IPC 342 in Hindi - जबरदस्ती कैद करने की धारा 342 में सज़ा और जमानत

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आज के लेख में हम जिस अपराध और कानूनी धारा के बारे में आपको बताने जा रहे है उसके बारे में पूरी जानकारी होना आपके लिए बहुत ही जरुरी है। इसके द्वारा आप भविष्य में होने वाली किसी भी कानूनी समस्या (Legal Problem) से पहले ही जागरुक होकर अपराध को करने व सजा (Punishment) पाने से बच सकते है। इसलिए आज के इस लेख द्वारा आप जानेंगे कि धारा 342 क्या है (IPC Section 342 in Hindi)? ये आईपीसी सेक्शन कब लगती है? धारा 342 में सजा व जमानत क्या है?

अकसर गुस्से में आकर या किसी भी कारण से जब हम किसी व्यक्ति को अपने घर, आफिस या कही पर भी बंद कर देते है या ये कहे कि उन्हें कुछ समय के लिए कैद (Imprisoned) कर देते है तो वह एक अपराध बन जाता है। जिसकी वजह से आपको सजा तो मिलती ही है साथ ही आपका पूरा करियर भी खराब हो जाने का खतरा बना जाता है। इसलिए आज हम आपको IPC 342 के अपराध व इससे जुड़ी सारी जानकारियों को बताएंगे। अगर आप इस धारा के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा जरुर पढ़े।


धारा 342 क्या है – IPC Section 342 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 342 में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करेगा, उसे कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। गलत तरीके से कैद (Wrongful Confinement) करने का मतलब होता है जानबूझकर किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक बल, धमकी, के द्वारा कैद करना। इस आईपीसी सेक्शन मे किसी भी व्यक्ति को गैरकानूनी (Illegal) रूप से रोके जाने और उनकी स्वतंत्रता (Freedom) से वंचित होने से बचाने का प्रयास से जुड़े प्रावधान है।


आईपीसी धारा 342 कब लग सकती है - मुख्य बिंदु

नीचे हमने कुछ ऐसे अहम बिंदु बताए है जिनकों अपराध होने के बाद आरोपी द्वारा किए जाने पर देखा जाता है। यदि आरोपी द्वारा ये कार्य किए गए है तो उस पर IPC Section 342 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। आइये जानते है उन सभी मुख्य बातों के बारें मे।

  • गलत तरीके से कैद करना: आईपीसी की धारा 342 के तहत किसी भी व्यक्ति को उसकी मर्जी के खिलाफ आरोपी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किसी भी जगह पर बिना किसी कारण रोकना या कैद करना।
  • बिना सहमति के:- जिस व्यक्ति को कैद किया जा रहा है उस व्यक्ति को उसकी सहमति या इच्छा के विरुद्ध रोका या कैद किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति खुद की मर्जी से किसी व्यक्ति के पास रुकता है तो यह अपराध नहीं माना जाएगा।
  • शारीरिक ताकत या मानसिक रुप से परेशान करके कैद करना: गलत तरीके से कैद करने के लिए शारीरिक बल, धमकियों का उपयोग करके किसी व्यक्ति को कैद करने का कार्य करना।
  • समय जरुरी नहीं: जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कही पर कैद करके या रोकने का गैर कानूनी कार्य करता है तो उसमें समय की कोई सीमा नहीं दी गई है। यदि किसी व्यक्ति को थोड़े समय के लिए भी उसकी इच्छा के विरुद्ध कैद किया जाता है तो उसे 342 IPC Section के तहत अपराध माना जाता है।
  • इरादे के मामले: गलत तरीके से कैद करने के अपराध को साबित करने के लिए, आरोपी व्यक्ति का पीड़ित व्यक्ति को कैद करने का इरादा (Intention) भी होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि आरोपी द्वारा यह कार्य जानबूझकर खुद की मर्जी से किया जाना चाहिए।

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धारा 342 के अपराध का उदाहरण

एक व्यक्ति अपने घर पर रहने वाले किरायेदार (Tenant) को बिना किसी वैध (Valid) कारण के कई दिनों तक एक कमरे में बंद कर देता है। उसका किरायेदार उससे बहुत बार विनती करता है कि वो उसको कमरे से बाहर निकाल दे, लेकिन वो उसे वही बंद रखता है। जिससे उस किरायेदार को उसके कही भी आने जाने की स्वंतत्रता व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (Rights) से वंचित कर दिया जाता है।

कुछ दिन बाद जब उस किरायेदार के रिश्तेदार वहाँ आते है और उनको इस बारे में पता चलता है तो वह मकान मालिक की शिकायत पुलिस में कर देते है। जिसके बाद पुलिस उस मकान मालिक को किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करने की IPC Section 342 के तहत गिरफ्तार (Arrest) कर कार्यवाही करती है।

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IPC 342 में सजा कितनी होती है

आई.पी.सी की धारा 342 की सजा (Punishment) की बात करें तो यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बिना उसकी मर्जी के गलत तरीके से किसी भी जगह कैद करने के अपराध का दोषी (Guilty) पाया जाता है तो उस व्यक्ति को कोर्ट द्वारा 1 वर्ष तक की कारावास (Imprisonment) की सजा व जुर्माने (Fine) से या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करके कोई अन्य अपराध करता है तो उस पर Section 342 के साथ-साथ अन्य अपराधों की धाराओं के तहत भी कार्यवाही की जा सकती है। जिसकी सजा उस धारा के प्रावधानों (Provisions) के अनुसार ही दी जा सकती है।


IPC 342 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 342 में जमानत मिलना आसान होता है। जी हाँ वैसे तो धारा 342 एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की श्रेणी में आता है, लेकिन यह एक जमानतीय अपराध (Bailable Offence) होता है। इसलिए गलत तरीके से कैद करने के आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को जमानत आसानी से मिल जाती है। इसके साथ ही यह एक शमनीय (Compoundable) यानी समझौता करने लायक अपराध होता है आरोपी दूसरे पक्ष से बात करके समझौते (Compromise) के द्वारा इस केस को खत्म कर सकता है। धारा 342 का यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।

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धारा 342 हम सभी लोगों के लिए क्यों जरुरी है?

