धारा 452 क्या है सजा, जमानत और बचाव - IPC 452 in Hindi
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
- IPC Section 452 in Hindi - आईपीसी धारा 452 क्या है
- धारा 452 में सजा और जमानत ? IPC 452 Punishment in Hindi
- आईपीसी धारा 452 कब लगती है?
- आईपीसी की धारा 452 के तहत "घर-अतिचार" का क्या अर्थ है?
- आईपीसी सेक्शन 452 के अपराध का उदाहरण
- IPC Section 448 और IPC 452 में क्या अंतर है?
- धारा 452 में जमानत - IPC 452 bailable or not?
- आईपीसी की धारा 452 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?
- क्या पुलिस IPC 452 के तहत बिना अनुमति के घर में प्रवेश कर सकता है?
- धारा 452 से बचाव के लिए सावधानियां
- प्रशंसापत्र
- आईपीसी की धारा 452 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
- धारा 452 के तहत एक मामले में एक वकील आपकी मदद कैसे कर सकता है?
- धारा 452 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हम सभी के द्वारा अपने घर को सबसे सुरक्षित जगह के रुप में देखा जाता है। जहाँ इंसान अपना सारा जीवन खुशी से व्यतीत करता है। कोई भी व्यक्ति कितना भी समय कही बिता ले लेकिन जो सुकून उसे अपने घर पर आकर मिलता है, वो और कही नहीं मिल पाता। लेकिन क्या हो यदि कोई व्यक्ति आपको आपके घर में घुसकर परेशान करें। आपके निजी जीवन को खराब करने की कोशिश करें। आज के लेख द्वारा हम एक ऐसे ही अपराध के मामले के बारे में जानेंगे कि, भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 452 क्या है, ये धारा कब लगती है? IPC Section 452 के मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है।
हमारे आज के लेख द्वारा हम भारतीय कानून (Indian Law) के Section 452 के बारे में विस्तार से आपको बताएंगे। जिसकी पूरी जानकारी होने से आपको भविष्य में कभी इस प्रकार की समस्या आती है, तो आप सही समय पर कार्यवाही कर अपना बचाव कर सकेंगे। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन से जुड़े सभी नियमों व कानूनों की बारीकी से समझना चाहते है, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
IPC Section 452 in Hindi - आईपीसी धारा 452 क्या है
आई पी सी की धारा 452 के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना घर में घुसने व उस व्यक्ति पर हमला (House trespass after preparation for hurt, assault or wrongful restraint) करने की तैयारी करके उसे किसी भी प्रकार की चोट पहुँचाता है या किसी भी प्रकार का दबाव बनाने की कोशिश करता है। ऐसा आपराधिक कार्य (Criminal act) करने वाले व्यक्ति पर IPC Section 452 के तहत मुकदमा दर्ज (Court case) कर कार्यवाही की जाती है।
स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो इस धारा का अर्थ है कि यदि आप किसी के घर में बिना उस व्यक्ति की अनुमति के घुसते है व उसके साथ मारपीट करते है। ऐसा कार्य एक गंभीर अपराध माना जाता है। जिस कारण पीड़ित व्यक्ति आपके खिलाफ धारा 452 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint filed under Section 452) करवा सकता है। जिसके बाद आप पर न्यायिक कार्यवाही करने के बाद दोषी पाये जाने पर आपको दंडित किया जा सकता है।
आईपीसी धारा 452 कब लगती है?
आईपीसी की धारा 452 के किसी व्यक्ति पर लागू होने के लिए निम्नलिखित बातों का होना जरुरी हैं:
- गृह-अतिचारः- यदि आरोपी व्यक्ति किसी के घर में घुसता है वो भी बिना उस घर के मालिक की अनुमति के।
- चोट, मारपीट या गलत तरीके से रोकने की तैयारी: आरोपी ने घर के मालिक या घर में मौजूद किसी अन्य सदस्य को चोट पहुंचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने का गैर-कानूनी (Illegal) कार्य किया हो।
- आपराधिक मंशा: आरोपी का चोट, हमला या गलत अवरोध का अपराध करने का इरादा होना चाहिए।
- आरोपी की घर में मौजूदगी:- आरोपी किसी आपराधिक घटना के समय घर में मौजूद रहा होगा।
आईपीसी की धारा 452 के तहत "घर-अतिचार" का क्या अर्थ है?
