. हिंसा या हिंसा की धमकी:- चोरी या जबरन वसूली के साथ हिंसा (चोट पहुंचाना) या तत्काल हिंसा (Immediate Violence) की धमकी, गलत तरीके से रोकना (किसी की आवाजाही को प्रतिबंधित करना), या मौत होना शामिल है।

उदाहरण:- यदि कोई व्यक्ति सड़क पर आपका बैग छीन लेता है और आपको अपना बटुआ न देने पर चोट पहुंचाने की धमकी देता है। चोरी (बैग लेना) और हिंसा की धमकी (आपको चोट पहुंचाना) के कारण इसे बीएनएस की धारा 309 के अंतर्गत लूट माना जाएगा।


भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 की मुख्य बातें:-

  • जो कोई किसी व्यक्ति से हिंसा या डराने-धमका कर उसकी संपत्ति छीन लेता है, वह लूट का अपराधी होगा।
  • हिंसा में मारपीट, धक्का-मुक्की, हथियार दिखाना या किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी शामिल है।
  • डराने-धमकाने में पीड़ित (Victim) को डराना, उसके सम्मान को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना या उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना शामिल है।

BNS Section 309 कब लागू नहीं होती - कुछ अपवाद

  • यदि कोई व्यक्ति रक्षा (Defence) के लिए या अपनी संपत्ति (Property) को बचाने के लिए बल (Force) प्रयोग करता है, तो उसे लूट का दोषी नहीं ठहराया जाएगा।
  • यदि कोई व्यक्ति गलतफहमी के कारण किसी की संपत्ति छीन लेता है, तो उसे लूट का दोषी नहीं ठहराया जाएगा।
  • यदि चोरी हिंसा, धमकी, पीड़ित को रोकने या तत्काल नुकसान का डर पैदा किए बिना होती है, तो यह केवल चोरी है, लूट नहीं।
  • साधारण भाषा में कहे तो बिना किसी धमकी के कुछ चुराना BNS 309 के तहत लूट नहीं माना जाता।

BNS की धारा 309 के तहत लूट का उदाहरण

कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति राजेश रात के समय एक सुनसान सड़क पर चल रहा है। तभी एक सुभाष नाम का व्यक्ति चाकू दिखाकर राजेश को धमकाता है और कहता है, अगर तुमने अपना मोबाइल और पैसे नहीं दिए, तो मैं तुम्हें चाकू मार दूंगा। डर के मारे राजेश अपना मोबाइल और पैसे सुभाष को दे देता है।

इस उदाहरण में, सुभाष ने राजेश को धमकाने और बल का उपयोग करके उसके सामान को छीन लिया। यह घटना BNS Section 309 के तहत लूट की श्रेणी में आती है, क्योंकि इसमें चोरी के साथ-साथ बल और भय (Fear) का भी उपयोग किया गया है।


बीएनएस 309 में लूट की सजा - BNS Section 309 Punishment in Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 में लूट की सजा को अलग-अलग प्रकार से मामले की गंभीरता व स्थिति के आधार पर बताया गया है। आइये जानते विस्तार से जानते है:-

लूट करने का प्रयास: यदि कोई व्यक्ति लूट करने का प्रयास (Attempt) करता है, लेकिन असफल हो जाता है, तो उसे सात वर्ष तक के कठोर कारावास की सज़ा (Punishment) दी जा सकती है और जुर्माना भी देना होगा।

लूट पूरी हो जाने पर:- जब किसी व्यक्ति के साथ लूट का अपराध सफल हो जाता है तो सज़ा अधिक कठोर होती है। जिसमें दोषी (Guilty) पाये जाने पर अपराधी को दस वर्ष तक के कठोर कारावास (Imprisonment) की सज़ा दी जा सकती है और जुर्माना भी देना होगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसमें सज़ा की गंभीरता और भी बढ़ सकती है।

राजमार्ग पर लूट (सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच): इस मामले में कारावास की अवधि चौदह वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। यह रात के समय सुनसान राजमार्गों (Highways) पर होने वाली लूट-पाट की घटनाओं पर लागू होती है।

चोट पहुँचाने के साथ लूट:- यदि अपराधी घटना के दौरान शारीरिक चोट पहुँचाता है, तो सज़ा और भी कठोर हो जाती है। यहाँ अपराधी और उसके किसी भी साथी को या तो आजीवन कारावास (Life Imprisonment) या दस साल तक की कठोर कारावास की सज़ा दी जा सकती है, साथ ही जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।


BNS Section 309 में जमानत कब व कैसे मिलती है

भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 के अनुसार लूट एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) होता है, यानी ऐसे अपराध जो ज्यादा गंभीर होते है। लूट-पाट जैसे मामले की गंभीरता को देखते हुए ही इसे गैर-जमानती (Non-Bailable) रखा गया है। जिसका मतलब है कि आरोपी (Accused) को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ हालातों में जमानत दी जा सकती है जैसे:-

  • यदि आरोपी नाबालिग (Minor) है।
  • यदि अपराध कम गंभीर है।
  • यदि आरोपी के खिलाफ सबूत (Evidence) कमजोर हैं।

डकैती के अपराध से जुडी अन्य धाराएं:

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बीएनएस धारा 309 पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


बीएनएस की धारा 309 किस अपराध में लागू होती है?

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 309 में लूट के अपराध के बारे में विस्तार से बताया गया है। 



BNS Section 309 के तहत लूट क्या है?

लूट में शारीरिक नुकसान, मौत या गलत तरीके से रोकने की धमकी या इस्तेमाल के साथ चोरी या जबरन वसूली करना शामिल है।



लूट और चोरी में क्या अंतर है?

चोरी किसी की संपत्ति चुराने का कार्य है। दूसरी ओर, लूट में बल का इस्तेमाल या बल की धमकी के साथ चोरी करना शामिल है।



धारा 309 के तहत गलत तरीके से रोकना क्या है?

गलत तरीके से रोकना का मतलब है किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना रोकना। इसमें उसे शारीरिक रूप से रोकना या उसे रोकने की धमकी देना शामिल हो सकता है।



भारतीय न्याय संहिता की धारा 309 की सज़ा क्या है?

बीएनएस सेक्शन 309 में लूट की सजा अपराध की गंभीरता को देखते हुए तय की जा सकती है जिसमें सात वर्ष तक की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है, साथ ही जुर्माना भी हो सकता है।