धारा 342 का महत्व (Importance) जानना भी आप सभी के लिए बहुत जरुरी है, इसलिए आइये कुछ जरुरी बातों के द्वारा इस बात को समझते है:-

  • Section 342 सभी लोगों को गैरकानूनी तरीके से कैद करने के अपराध से बचाती है, और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को बचाती है।
  • इसके द्वारा गलत काम करने वाले लोगों को रोकने का कार्य किया जाता है जो लोग दूसरों पर अपनी ताकत या नियंत्रण करने उन्हें कैद करने का अपराध करते है।
  • इसके द्वारा अपराध करने वाले व्यक्ति को सजा देकर कानून (Law) द्वारा समाज में शांति व व्यवस्था बनाकर रखा जाता है।
  • यह प्रावधान व्यक्तियों को कानून अपने हाथ में लेने और बिना किसी अधिकार (Right) के दूसरे व्यक्तियों को कैद करने से रोकता है।
  • सभी लोगों को अपने किसी भी जगह आने जाने की पूरी स्वतंत्रता होती है इसलिए यदि कोई भी आपके कही आने जाने की स्वतंत्रता को रोकता है तो आप उसकी शिकायत दर्ज करवाकर उस पर धारा 342 के तहत कार्यवाही करवा सकते है।

IPC Section 356 में बचाव के लिए क्या करे

अपराध का शिकार होने से बचने के लिए जरुरी बातें:-

  • किसी भी व्यक्ति के घर बिना उसकी अनुमति (Permission) के ना जाएं।
  • रात के समय अकेले किसी भी सुनसान जगह जाने से बचे।
  • कोई व्यक्ति आपको अपने घर या आफिस में कैद करने की कोशिश करें तो तुरन्त इसकी शिकायत पुलिस हैल्पलाइन न0 100 पर करें।
  • यदि कोई भी व्यक्ति आपको बिना आपकी अनुमति के रोकता है या कैद करता है तो उसके खिलाफ जल्द से जल्द कानूनी कार्यवाही (Legal Action) करें।
  • जिस व्यक्ति ने आपको कैद किया है या कैद करने की कोशिश कर रहा है उसके खिलाफ सभी जरुरी सबूत (Evidences) इकट्ठे करें जो उन्हें बाद में सजा दिलवाने के लिए काम आते है। जैसे:- विड़ियों बनाकर, आवाज फोन में रिकार्ड करके।
  • ऐसे समय में घबराकर या डरकर कोई भी ऐसा गलत कदम ना उठाए जिसके खुद आपको कोई नुकसान पहुँचे।
  • अपने आस-पास के सभी लोगों को इस अपराध से जुड़ी सभी जानकारियों के बारे में जागरुक करें ताकि किसी के साथ भी ऐसा Crime ना हो सकें।
  • कभी भी किसी व्यक्ति को झूठे केस (False Case) में फंसाने के लिए इस धारा का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। ऐसे में आप पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

IPC 342 के झूठे केस में अपना बचाव कैसे करें?

  • ऐसे मामलों में इस बात का जरुर ध्यान रखे कि जिस भी व्यक्ति ने आपको फंसाने के लिए झूठे आरोप (False Blames) लगाए है वो क्यों लगाए है और आप के पास उनके खिलाफ खुद को निर्दोष (Innocent) साबित करने के लिए क्या सबूत है।
  • किसी भी व्यक्ति को गलती से भी अगर आपने रोका या कुछ समय के लिए कही कैद किया भी है तो अपनी गलती मानकर उसी समय उससे माँफी मांग ले, और विश्वास दिलाये कि दोबारा फिर कभी ऐसा नहीं होगा।
  • यदि आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति है जो आपके निर्दोष होने की गवाही दे सके तो उसकी मदद जरुर लें।
  • आपके खिलाफ यदि कोई झूठी शिकायत दर्ज (Complaint Register) करवाता है तो तुरन्त हमारे वकील (Lawyer) से कानूनी परामर्श (Legal Advice) ले
  • अपने बचाव के लिए कोई भी झूठा गवाह या सबूत कोर्ट में या पुलिस के सामने बिल्कुल भी पेश ना करें नहीं तो आप मुश्किल में पड़ सकते है।
  • अपने मामले के लिए वकील का चुनाव करते समय बहुत ज्यादा समझदारी दिखाए और अच्छे वकील को ही चुने क्योंकि वकील ही आपकी ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा मदद करता है।
  • यदि आपको केस के दौरान भी लगता है कि आपने गलती से यह अपराध किया है तो आप अपने वकील की सहायता से पीड़ित (Victim) पक्ष के वकील से बात करके समझौता करके भी इस केस से अपना बचाव (Defense) कर सकते है।

Offence : गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को सीमित करना


Punishment : 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट



आईपीसी धारा 342 को बीएनएस धारा 127 में बदल दिया गया है।



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IPC धारा 342 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 342 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 342 अपराध : गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति को सीमित करना



आई. पी. सी. की धारा 342 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 342 के मामले में 1 वर्ष या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 342 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 342 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 342 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 342 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 342 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 342 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 342 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 342 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।