गृह-अतिचार एक ऐसा अपराध होता है जिसमें कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की अनुमति के बिना और चोरी करने, हमला करने, या मारपीट करने जैसे अपराध करने के इरादे से किसी और के घर में प्रवेश करता है। अन्य लोगों की निजता का सम्मान करना और उनकी सहमति के बिना उनके घरों में प्रवेश नहीं करना महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है और गृह-अतिचार का दोषी पाया जाता है, तो व्यक्ति को 7 वर्ष तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
आईपीसी सेक्शन 452 के अपराध का उदाहरण
एक रात राहुल अपने घर में अपने परिवार के साथ बैठा होता है। उसी समय एक व्यक्ति राहुल व उसके परिवार पर हमला करने के इरादे से घर में घुस जाता है। जब राहुल उससे यह सब करने का कारण पूछता है, तो वह राहुल पर हमला कर देता है।
राहुल उसी समय पुलिस को फोन करता है। जिस कारण वो वहाँ से भाग जाता है। उसके बाद राहुल पुलिस में शिकायत दर्ज करा देता है। पुलिस कार्यवाही करके उस व्यक्ति को पकड़ लेती है, और उस पर धारा 452 के तहत राहुल के घर में घुसने के जुर्म (house breaking offence) में कार्यवाही करती है।
IPC Section 448 और IPC 452 में क्या अंतर है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 448 और धारा 452 दोनों ही गृह अतिचार के अपराध से संबंधित हैं। हालाँकि इन दोनों Sections के बीच कुछ अंतर हैं।
IPC की धारा 448 भी गृह अतिचार (House Trespass) के अपराध से संबंधित है। लेकिन इसमें कहा गया है कि जो कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के घर में किसी व्यक्ति को डराने, अपमान करने या परेशान करने के इरादे से प्रवेश करता है, तो उसे 1 वर्ष के कारावास की सजा दी जा सकती है।
दूसरी ओर, आईपीसी की धारा 452 चोट, हमले या गलत तरीके से रोकने की तैयारी के बाद घर में अतिचार के अपराध से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि जो कोई भी किसी और के घर या उस घर के किसी हिस्से में किसी प्रकार का अपराध करने, चोट पहुंचाने, हमला करने या गलत तरीके से रोकने के इरादे से प्रवेश करता है, उसे एक अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा। जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और इसके साथ ही वह व्यक्ति जुर्माना के लिए भी उत्तरदायी होगा।
इसलिए इन दोनों IPC Sections के बीच मुख्य अंतर सजा की गंभीरता है। धारा 448 घर के अतिचार के कम गंभीर मामलों से संबंधित है जहां चोट या किसी अन्य गंभीर अपराध का कोई इरादा नहीं है, इसलिए इस अपराध में कम सजा का प्रावधान है।
वही धारा 452 घर में अतिचार के अधिक गंभीर मामलों से संबंधित है जहां अपराधी का गंभीर नुकसान पहुंचाने का इरादा है, और इस अपराध के दोषी को सजा भी ज्यादा दी जाती है।
धारा 452 में सजा और जमानत – IPC 452 Punishment in Hindi
IPC Section 452 में सजा के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के घर में बिना अनुमति के घुसकर हमला करने का दोषी (Guilty) पाया जाता है। ऐसा अपराध करने के कारण न्यायालय (Court) द्वारा उस व्यक्ति को सात वर्ष तक की कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा 452 में जमानत - IPC 452 bailable or not?
