धारा 338 आईपीसी - IPC 338 in Hindi - सजा और जमानत - किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 338 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 338 के अनुसार जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।लागू अपराध
किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करना।
सजा - दो वर्ष कारावास या एक हजार रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध न्यायालय की अनुमति से यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिसको चोट पहुँची है) के द्वारा समझौता करने योग्य है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
जिससे मानव जीवन आदि खतरे में पड़ जाता है | 2 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : जिससे मानव जीवन आदि खतरे में पड़ जाता है
Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों
Cognizance : संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 338 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 338 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 338 अपराध : जिससे मानव जीवन आदि खतरे में पड़ जाता है
आई. पी. सी. की धारा 338 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 338 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 338 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 338 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 338 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 338 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 338 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 338 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 338 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 338 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।