धारा 445 आईपीसी - IPC 445 in Hindi - सजा और जमानत - गॄह-भेदन।

अपडेट किया गया: 01 Dec, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


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विषयसूची

  1. धारा 445 का विवरण

धारा 445 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 445 के अनुसार जो व्यक्ति गॄह-अतिचार करता है, वह गॄह-भेदन करता है, यह कहा जाता है, यदि वह उस गॄह में या उसके किसी भाग में एत्स्मिनपश्चात् वर्णित छह तरीकों में से किसी तरीके से प्रवेश करता है अथवा यदि वह उस गॄह में या उसके किसी भाग में अपराध करने के प्रयोजन से उपस्थित होते हुए, या वहां अपराध करने पर, उस गॄह से या उसके किसी भाग से ऐसे निम्न छह तरीकों में से किसी तरीके से बाहर निकलता है, अर्थात: -
  1. यदि वह ऐसे रास्ते से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है, जो स्वयं उसने या उस गॄह-अतिचार के किसी दुष्प्रेरक ने वह गॄह-अतिचार करने के लिए बनाया है,
  2. यदि वह किसी ऐसे रास्ते से, जो उससे या उस अपराध के दुष्प्रेरक से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा मानव प्रवेश के लिए आशयित नहीं है, या किसी ऐसे रास्ते से, जिस तक कि वह किसी दीवार या निर्माण पर सीढ़ी द्वारा या अन्यथा चढ़कर पहुंचा है, प्रवेश करता है या बाहर निकलता है,
  3. यदि वह किसी ऐसे रास्ते से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसको उसने या उस गॄह-अतिचार के किसी दुष्प्रेरक ने गॄह-अतिचार करने के लिए किसी ऐसे साधन द्वारा खोला है, जिसके द्वारा उस रास्ते का खोला जाना उस गॄह के अधिभोगी द्वारा आशयित नहीं था,
  4. यदि उस गॄह-अतिचार को करने के लिए, या गॄह-अतिचार के पश्चात् उस गॄह से निकल जाने के लिए वह किसी ताले को खोलकर प्रवेश करता या बाहर निकलता है,
  5. यदि वह आपराधिक बल के प्रयोग या हमले या किसी व्यक्ति पर हमला करने की धमकी द्वारा अपना प्रवेश करता है या प्रस्थान करता है,
  6. यदि वह किसी ऐसे रास्ते से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसके बारे में वह जानता है कि वह ऐसे प्रवेश या प्रस्थान को रोकने के लिए बंद किया हुआ है और अपने द्वारा या उस गॄह-अतिचार के दुष्प्रेरक द्वारा खोला गया है।
स्पष्टीकरण - कोई उपगॄह या निर्माण जो किसी गॄह के साथ-साथ अधिभोग में है, और जिसके और ऐसे गॄह के बीच आने जाने का अव्यवहित भीतरी रास्ता है, इस धारा के अर्थ के अंतर्गत उस गॄह का भाग है।
आईपीसी धारा 445 को बीएनएस धारा 330 में बदल दिया गया है।



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