IPC की धारा 452 के तहत किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसके घर में घुसकर उस पर हमला करना एक संगीन अपराध माना गया है। इसलिए धारा 452 का अपराध एक संज्ञेय अपराध (cognizable offence) कहलाता है। इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए इसे गैर-जमानती अपराध (Non bailable offence) की श्रेणी में रखा गया है। जिसका मतलब है कि जिस भी व्यक्ति पर इस धारा के तहत कार्यवाही की जाती है। उसको जमानत (bail) मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
इस तरह के मामलों में जमानत के लिए एक आपराधिक वकील (Criminal lawyer) की आवश्यकता पड़ती है। जो आपके केस को पूरी तरह देख समझ के आपको जमानत दिलाने के लिए अपना पूरा प्रयास करेगा। इसलिए हमेशा एक काबिल व अनुभवी वकील का ही चुनाव करें।
आईपीसी की धारा 452 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?
Ipc section 452 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया की समझ होना आपके लिए बहुत जरुरी है, जोकि इस प्रकार है:-
- IPC 452 की शिकायत पुलिस के पास या सीधे मजिस्ट्रेट के पास दायर की जा सकती है
- शिकायत लिखित में होनी चाहिए और उस पर शिकायतकर्ता या उनके अधिकृत प्रतिनिधि (Authorized representative) के हस्ताक्षर होने चाहिए
- शिकायत में घटना की तारीख, समय, स्थान और अपराध की प्रकृति सहित सभी जरुरी विवरण शामिल होना चाहिए।
क्या पुलिस IPC 452 के तहत बिना अनुमति के घर में प्रवेश कर सकता है?
नहीं इस धारा के तहत कोई पुलिस अधिकारी भी आपके घर बिना अनुमति के नहीं घुस सकता है। लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं जिनमें एक पुलिस अधिकारी बिना अनुमति के एक घर में प्रवेश कर सकता है।
उदाहरण के लिए यदि पुलिस के पास किसी घर में रहने वाले किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी का वारंट है, तो पुलिस अधिकारी वारंट के कानून का इस्तेमाल करके घर में प्रवेश कर सकता है।
अगर किसी पुलिस अधिकारी को किसी घर में खतरा महसूस होता है या अपराध होने की सूचना मिलती है तो पुलिस अधिकारी उस घर के मालिक की अनुमति के बिना घर में घुस सकता है।
धारा 452 से बचाव के लिए सावधानियां
जब भी किसी अपराध के होने की बात सामने आती है। उस स्थिति में उस अपराध से बचाव की बातों के बारे में जानना बहुत ही जरुरी हो जाता है। किसी भी प्रकार के अपराध में उनके बचाव के बारे में यदि पहले से ही पूरी जानकारी हो तो भविष्य में आने वाली किसी भी अप्रिय घटना से बचा सकता है।
जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलने जाते है। उस समय इस बात का ध्यान रखे कि जब वो व्यक्ति अपने घर पर हो तब ही जाएं।
- किसी भी व्यक्ति के घर मिलने जाने से पहले उसकी अनुमति लेकर ही जाएं। उसके घर जाने से पहले उससे फोन पर या किसी अन्य माध्यम से बात कर ले। यदि उसके बाद वो आपको अपने घर आने के लिए अनुमति देता है तब ही जाएं।
- यदि आपका किसी की साथ झगड़ा हो जाता है और वो व्यक्ति आपको अपने घर पर बात करने के लिए बुलाता है। उस स्थिति में कभी भी अकेले ना जाएं किसी समझदार व्यक्ति को अपने साथ लेकर जाएं जो दोनो पक्षों को अच्छे से जानता हो।
- यदि आपके घर कोई व्यक्ति हमला करने के इरादे से आता है, तो अपने उसकी फोन के द्वारा विड़ियो बनाकर उसके खिलाफ सबूत (Evidence) की तरह इस्तेमाल करें।
- किसी व्यक्ति को डराने धमकाने या किसी प्रकार का दबाव बनाने के लिए ना तो किसी को उनके घर भेजें और ना ही खुद जाएं।
