धारा 347 आईपीसी - IPC 347 in Hindi - सजा और जमानत - सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 347 का विवरण
  2. धारा 347 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 347 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 347 के अनुसार जो कोई किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा कि उस परिरुद्ध व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की जबरन वसूली की जाए, अथवा उस परिरुद्ध व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई ऐसा अवैध कार्य करने, या कोई ऐसी जानकारी देने जिससे अपराध का किया जाना सुगम हो जाए, के लिए मजबूर किया जाए, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध।
सजा - तीन वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।

यह समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : संपत्ति ऐंठने, या अवैध कृत्य के लिए विवश करने आदि के उद्देश्य से गलत तरीके से कारावास


Punishment : 3 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 347 को बीएनएस धारा 127 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 347 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 347 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 347 अपराध : संपत्ति ऐंठने, या अवैध कृत्य के लिए विवश करने आदि के उद्देश्य से गलत तरीके से कारावास



आई. पी. सी. की धारा 347 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 347 के मामले में 3 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 347 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 347 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 347 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 347 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 347 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 347 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 347 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।