धारा 358 आईपीसी - IPC 358 in Hindi - सजा और जमानत - गम्भीर प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 358 का विवरण
  2. धारा 358 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 358 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 358 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा दिए गए गम्भीर और अचानक प्रकोपन पर करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण--अंतिम धारा उसी स्पष्टीकरण के अध्यधीन है जिसके अध्यधीन की धारा 352 है ।

Offence : हमला या गंभीर और अचानक उत्तेजना पर आपराधिक बल का उपयोग


Punishment : 1 महीने या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 358 को बीएनएस धारा 136 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 358 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 358 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 358 अपराध : हमला या गंभीर और अचानक उत्तेजना पर आपराधिक बल का उपयोग



आई. पी. सी. की धारा 358 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 358 के मामले में 1 महीने या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 358 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 358 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 358 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 358 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 358 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 358 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 358 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।