- यदि आप पर कोई धारा 452 का झूठा आरोप लगाकर आपको फंसाने की कोशिश करता है। उस स्थिति में समझदारी से काम ले व अपने बचाव के लिए आवश्यक सबूत न्यायालय के सामने पेश करें।
प्रशंसापत्र
1. “मेरे भाई ने एक व्यक्ति से कर्ज लिया था जिसे चुकाने में वह असफल रहा। ऋण राशि प्राप्त करने के लिए जिस व्यक्ति से उसने कर्ज लिया था वह अवैध रूप से हमारे घर में घुस गया और बेचने के लिए हमारी चीजें लेने लगा। यहां तक कि उसने हमें बाधित करने की धमकी भी दी। मेरी पत्नी ने तुरंत पुलिस को फोन किया और उस व्यक्ति को अपराध में साझेदारों के साथ गिरफ्तार किया गया। हमने अपने वकील की मदद से मामला दायर किया और दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को 1 साल की जेल की सजा सुनाई।
-विष्णु गुप्ता
2. “मेरे पिता और मेरे चाचा एक वसीयत संबंधी विवाद से गुज़र रहे थे जो अब कुछ सालों से चल रहा था। मेरे दादाजी ने अपने पिता को अपनी वसीयत में सब कुछ दे दिया था और मेरे चाचा ने मुझे यह स्वीकार नहीं किया, जिन्होंने मेरे पिता के खिलाफ भी केस दायर किया था। विवाद बहुत गर्म हो गया और एक दिन मेरे चाचा ने मेरे पिता को धमकी दी कि अगर वह उन्हें संपत्ति का हिस्सा नहीं देंगे तो उनकी हत्या कर दी जाएगी। अगली रात मेरे चाचा और उनके दो बेटे हमारे घर में घुस आए और मेरे पिता के साथ मारपीट करने का प्रयास किया। हमारे वकील की मदद से, हमने तुरंत मेरे चाचा और उनके बेटों के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिन्हें गिरफ्तार किया गया और 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई। ”
-आलोक कुमार
3. “मैं और मेरा परिवार मेरे बेटे को छोड़कर सभी यात्रा के लिए गए थे। जब हम सभी चले गए थे, इस चोर ने हमारे घर में घुसकर मेरे बेटे के साथ मारपीट की, और हमारे परिवार को सुरक्षित रखने के लिए बहुत सारे पैसे और गहने चुरा लिए। हमने तुरंत एक वकील से सलाह ली और चोर के खिलाफ शिकायत दर्ज की। हमारे घर के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर चोर की पहचान की गई और एक परीक्षण किया गया। अदालत ने उसे दोषी पाया और उसे 2 साल की जेल की सजा सुनाई।
-जतिन शुक्ला
4. “मैं इस किराए के घर में रह रहा था, जो बेडबग्स से प्रभावित था। बाद में, मुझे पता चला कि मेरे मकान मालिक ने केवल मुझे बर्बरता करने और घर छोड़ने के लिए जगह को संक्रमित किया था। जब मुझे पता चला, तो मैंने किराया देना बंद कर दिया और उस जगह को अपना इलाज करवा लिया। मेरा मकान मालिक जो मुझे एक दिन का किराया नहीं देने के कारण बहुत परेशान हो गया, उसने अपने कुछ अन्य दोस्तों के साथ घर में प्रवेश किया और मारपीट की और मेरा सारा सामान घर से बाहर फेंक दिया। मैंने तुरंत एक वकील से सलाह ली और अपने मकान मालिक के खिलाफ मामला दर्ज कराया। अदालत ने मामले की पूरी तरह से जांच करने पर मेरे मकान मालिक और सह-आरोपियों को 3 साल की जेल की सजा सुनाई। ”
-प्रभांशु गुप्ता
5. “मेरा सहपाठी जो इस लड़की के साथ प्यार करता था, जो मेरे साथ डेटिंग कर रहा था, मुझे उससे जलन हो रही थी और मेरे साथ रोज़ लड़ाई होती थी। एक दिन उसने अपने 15 अन्य दोस्तों के साथ मेरे घर में प्रवेश किया और बिना किसी कारण के मेरे साथ मारपीट की। मैंने तुरंत LawRato को फोन किया और एक वकील के साथ जुड़ गया, जिसने मुझे उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की सलाह दी। मामले की जांच करने के बाद, अदालत ने सभी आरोपियों को एक साल की जेल की सजा के साथ-साथ जुर्माने की सजा सुनाई।
