धारा 106 आईपीसी - IPC 106 in Hindi - सजा और जमानत - घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार जब कि निर्दोष व्यक्ति को अपहानि होने की जोखिम है
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
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धारा 106 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 106 के अनुसार जिस हमले से मॄत्यु की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित होती है उसके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक ऐसी स्थिति में हो कि निर्दोष व्यक्ति की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से न कर सकता हो तो उसके प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार वह जोखिम उठाने तक का है ।दृष्टांत
क पर एक भीड़ द्वारा आक्रमण किया जाता है, जो उसकी हत्या करने का प्रयत्न करती है । वह उस भीड़ पर गोली चलाए बिना प्राइवेट प्रतिरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रूप से नहीं कर सकता, और वह भीड़ में मिले हुए छोटे-छोटे शिशुओं की अपहानि करने की जोखिम उठाए बिना गोली नहीं चला सकता । यदि वह इस प्रकार गोली चलाने से उन शिशुओं में से किसी शिशु को अपहानि करे तो क कोई अपराध नहीं करता ।
आईपीसी धारा 106 को बीएनएस धारा 44 में बदल दिया गया है।
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