धारा 73 आईपीसी - IPC 73 in Hindi - सजा और जमानत - एकांत परिरोध
अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
विषयसूची
धारा 73 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 73 के अनुसार जब कभी कोई व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है जिसके लिए न्यायालय को इस संहिता के अधीन उसे कठिन कारावास से दंडादिष्ट करने की शक्ति है, तो न्यायालय अपने दंडादेश द्वारा आदेश दे सकेगा कि अपराधी को उस कारावास के, जिसके लिए वह दंडादिष्ट किया गया है, किसी भाग या भागों के लिए, जो कुल मिलाकर तीन मास से अधिक न होंगे, निम्न मापमान के अनुसार एकांत परिरोध में रखा जाएगा, अर्थात्् :--यदि कारावास की अवधि छह मास से अधिक न हो ते एक मास से अनधिक समय ;
यदि कारावास की अवधि छह मास से अधिक हो और 2[एक वर्ष से अधिक न हो] तो दो मास से अनधिक समय ;
यदि कारावास की अवधि एक वर्ष से अधिक हो तो तीन मास से अनधिक समय ।
आईपीसी धारा 73 को बीएनएस धारा 11 में बदल दिया गया है।
आईपीसी धारा 73 शुल्कों के लिए
सर्व अनुभवी वकील खोजें