-रवि रौशन
आईपीसी की धारा 452 से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय
1. महाराष्ट्र राज्य (ग्रामीण पुलिस स्टेशन, रत्नागिरी के माध्यम से) बनाम बाबू भागा जोरे और अन्य (2020 SCC OnLine Bom 325):
आईपीसी की धारा 452 के तहत एक अपराध को आगे बढ़ाने के लिए, यह पता लगाया जाना चाहिए (क) कि अभियुक्त ने घर में अत्याचार किया और (ख) यह चोट पहुंचाने के लिए तैयारी करने के बाद, या मारपीट करने या गलत तरीके से निरोधक करने के लिए प्रतिबद्ध था, कुछ व्यक्ति , या किसी व्यक्ति को चोट, या हमले, या गलत संयम के डर से डालने के लिए। यदि दोनों आवश्यकताओं में से कोई एक भी संतुष्ट नहीं है तो धारा 452 शामिल नहीं होगी।
2. मोरेश्वर बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्र। (2005 11 SCC 429)
मोरेश्वर बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्र में। (2005 11 SCC 429), अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता और उसके पति द्वारा किरायेदारों के रूप में कब्जे वाले परिसर में एक अत्याचार किया था और अपीलकर्ता ने उसकी विनम्रता को खत्म करने की कोशिश की थी। इस मामले में सीखे गए वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि यह धारा 451 के तहत एक अपराध था, जो कारावास के साथ किसी भी दंडनीय अपराध को करने के लिए घर-अतिचार के कमीशन का प्रावधान करता है। यह माना जाता था कि अपीलकर्ता शिकायतकर्ता के कब्जे वाले घर में प्रवेश कर गया था और यौन उत्पीड़न या गलत व्यवहार या गलत संयम का कारण नहीं था। अदालत ने माना कि अपीलकर्ता के खिलाफ किया गया अपराध केवल धारा 451 के तहत है न कि धारा 452 के तहत।
3. राजिंदर कुमार मल्होत्रा बनाम भारतीय बैंक और ओआरएस:
याचिकाकर्ताओं को नीलामी के माध्यम से कियोस्क संचालित करने के लिए लाइसेंस दिया गया था, और लाइसेंस अवधि की समाप्ति पर लाइसेंस के निरसन के बाद सरकारी निगम द्वारा उनका अधिकार छीन लिया गया था। यहां अदालत ने लाइसेंस और लीज के बीच अंतर किया और कहा कि लाइसेंस पर कब्ज़ा नहीं बनता है और लाइसेंस रद्द करना और याचिकाकर्ता को किसी भी अनियमितता या विवेकाधीन अधिनियम के तहत उन्हें ऐसा करने के लिए प्राधिकारी का विवेक है। एक लीज एक व्यक्ति के पास अधिकार, हिंसात्मक, और बसे हुए अधिकार को बनाता है, जिसे वह प्रदान किया जाता है, जबकि एक लाइसेंस के पास पूरी तरह से एक अलग पैर होता है। एक पट्टे पर दी गई संपत्ति को बिना किसी वैध औचित्य और सार्वजनिक आवश्यकता के प्रचार के बिना पर कब्जा नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, एक लाइसेंस न तो स्वामित्व बनाता है और न ही उस व्यक्ति के पक्ष में अधिकार रखता है जिसे इसे प्रदान किया जाता है। नतीजतन, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता के अधिकार को संपत्ति पर अत्याचार करके रौंद दिया गया है।
4. संतिनी सेरामिका प्राइवेट लिमिटेड बनाम कुन्ती कृष्ण मोहन और अन्य:
अपीलकर्ता के परिसर में खोज और जब्ती अतिचार का एक अधिनियम नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता है कि संपत्ति पर सच्चाई का पता लगाने के लिए की गई किसी भी प्रक्रिया को अधिनियम की पर्याप्त कानूनी सहायता के साथ किए जाने पर अतिचार का कार्य माना जाएगा।
5. बावसीटी वेंकट सूर्य राव बनाम नंदीपति मुथैया:
