धारा 88 आईपीसी - IPC 88 in Hindi - सजा और जमानत - किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति से सद््भावपूर्वक किया गया कार्य जिससे मॄत्यु कारित करने का आशय नहीं है
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
धारा 88 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 88 के अनुसार कोई बात, जो मॄत्यु कारित करने के आशय से न की गई हो, किसी ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है जो उस बात से किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके फायदे के लिए वह बात सद््भावपूर्वक की जाए और जिसने उस अपहानि को सहने, या उस अपहानि की जोखिम उठाने के लिए चाहे अभिव्यक्त, चाहे विवक्षित सम्मति दे दी हो, कारित हो या कारित करने का कर्ता का आशय हो या कारित होने की संभाव्यता कर्ता को ज्ञात है ।दृष्टांत
क, एक शल्य चिकित्सक, यह जानते हुए कि एक विशेष शस्त्रकर्म से य को, जो वेदनापूर्ण व्याधि से ग्रस्त है, मॄत्यु कारित होने की संभाव्यता है किंतु य की मॄत्यु कारित करने का आशय न रखते हुए और सद््भावपूर्वक य के फायदे के आशय से य की सम्मति से य पर वह शस्त्रकर्म करता है । क ने कोई अपराध नहीं किया है ।
आईपीसी धारा 88 को बीएनएस धारा 26 में बदल दिया गया है।
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