धारा 184 आईपीसी - IPC 184 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 184 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 184 के अनुसार जो भी कोई ऐसी किसी संपत्ति के विक्रय में, जो किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई हो, साशय बाधा डालेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।लागू अपराध
लोक सेवक के प्राधिकार द्वारा विक्रय के लिए प्रस्थापित की गई संपत्ति के विक्रय में बाधा डालना।
सजा - एक महीने कारावास या पांच सौ रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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एक लोक सेवक के अधिकार से बिक्री के लिए दी गई संपत्ति की बिक्री में बाधा डालना | 1 महीने या जुर्माना या दोनों | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : एक लोक सेवक के अधिकार से बिक्री के लिए दी गई संपत्ति की बिक्री में बाधा डालना
Punishment : 1 महीने या जुर्माना या दोनों
Cognizance : गैर - संज्ञेय
Bail : जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 184 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 184 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 184 अपराध : एक लोक सेवक के अधिकार से बिक्री के लिए दी गई संपत्ति की बिक्री में बाधा डालना
आई. पी. सी. की धारा 184 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 184 के मामले में 1 महीने या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 184 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 184 गैर - संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 184 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 184 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 184 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 184 जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 184 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 184 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।