वादी ने प्रतिवादी को एक निश्चित राशि का भुगतान किया जो वह भुगतान करने में असमर्थ था। प्रतिवादी, राशि एकत्र करने के लिए, वादी के घर का दौरा करने और राशि को वापस लेने के लिए कुछ चलन बेचने के बारे में सोचा। वादी के घर में सोने के मूल्य का मूल्यांकन करने के लिए प्रतिवादी ने एक सुनार को बुलाया, लेकिन घर के पास इस तरह के मूल्यांकन के समय खड़े व्यक्ति ने प्रतिवादी को देने के लिए दूसरे से राशि उधार ली, और प्रतिवादी के हाथ लगने के बाद राशि, वादी ने उस पर हमला करने के लिए मुकदमा दायर किया।
यह माना जाता था कि चूंकि प्रतिवादियों ने, सुनार के आने के बाद कुछ भी नहीं किया और कुछ नहीं किया और वादी को सुनार द्वारा बल के उपयोग की धमकी बहुत दूर की थी, जो तत्काल या तत्काल हिंसा के डर से वादी को लगा दिया था, कोई मारपीट नहीं हुई।
धारा 452 के तहत एक मामले में एक वकील आपकी मदद कैसे कर सकता है?
अपराध के साथ आरोपित होना, चाहे वह प्रमुख हो या नाबालिग, एक गंभीर मामला है। आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले व्यक्ति को गंभीर दंड और परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जैसे कि जेल का समय, आपराधिक रिकॉर्ड होना और रिश्तों की हानि और भविष्य की नौकरी की संभावनाएं, अन्य बातों के अलावा। जबकि कुछ कानूनी मामलों को अकेले ही संभाला जा सकता है, किसी भी प्रकृति के आपराधिक गिरफ्तारी वारंट एक योग्य आपराधिक वकील की कानूनी सलाह है जो आपके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और आपके मामले के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुरक्षित कर सकते हैं।
यदि आप आपराधिक अभियोजन का सामना कर रहे हैं, तो एक आपराधिक वकील आपको समझने में मदद कर सकता है:
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दायर किए गए आरोपों की प्रकृति;
-
कोई भी उपलब्ध बचाव;
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क्या दलीलें दी जा सकती हैं; तथा
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परीक्षण या दोषसिद्धि के बाद क्या अपेक्षित है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 452 के तहत जघन्य अपराध के रूप में आरोपित होने पर आपकी मदद करने के लिए आपकी ओर से एक आपराधिक वकील होना महत्वपूर्ण है
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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घर-अतिचार, चोट पहुंचाने, मारपीट आदि की तैयारी करने के बाद | 7 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : घर-अतिचार, चोट पहुंचाने, मारपीट आदि की तैयारी करने के बाद
Punishment : 7 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
IPC Section 452 क्या है?
आईपीसी की धारा 452 भारतीय दंड संहिता के तहत यह प्रावधान है जो चोट, हमले या गलत तरीके से रोकने की तैयारी के बाद घर में अतिचार के अपराध से संबंधित है।
क्या आईपीसी की धारा 452 एक जमानती अपराध है?
हां IPC की धारा 452 के तहत आने वाला अपराध जमानती है। हालांकि जमानत देते समय कोर्ट कुछ शर्तें लगा सकता है।
आईपीसी सेक्शन 452 के तहत अपराध के लिए क्या सजा है?
IPC 452 के तहत अपराध के लिए सजा 7 साल तक की कैद व जुर्माना दोनों से दंडित किया जा सकता है।
क्या एक व्यक्ति को IPC 452 और IPC 307 दोनों के लिए दंडित किया जा सकता है?
हां, एक व्यक्ति को आईपीसी की धारा 452 और आईपीसी की धारा 307 दोनों के लिए एक ही अधिनियम के लिए दंडित किया जा सकता है यदि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सक्षम है कि अभियुक्त का घर-अतिचार करते समय किसी को गंभीर चोट या मौत का कारण बनाने का इरादा था।