धारा 355 आईपीसी - IPC 355 in Hindi - सजा और जमानत - गम्भीर प्रकोपन होने से अन्यथा किसी व्यक्ति का अनादर करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 355 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 355 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 67करने, से अन्यथा, इस आशय से करेगा कि तद्द्वारा उसका अनादर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक उकसावे की तुलना में | 2 साल या जुर्माना या दोनों | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक उकसावे की तुलना में
Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 355 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 355 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 355 अपराध : किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक उकसावे की तुलना में
आई. पी. सी. की धारा 355 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 355 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 355 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 355 गैर - संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 355 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 355 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 355 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 355 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 355 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 355 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।