धारा 458 आईपीसी - IPC 458 in Hindi - सजा और जमानत - क्षति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के करके रात में गॄह-अतिचार।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 458 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 458 के अनुसार जो भी कोई किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने या उस पर हमला करने या उसका सदोष अवरोघ करने की अथवा किसी व्यक्ति को क्षति, या हमले, या सदोष अवरोध के भय में डालने की तैयारी करके, रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे चौदह वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।लागू अपराध
क्षति आदि की तैयारी करके रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना।
सजा - चौदह वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
रात तक गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ना, चोट पहुंचाने आदि की तैयारी के बाद | 14 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : रात तक गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ना, चोट पहुंचाने आदि की तैयारी के बाद
Punishment : 14 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
IPC धारा 458 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 458 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 458 अपराध : रात तक गुप्त घर-अतिचार या घर तोड़ना, चोट पहुंचाने आदि की तैयारी के बाद
आई. पी. सी. की धारा 458 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 458 के मामले में 14 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 458 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 458 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 458 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 458 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 458 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 458 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 458 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 458 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।